हिंदी कहानी के गोर्की और चेखव थे शैलेश मटियानी-प्रकाश मनु


सुपरिचित कथाकार हरिसुमन बिष्ट ने उनके साथ बिताए गए समय को अपने व्यक्तिगत संस्मरणों द्वारा साझा करते हुए कहा कि उनके साथ हिंदी आलोचकों ने भेदभाव किया और एक बड़े कथा लेखक को अनदेखा किया।


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साहित्य Updated On :

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित साहित्य मंच कार्यक्रम में आज प्रख्यात कथाकार शैलेश मटियानी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा की गई। वरिष्ठ लेखक प्रकाश मनु ने उन्हें बीसवीं सदी के दिग्गज कथाकार के रूप में याद करते हुए कहा कि उनकी कहानियाँ लोक संस्कृति के गर्भ से जन्म लेती हैं और ऊपर उठते-उठते वे वहाँ आ जाती हैं, जहाँ उनमें शास्त्रीय रागों जैसा कोई गहरा आलाप सा सुनाई देने लगता है।

मटियानी जी के साथ लिए गए अपने विस्तृत साक्षात्कार, जो उन्होंने उनकी बीमारी के दौरान गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में किया गया था, का उल्लेख करते हुए बताया कि एक हृदय विदारक घटना सहने के बावजूद भी वे सजग और सहज रहे थे। मटियानी अपनी ज़िद में जीने वाले स्वाभिमानी लेखक थे और किसी बड़े से बड़े आलोचक की जी-हुजूरी करने से उन्हें नफ़रत थी। और शायद यही कारण रहा कि स्वनामधन्य आलोचक ने उनकी तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दिया। उन्होंने बाबा नागार्जुन के उस कथन को भी साझा किया जिसमें उन्हांने शैलेश मटियानी को ‘हिंदी कहानी का गोर्की’ कहा था और आगे यह भी जोड़ा कि उनकी कहानियों में एंतोन चेखव का प्रतिबिंब भी दिखता है। उन्होंने यह भी कहा कि राजेंद्र यादव ने उन्हें पहले आंचलिक कथाकार के रूप में पहचाना था।

सुपरिचित कथाकार हरिसुमन बिष्ट ने उनके साथ बिताए गए समय को अपने व्यक्तिगत संस्मरणों द्वारा साझा करते हुए कहा कि उनके साथ हिंदी आलोचकों ने भेदभाव किया और एक बड़े कथा लेखक को अनदेखा किया। वे सहज, सरल और अपने असाधारण विचारों के कारण बड़े रचनाकार थे। जाक़िर हुसैन कॉलेज से पधारे प्रो. हरेंद्र सिंह असवाल ने उनकी कहानियों (पापमुक्ति एवं प्रेतमुक्ति) पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनका यथार्थवाद केवल उत्तराखंड का यथार्थवाद नहीं था, बल्कि उसमें मुंबई का भी यथार्थ शामिल था। आगे उन्होंने कहा कि उनके जीवन में ‘तत्काल’ ने निर्णायक भूमिका अदा की है। आलोचकों की गुटबाज़ी के चलते ही उन्हें नकारा गया। उन्होंने जीवनभर चले उनके संघर्ष को भी याद किया।

कार्यक्रम में कई वरिष्ठ लेखक पंकज बिष्ट, बी.एल.गौड़, राजकुमार गौतम, मोहन हिमथाणी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के संपादक (हिंदी) अनुपम तिवारी ने किया।



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