मैं बार-बार ठगा गया हूं
रोजाना परेशानहाल
और खौफ़ज़दा रहता हूं
फिर भी मैं कितना खुश दिखता हूं
इस कमर्शियल ब्रेक में
अखबार के इस पन्ने पर
इस होर्डिंग में
किसानों के कर्ज से लदे होने
और खुदकुशी करने के सिलसिले के बरअक्स
मैं एक किसान का चेहरा हूं
लहलहाती फसलों के बीच प्रसन्न मुद्रा में
किसानों की खुशहाली बयान करता हुआ
रोज बलात्कार की घटनाओं से परे
मैं एक औरत का चेहरा हूं
दर्प और आश्वस्ति से भरा
महिला सुरक्षा और
सम्मान का भरोसा दिलाता हुआ
काम की तलाश में दर-दर भटकते
करोड़ों अनुभवों के बीच
पुलक और उमंग से भरा
मैं एक नौजवान का चेहरा हूं
नित रोजगार-वृद्धि के आंकड़े बताता हुआ
पुलिस की वर्दी देख
मैं दूर भागता हूं
किसी भी सरकारी दफ्तर में
जाते मैं डरता हूं
सरकार के बारे में
कहीं भी कुछ कहने से बचता हूं
लेकिन इधर देखिए इस होर्डिंग में
मैं सीधे सरकार की बगल में खड़ा हूं
शान से मुस्कराता हुआ
इतने खुश तो साहब लोग भी नहीं दिखते
जितना खुश मैं दिखता हूं
हर सरकारी विज्ञापन में
अपनी तकलीफों को झुठलाता हुआ
खुद के खिलाफ गवाही देता हुआ।
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