रविवार की कविता: हम हैं ताना-हम हैं बाना…


चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार उदय प्रकाश का जन्म 1 जनवरी सन् 1952 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सीतापुर गांव में हुआ। इनका बालपन और प्राथमिक शिक्षा यहीं पूर्ण हुई। इन्होने विज्ञान में स्नातक डिग्री तथा स्वर्ण पदक सहित सागर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

वे जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में एक शोध छात्र रहे। उनकी कुछ कृतियों के अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं। लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। इनकी कई कहानियों के नाट्यरूपंतर और सफल मंचन हुए हैं। ‘उपरांत’ और ‘मोहन दास’ के नाम से इनकी कहानियों पर फीचर फिल्में भी बन चुकी हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं।

उदय प्रकाश स्वयं भी कई टी.वी.धारावाहिकों के निर्देशक-पटकथाकार रहे हैं। सुप्रसिद्ध राजस्थानी कथाकार विजयदान देथा की कहानियों पर बहु चर्चित लघु फिल्में प्रसार भारती के लिए निर्देशित-निर्मित की हैं। भारतीय कृषि का इतिहास पर महत्वपूर्ण पंद्रह कड़ियों का सीरियल ‘कृषि-कथा’ राष्ट्रीय चैनल के लिए निर्देशित कर चुके हैं।



हम हैं ताना, हम हैं बाना ।
हमीं चदरिया, हमीं जुलाहा, हमीं गजी, हम थाना ।। हम हैं ताना… ।।

नाद हमीं, अनुनाद हमीं, निःशब्द हमी गंभीरा,
अंधकार हम, चाँद सूरज हम, हम कान्हा हम मीरा ।
हमीं अकेले, हमी दुकेले, हम चुग्गा, हम दाना ।। हम हैं ताना… ।।

मंदिर-महजिद, हम गुरुद्वारा, हम मठ, हम बैरागी
हमीं पुजारी, हमीं देवता, हम कीर्तन, हम रागी ।
आखत-रोली, अलख-भभूती, रूप धरे हम नाना ।। हम हैं ताना… ।।

मूल-फूल हम, रुत बादल हम, हम माटी, हम पानी
हमीं जहूदी-शेख-बरहमन, हरिजन हम ख्रिस्तानी ।
पीर-अघोरी, सिद्ध-औलिया, हमीं पेट, हम खाना ।। हम हैं ताना… ।।

नाम-पता, ना ठौर-ठिकाना, जात-धरम ना कोई
मुलक-खलक, राजा-परजा हम, हम बेलन, हम लोई ।
हमही दुलहा, हमीं बराती, हम फूँका, हम छाना ।। हम हैं ताना… ।।



Related