रविवार की कविता : प्रेमपत्र…


कवि एवं समाज-वैज्ञानिक बद्री नारायण का जन्म 5 अक्टूबर 1965 को भोजपुर, बिहार में हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा। कविता संग्रह: ‘सच सुने कई दिन हुए’, ‘शब्दपदीयम’, ‘खुदाई में हिंसा’ प्रकाशित।

बद्री नारायण 2015-16 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ डिस्क्रिमिनेशन एंड एक्सक्लूजन’ में प्रोफेसर थे। वो येल विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर, इंटरनेशनल इंस्टीटयूट ऑफ एशियन स्टडीज, लाइडेन यूनिवर्सिटी, द नीदरलैंड, मैसौन द साइंसेज द ला होम, पेरिस में विजिटिंग फेलो और सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी में आईसीसीआर चेयर प्रोफेसर के पदों पर भी रहे हैं।

बद्री नारायण जीबी पंत सोशल साइंस इंस्टिट्यूट के मानव विकास संग्रहालय में गंगा नदी-संस्कृति, विदेसिया वीथिका और दलित संस्रोत केंद्र की स्थापना की है। अभी हाल ही में आई उनकी किताब ‘रिपब्लिक ऑफ़ हिन्दुत्व : हाउ द संघ इज़ रिशेपिंग इंडियन डेमोक्रेसी (2021)’ में भारतीय लोकतंत्र की संरचना के अंदर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य पद्धति, संगठन, विचार और उसकी व्यापकता पर प्रकाश डाला गया है।

एक लेखक व शोधकर्ता के रूप में पहले भी वो डाक्युमेंटिंग डिसेंट (2001), विमेन हीरोज एंड दलित असर्सन इन नॉर्थ इण्डिया (2006), फैसिनेटिंग हिंदुत्व-सैफ्रोन पालिटिक्स एंड दलित मोबलाइजेशन (2009), मेकिंग आफ दलित पब्लिक इन नार्थ इण्डिया (2011) और फ्रैक्चर्ड टेल्स : इनविजिबल इन इंडियन डेमोक्रेसी (2016) जैसी किताबें लिख चुके हैं। साथ ही लोक संस्कृति और इतिहास (1994), लोक संस्कृति में राष्ट्रवाद (1996), साहित्य और सामाजिक परिवर्तन (1997), संस्कृति का गद्य (1998), उपेक्षित समुदायों का आत्म-इतिहास (2006) और प्रतिरोध की संस्कृति (2012) जैसी किताबों के भी वो लेखक हैं।



प्रेत आएगा
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा

चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुरायेगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दाँव लगाएगा
ऋषि आयेंगे तो दान में माँगेंगे प्रेमपत्र

बारिश आयेगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आयेगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगाई जाएँगी

साँप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आयेंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे

प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचायेंगे
कोई नहीं बचायेगा प्रेमपत्र

कोई रोम बचायेगा कोई मदीना
कोई चाँदी बचायेगा कोई सोना

मै निपट अकेला कैसे बचाऊँगा तुम्हारा प्रेमपत्र



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