भारत के बाद पाकिस्तान पहुंच क्या संकेत देना चाहते हैं रूसी विदेश मंत्री


रूस साफ संकेत दे रहा है कि भविष्य में अमेरिका के बजाए अफगानिस्तान में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इधर चीन और रूस के बीच सक्रिय सहयोग इस कदर बढ़ गया है कि दोनों के बीच भविष्य में मिलिट्री एलायंस की संभावना बतायी जा रही है। इन बदलती परिस्थितियों में भारत की डिप्लोमेसी कितनी संतुलित होगी यह समय बताएगा?


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
मत-विमत Updated On :

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत दौरा समाप्त कर पाकिस्तान पहुंच गए। रूसी विदेश मंत्री का भारत दौरे समाप्त कर सीधे पाकिस्तान पहुंचने का अलग मतलब है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान मामले और क्षेत्रीय सहयोग को लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई। वहीं भारत दौरे पर आए रूसी विदेश मंत्री ने विभिन्न मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री से बातचीत की। रक्षा, परमाणु, अंतरीक्ष से लेकर दिपक्षीय व्यापार जैसे तमाम मुद्दों पर दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत हुई।

दोनों मुल्कों के बीच आपसी सहयोग को किस तरह से बढ़ाया जाए, इस पर बातचीत हुई। वहीं भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर भी चर्चा हुई। रूसी विदेश मंत्री की भारत यात्रा अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स ऑस्टिन लॉयड के भारत दौरे के बाद हुई है। दरअसल इस समय भारत और अमेरिका के बीच भारतीय रक्षा बाजार में अपने उत्पादों को बेचने के लिए जोरदार संघर्ष है। उधर अफगानिस्तान में रूस सक्रिय हो गया है।

रूस साफ संकेत दे रहा है कि भविष्य में अमेरिका के बजाए अफगानिस्तान में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इधर चीन और रूस के बीच सक्रिय सहयोग इस कदर बढ़ गया है कि दोनों के बीच भविष्य में मिलिट्री एलायंस की संभावना बतायी जा रही है। इन बदलती परिस्थितियों में भारत की डिप्लोमेसी कितनी संतुलित होगी यह समय बताएगा?

रूसी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि रूस की चिंता भारत का हथियार बाजार है। रूसी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि अमेरिकी दबावों के बावजूद भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग और बढ़ेगा। चूंकि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल की खरीद पर भारत से नाराजगी जता रखी है। लेकिन रुसी विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया है कि दोनों मुल्कों के बीच भविष्य में मेड इन इंडिया की अवधारणा पर सहयोग बढ़ेगा। रूसी हथियारों का भारत में उत्पादन करने को लेकर अपार संभावना है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनकी हुई बातचीत के दौरान इन मुद्दों पर विचार हुआ। लेकिन भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय इंडो-पैसेफिक। भविष्य में होने वाला चीन-रूस मिलिट्री एलांयस है। रूस लगातार अमेरिका-भारत-जापान, आस्ट्रेलिया प्रायोजित क्वाड का विरोध कर रहा है। रूस ने क्वाड एलांयस में भारत की सक्रियता पर लगातार चिंता जतायी है। यही नहीं रूस इंडो-पैसेफिक की अवधारणा को रिजेक्ट कर रहा है। रूस विदेश मंत्री ने भारत यात्रा के दौरान एशिया-पैसेफिक की ही बात की।

रूसी विदेश मंत्री ने बिना लाग लपेट के कहा है कि चीन और रूस के वर्तमान में संबंध काफी अच्छे है। शायद पूर्व में इतिहास के इतने अच्छे संबंध कभी न रहे हो। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं निकाला जाए कि रूस और चीन भविष्य में कोई मिलिट्री एलांयस करेंगे? लेकिन जियो-पॉलिटिक्स में जो कुछ बोला जाता है वही सही नहीं होता। चीन और रूस एशियाई नाटो के खिलाफ मोर्चेबंदी कभी भी कर सकते है। चीन और रूस के बीच डिफेंस सेक्टर में भारी सहयोग तो पहले ही शुरू हो चुका है।

रूस चीन को एस-400 मिसाइल बेच रहा है। यही नहीं चीन ने रूस के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए रूस को बुरे दौर में मदद की। जब रूस की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, उसे मदद के लिए चीन आगे आया। चीन ने रूस से गैस खरीद का समझौता किया। इस समय रूसी गैस का चीन बड़ा आयातक है। कुछ साल पहले चीन ने रूस से 400 अरब डालर की गैस खरीद का समझौता किया था।

रूस के विदेश मंत्री अपनी भारत यात्रा के बाद सीधे पाकिस्तान पहुंचे। रूसी विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण है। क्योंकि रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध लंबे समय तक खराब रहे है। लेकिन बदलती जियो-पॉलिटिक्स में रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध सामान्य होते नजर रहे है। बांग्लादेश की आजादी के वक्त रूस ने भारत का साथ दिया था। पाकिस्तान इसे आजतक नहीं भूला है। वहीं अफगानिस्तान में रूसी सैनिकों के खिलाफ अमेरिका ने लंबी लड़ाई लड़ी। पाकिस्तान इस लड़ाई में अमेरिका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा।

लेकिन 21 वीं सदी में परिस्थितियां बदली है। पाकिस्तान बांग्लादेश की आजादी में रुस की भूमिका भूल रहा है। रूस अफगानिसतान में पाकिस्तान-अमेरिका सहयोग को भूल रहा है। अफगानिस्तान में रूस और पाकिस्तान सहयोग को तैयार है। वैसे 2012 में रूसी रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे। इसके कई सालों बाद अब 2012 में रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान की धरती पर पहुंचे है। वैसे लंबे समय से रूस-चीन-पाकिस्तान त्रिकोण की बात हो रही है। लेकिन रूस इसे सक्रिय करने में लगा हुआ है। रूस एशियाई नाटो को लेकर शंका प्रकट कर चुका है। वैसे में वो नए त्रिकोण से भारत पर दबाव डालने की कोशिश करेगा। रूसी विदेश मंत्री का भारत के बाद सीधे पाकिस्तान की यात्रा करना भारत के लिए एक प्रतीकात्मक संदेश है।

लंबे समय से रूस भारत को संदेश दे रहा है कि भारत पश्चिमी देशों के साथ खुलकर मिलिट्री एलांयस अगर करेगा तो रूस चीन और पाकिस्तान के साथ त्रिकोण बनाने में नहीं हिचकेगा। दरअसल रूसी विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के दौरान अफगानिस्तान एक कोर इश्यू के रुप में सामने नजर आया। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान शांति वार्ता में रूस की सक्रिय भूमिका की खूब तारीफ की है।

अफगानिस्तान में रूस की बढ़ती सक्रियता साफ संकेत देती है कि रूस अब अफगानिस्तान में पहले से ज्यादा सक्रिय होगा। दरअसल रूस का एक बडा इंटेलिजेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अफगानिस्तान में पहले से मौजूद है। अब रूस ने अफगानिस्तान को एस-400 मिसाइल देने का संकेत दिया है। निश्चित तौर पर अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि एस-400 मिसाइल खरीद सके। वैसे मे एस-400 मिसाइल अफगानिस्तान को दिए जाने की रूसी मंशा यह बताती है कि रूस सीरिया के तर्ज पर अब अफगानिस्तान में मौजूद होगा।