भारतीय समुद्री क्षेत्र में बिना अनुमति अमेरिकी नौ सेना का प्रवेश, संकेत अच्छे नहीं


अमेरिका भारत पर लगातार इस बात का दबाव बना रहा है कि भारत रूस से चल रहे सैन्य सहयोग को खत्म करे। भारत रूस से हथियार खरीदना बंद करे। रूस की रक्षा कंपनियों की जगह अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत के रक्षा बाजार मे भारत जगह दे।


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
मत-विमत Updated On :

अमेरिकी नौसेना का जंगी पोत लक्षदीप के पास भारतीय समुद्री इलाके में बिना अनुमति प्रवेश कर गया और नौ परिवहन स्वतंत्रता अभियान भी चलाया। अब मामला जब सामने आया है तो भारत सरकार की परेशानी बढ़ गई है। अमेरिकी नौसेना की इस जुर्रत पर नरेंद्र मोदी सरकार सकते में है। भारत ने बेशक कूटनीतिक विरोध जताया है, लेकिन केंद्र सरकार की भारी किरकिरी हो गई है।

अमेरिकी नौसेना का तर्क है कि उसने फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन के तहत भारतीय जलक्षेत्र में नौ परिवहन स्वतंत्रता अभियान की शुरूआत की है। जबकि भारत का समुद्री क्षेत्र से संबंधित कानून साफ कहता है कि किसी भी दूसरे मुल्क के नौ सैनिक पोत को भारत के समुद्री विशेष आर्थिक क्षेत्र में घुसने से पहले भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी। आखिरकार अमेरिका ने इस तरह की हिम्मत क्यों दिखायी है? क्या अमेरिका एशियाई जियो-पॉलिटिक्स में कुछ बदलाव के खेल में लग गया है? दरअसल जब से जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद को सम्हाला है, भारत के लिए अमेरिका से अच्छी खबरें नहीं आ रही है।

भारत-अमेरिका के बीच बेहतर होते संबंधों के मद्देनजर अगर आप बात करेंगे तो अमेरिका के सातवें बेडे से संबंधित यूएसएस जॉनपॉल जोन्स का भारत के समुद्री विशेष आर्थिक जोन में आना एक सामान्य घटना है। लेकिन अमेरिकी नौ सेना के ब्यान ने मामले को गंभीर कर दिया है। क्योंकि अमेरिकी नौ सेना का बयान भारत सरकार दवारा समुद्री क्षेत्र से संबंधित बनाए गए कानूनों की बेअदबी है।

जिस तरह से सातवें बेड़े के कमांडर ने बयान जारी कर भारतीय समुद्री विशेष आर्थिक जोन में नौपरिवहन अधिकार एवं स्वतंत्रता अभियान की जानकारी दी है, वो सीधे-सीधे भारतीय संप्रभुता को चुनौती है। क्योंकि भारत के मैरी टाइम जोन्स एक्ट 1976 के तहत कोई भी समुद्री जहाज भारतीय समुद्री विशेष आर्थिक जोन में निर्दोष नौवहन कर सकता है, लेकिन सैन्य समुद्री जहाजों को विशेष आर्थिक जोन में प्रवेश करने से पहले भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी।

सच्चाई तो यही है कि अमेरिका ने भारत के मैरी टाइम एक्ट की धज्जियां भी उडायी है और ब्यान जारी कर यह बताने की कोशिश की है कि भारत उसके सामने कुछ ज्यादा बोल नहीं सकता है। अमेरिकी कमांडर का ब्यान नरेंद्र मोदी सरकार के सम्मान पर चोट है। यह घटनाक्रम साफ संकेत दे रहा है कि बाइडेन प्रशासन नरेंद्र मोदी सरकार को नीचा दिखाने में जुटा हुआ है। इसके कई कारण है। बाइडेन प्रशासन भारत को ताकत के बल पर झुकाना चाहता है। बाइडेन प्रशासन नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ सालों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर जो मजबूत छवि बनाया है, उसे चोट पहुंचाना चाहता है। बाइडेन प्रशासन एशियाई जियोपॉलिटिक्स में नरेंद्र मोदी की बनी मजबूत इमेज को नष्ट करने में लग गया है।

यह सच्चाई है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ के नारे को नहीं भूल पाए है। नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के हूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी कार्यक्रम में ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा दिया था। बाइडेन नरेंद्र मोदी को बताना चाहते है कि अमेरिकी पॉलिटिक्स में हस्तक्षेप के परिणाम खतरनाक हो सकते है? हालांकि बाइडेन ने क्वाड की वर्चुअल बैठक में भाग लिया। भारत को लेकर मीठी-मीठी बातें की। उन्होंने पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के तर्ज पर अमेरिका और भारत के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने पर बल दिया। लेकिन बाहर से जो अच्छा नजर आ रहा है, वो अंदर से कुछ खराब है। अमेरिका डरा कर भारत को क्वाड सैन्य एलांयस के लिए मजबूर करना चाहता है।

अमेरिका भारत पर लगातार इस बात का दबाव बना रहा है कि भारत रूस से चल रहे सैन्य सहयोग को खत्म करे। भारत रूस से हथियार खरीदना बंद करे। रूस की रक्षा कंपनियों की जगह अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत के रक्षा बाजार मे भारत जगह दे। रूस से एस-400 मिसाइल की खरीद को लेकर अमेरिका भारत से खासा नाराज है। अमेरिका लगातार भारत को धमकी दे रहा है कि अमेरिका भारत पर काउँटरिंग अमेरिका एडवरसरी थ्रू सेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई भी कर सकता है।

अमेरिका यह जानता है कि 1962 के बाद अब भारत-चीन संबंध सबसे खराब दौर में है। भारत की अर्थव्यवस्था भी खराब है। वैसे में इस समय भारत पर दबाव बनाना आसान है। भारत के समुद्री क्षेत्र के विशेष आर्थिक जोन में अमेरिकी नौसेना का अभ्यास अमेरिकी दबाव की रणनीति है।

भारतीय समुद्र के विशेष आर्थिक जोन में अमेरिकी नौसैनिक पोत का आने का घटनाक्रम को इतिहास में घटे घटनाक्रम से तुलना कर देखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदिरा गांधी के मुकाबले काफी कमजोर नजर आ रहे है। अमेरिकी सातवें बेड़े ने लक्षदीप के पास भारत के समुद्री क्षेत्र में बिना अनुमति प्रवेश किया, अभ्यास किया। भारतीय कानून के तहत भारत सरकार को पूर्व सूचना भी नही दी। अनुमति भी नहीं ली। ऊपर से बयान जारी कर भारत सरकार को चिढ़ाया गया।

अमेरिका ने संदेश दिया कि भारत सरकार से भारतीय इलाके में आकर सैन्य अभ्यान करने के लिए अनुमति लेने की कोई जरूरत नही है। अमेरिका दादा है, भविष्य में दारा रहेगा। वो किसी के इलाके में घुस सकता है, कुछ भी कर सकता है। अमेरिकी नौसेना भारत के समुद्री इलाके में जा सकती है। लेकिन इतिहास पर नजर उठा कर देखे।

बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई की जानकारी सारी दुनिया को है। उस समय अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े से संबंधित पोत बंगाल की खाड़ी में पहुंच गए थे। इंदिरा गांधी ने अमेरिकी प्रशासन को चुनौती दी। सातवें बेडे को पीछे हटने के लिए मजबूर किया। अमेरिका और पाकिस्तान का गठजोड़ भी बांग्लादेश की आजादी को नहीं रोक पाए। लेकिन आज नरेंद्र मोदी की सरकार महज डिप्लोमेटिक विरोध कर चुप हो गई है।

अमेरिकी प्रशासन का रवैया भारत के लिए फिलहाल अच्छा नहीं है। हाल ही में पर्यावरण मामलों पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन कैरी भारत की यात्रा पर थे। उन्होंने अपनी भारत यात्रा के दौरान टूल किट मामले में आरोपी दिशा रवि की तारीफ की है। जॉन कैरी दवारा दिशा रवि की तारीफ भारत सरकार के लिए बड़ा झटका है।

कैरी ने कहा कि दिशा रवि जैसे युवा जलवायु कार्यकर्ता के एक्टिविज्म का वे स्वागत करते है। साथ ही दिशा रवि के अधिकारों पर जवाब देते हुए कैरी ने कहा कि मानवाधिकार हमेशा अमेरिका के लिए एक अहम मुद्दा रहा है। गौरतलब है कि दिशा रवि को किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर जारी एक टूलकिट से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। दिशा रवि पर राजद्रोह का आरोप भी दिल्ली पुलिस ने लगाया था।