9 अगस्त का हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम और देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । यह ठीक है कि 15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों के दो सौ से अधिक साल से चली आ रही गुलामी से मुक्त हुआ था और देश को विदेशी दासता से मुक्त कराने के लिए एक सदी के लम्बे समय तक संघर्ष भी करना पड़ा था और इस संघर्ष में देश के असंख्य क्रांतिकारियों को अपनी जान भी कुर्बान करनी पडी थी और इसी बीच देश की आजादी के लिए ऐसा ही एक संघर्ष इस रूप में भी करना पड़ा था जिसे, “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नाम दिया गया था।
9 अगस्त 1942 को इस आन्दोलन की शुरुआत हुई थी। आजादी के संघर्ष में यह आन्दोलन एक ऐसा पड़ाव था जिसमें ब्रिटिश सत्ता से सीधे संघर्ष में एक ही बात कही जाती थी, “ अब और कुछ नहीं अंग्रेजों ! बस भारत छोड़ दो। “यह आन्दोलन अहिंसक था लेकिन इतना प्रभावशाली था कि देश की जनता ने क्रातिकारियों के आह्वान पर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया था। अंग्रेजी राज के खिलाफ पूरे देश में असहयोग की ज्वाला भड़क चुकी थी। असहयोग की यह ज्वाला इतनी तेज थी कि लोगों ने अपने उपयोग का बेशकीमती विदेशी सामान जिसमें रोज पहनने के कपड़े और अन्य चीजें भी शामिल थीं सड़क पर लाकर जलाने शुरू कर दिए थे।
गांव, कस्बों और शहरों के चौराहों पर विदेशी सामान की होली जलने लगी थी। हमारे देश में होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है और इसे पाप को अग्नि में भस्म करने का प्रतीक भी माना जाता है लेकिन अंग्रेजी शासन के पाप से मुक्त होने की आस और इस आस को पूरा करने के लिए किये गए संघर्ष में इसी देश में हर रोज होलिका दहन होने लगे। जिस तरह होलिका दहन के अगले दिन एक दूसरे के गले मिल कर रंगों का पवित्र त्योहार होली मनाया जाता है उसी तरह एक लम्बे अरसे तक अंग्रेजों के विरोध स्वरूप विदेश सामान की होली जलाए जाने के पांच साल पांच दिन बाद देश ने 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी का जश्न मनाया था। उसके बाद से इस तारीख को हम देश के स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे हैं।
इसी कड़ी में 15 अगस्त के साथ ही 9 अगस्त का भी देश की आजादी के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज इस दिन के 78 साल पूरे हो गए हैं। देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई नगरी के जिस पार्क से इस आन्दोलन की 9 अगस्त 1942 को शुरुआत हुई थी उसे अगस्त क्रांति मैदान नाम दिया गया है। मुंबई के अलावा भी अगस्त क्रान्ति के नाम से देश के अनेक शहरों में इस नाम से भवन और सड़कों के नाम रखे गए हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी एशियाई खेल गांव से लगी एक सड़क का नाम भी अगस्त क्रांति मार्ग रखा गया है। इसके अलावा दिल्ली में भीकाजी कामा प्लेस स्थित एक भवन का नाम भी अगस्त क्रांति भवन रखा गया है।
इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि कुछ इस तरह की है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने का अपना वादा नहीं निभाया तो महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का एलान कर दिया जिससे ब्रिटिश हुकूमत में दहशत फैल गई। महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार भी किया था। मौजूदा साल इस सन्दर्भ में इसलिए भी महत्वपूर्ण और ख़ास हो जाता है क्योंकि हमारे ही एक पड़ोसी देश चीन ने भी हमारे साथ अंग्रेजों की तरह ही सीमा विवाद के मामले को लेकर वादाखिलाफी की है। करीब डेढ़ माह पहले भारत ने भी चीन के सामान का उपयोग न करने का एलान तो जरूर किया था लेकिन हम अपने उस एलान पर निष्ठा और इमानदारी के साथ अमल करने में असमर्थ ही रहे हैं।
अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाने के लिए मजबूर करने के लिए शुरू किये गए इस आन्दोलन की शुरुआत में गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” आरंभ करने का निर्णय लिया। इस आंदोलन के बाद रेलवे स्टेशनों, दूरभाष कार्यालयों, सरकारी भवनों और अन्य स्थानों तथा उपनिवेश राज के संस्थानों पर बड़े स्तर पर हिंसा शुरू हो गई। इसमें तोड़ फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया और कहा कि यह कांग्रेस की नीति का एक जानबूझ कर किया गया कृत्य है।
जबकि सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, कांग्रेस पर प्रतिबंद लगा दिया गया और आंदोलन को दबाने के लिए सेना को बुला लिया गया।1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव पारित किया एवं इसकी सार्वजनिक घोषणा से पहले 1 अगस्त को इलाहाबाद (प्रयागराज) में तिलक दिवस मनाया गया। 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस की बैठक बंबई (मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिली।
इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई था कि भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिये अत्यंत आवश्यक हो गई है। भारत छोड़ो आंदोलन को ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था ।यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काकोरी कांड के ठीक सत्रह साल बाद 9 अगस्त,1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ।