प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से नाराज हुआ बांग्लादेश

संजीव पांडेय संजीव पांडेय
मत-विमत Updated On :

भारत के प्याज निर्यात संबंधी फैसले से बांग्लादेश एक बाऱ फिर नाराज है। बांग्लादेश भारतीय प्याज के प्रमुख आयातक देशों में शामिल है। प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आऱोप लगाया कि प्याज निर्यात पर प्रतिबंध बिना किसी पूर्व सूचना के लगाया गया है। जबकि भारत और बांग्लादेश के बीच सहमति है कि निर्यात संबंधी प्रतिबंध लगाए जाने से पहले प्रभावित देश को सूचना दी जाएगी। ताकि प्रभावित देश तुरंत आयात का वैकल्पिक इंतजाम कर ले।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्याज निर्यात को लेकर यह दूसरी बार विवाद हुआ है। पिछले साल अक्तूबर में भी प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिससे बांग्लादेश खासा नाराज हो गया था। बांग्लादेश ने उस समय भी आरोप लगाया था कि प्याज निर्यात पर प्रतिबंध बिना किसी पूर्व सूचना के लगायी गई थी। उस समय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद नाराजगी व्यक्त की थी।

सवाल यह उठता है कि क्या भारत सरकार इस तरह के फैसले लेकर भारत के हितों पर ही चोट कर रही है? क्योंकि इस तरह के फैसले से तो बांग्लादेश दुश्मन देश चीन के पाले में जाने को मजबूर हो सकता है। बांग्लादेश चीन से प्याज मंगवाएगा। दरअसल सरकार के निर्यात प्रतिबंध के फैसले के कारण बांग्लादेश के लिए रास्ते में जा रहे प्याज को भी रोक दिया गया था। लगभग 25 हजार मीट्रिक टन प्याज बांग्लादेश जाने के लिए रास्ते में था।

जब बांग्लादेश की प्रतिक्रिया आयी तो भारत सरकार ने विशेष अनुमति देकर रास्ते मे जा रहे प्याज को बांग्लादेश भेजने को हरी झंडी दी है। कम से कम भारत को इस तरह के फैसले उस वक्त नहीं लेने चाहिए, जब यह सूचना मिल रही है कि बांग्लादेश के ऊपर चीन लगातार डोरे डाल रहा है। चीन बांग्लादेश को तरह-तरह की लालच दे रहा है। 2019 में भी जब एकाएक प्याज के निर्यात पर भारत ने प्रतिबंध लगाया था तो बांग्लादेश ने चीन से प्याज आयात किए थे। प्रधानमंत्री शेख हसीना उस समय भारत के फैसले पर खासी नाराज हुई थी।

भारत बांग्लादेश के संबंध मधुर है। भारत के हितों की चिंता बांग्लादेश अंतराष्ट्रीय मंचों पर करता रहा है। भारत का अहसान बांग्लादेश मानता है। बांग्लादेश की आजादी का अहसान बांग्लादेश पर है। भारत औऱ बांग्लादेश के संबंधों को नजदीक से देखने वाले प्याज निर्यात पर एकाएक प्रतिबंध को लेकर हैरान है। क्योंकि अभी घरेलू बाजार में प्याज की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ रही थी। बाजार में प्याज की कमी नहीं है। इस साल प्याज की फसल भी बंपर है। लेकिन प्याज निर्यात पर रोक लगाए जाने के कारण किसानों को अच्छा-खासा नुकसान हो गया है। उन्हें प्याज निर्यात से अच्छी कीमत मिल रही थी। लेकिन निर्यात पर बैन के बाद ही प्याज की कीमतों में गिरावट आ गई है।

भारत के लिए इस समय छोटे पड़ोसी देश महत्वपूर्ण है। छोटे-छोटे मसलों पर प़ड़ोसी देशों से संबंध खराब करना समझदारी नहीं है। इससे भारत को ही नुकसान होगा। भारत औऱ नेपाल के संबंध इस समय सबसे बुरे दौर से गुजर रहे है। भारत-नेपाल संबंधों को खराब करने में चीन की भूमिका जरूर है। लेकिन भारत की अपनी गलतियां भी है। भारत-नेपाल संबंधो में सबसे बुरा दौर 2015 में शुरू हुआ। नेपाल के नया संविधान लागू होने के बाद भारत-नेपाल सीमा पर 2015-16 में हुई आर्थिक नाकेबंदी ने भारत नेपाल संबंधों को खासा खराब किया। आर्थिक नाकेबंदी के कारण नेपाल की जनता में भारत विरोधी माहौल बन गया।

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली ने आर्थिक नाकेबंदी के बहाने भारत विरोध को जनता के बीच मजबूत किया। इधर ओली के बाद शेख हसीना का भी चीन प्रेम जागा हुआ है। उनका रवैया भारत के प्रति काफी बदला हुआ है। भारत की पूर्वी सीमा पर मौजूद एक महत्वपूर्ण देश बांग्लादेश की चीन से नजदीकी बढ़ी है। 2019 में शेख हसीना फिर से सत्ता में लौटी है। अब उनका मिजाज बदला हुआ है। वो भी अब चीन से नजदीकी बढा रही है। चीन के निवेश को लेकर शेख हसीना भी लालच में है। वैसे में भारत को हर फैसला खासा ध्यान से लेना चाहिए। पिछली बार भी जब भारत ने जब प्याज निर्यात को प्रतिबंधित किया था तो बांग्लादेश ने चीन से प्याज मंगवाए थे।

बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देश भारत के सप्लाई लाइन पर निर्भर है। इन देशों के साथ सप्लाई लाइन की वैसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि पडोसी देश भारत के कायल रहे, वैकल्पिक सप्लाई लाइन पर विचार भी न कर पाए। क्योंकि बदलते हुए तकनीक और बढिया इन्फ्रास्ट्रक्चर के युग में वैकल्पिक सप्लाई लाइन तैयार करना मुश्किल काम नहीं होता है। भारत-नेपाल सीमा पर हुई आर्थिक नाकेबंदी के कारण तिब्बत से नेपाल ने सप्लाई लाइन पर तेजी से विचार किया। रेल, रोड के विकास संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दोनों मुल्कों के बीच समझौता भी हो गया।

नेपाल बेल्ट एंड रोड पहल में भी शामिल हो गया। यही नहीं दोनों मुल्कों के बीच ट्रांजिट एवं ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट भी हो गया। नेपाल अभी तक भारत के विशाखापटनम और हल्दिया पोर्ट के रास्ते तीसरे देश से आयात करता रहा है। अब चीन ने नेपाल को तीसरे देश से आयात के लिए 3 ड्राई पोर्ट और 4 समुद्री पोर्ट के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। बांग्लादेश पर भी चीन कुछ इस तरह के डोरे डाल है। बांग्लादेश के चटगांव से लेकर चीन के कुनमिंग तक कॉरिडोर बनाने की योजना पर विचार हो रहा है। इससे भविष्य में नुकसान भारत को होगा।