तीन-चार दशक पहले और आज की बोर्ड परीक्षाओं में जमीन आसमान का अंतर है। यह अंतर एक तरफ पाठ्यक्रम को लेकर साफ़ दिखाई देता है तो दूसरी तरफ परीक्षार्थियों को मिलने वाले बम्पर नंबर की वजह से भी इस जमाने की बोर्ड की परीक्षा पहले की बोर्ड परीक्षा से एकदम अलग नजर आती है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद समेत देश के ज्यादातर राज्यों के बोर्ड तो अभी भी काफी हद तक पुरानी परम्पराओं का पालन करते हुए दिखाई देते हैं।
लेकिन केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद् यानी सीबीएसई ने तो छप्पर फाड़ कर बम्पर नंबर देने का ऐसा सिलसिला शुरू कर दिया है कि अब इतिहास और साहित्य जैसे विषयों में भी सौ में से सौ नंबर मिलने लगे हैं। सीबीएसई के इस ट्रेंड से अब स्कोरिंग और नॉन स्कोरिंग विषयों का लफड़ा ही ख़त्म हो गया है। इस बार उत्तर प्रदेश के लखनऊ की जिस छात्रा दिव्यांशी ने इस बार12वीं की परीक्षा में टॉप किया है उसे हर विषय में सौ फीसदी नंबर मिले हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के ही बुलंदशहर के जिस छात्र तुषार ने टॉप किया है उसे भी सौ फीसदी नंबर मिले हैं।
हर विषय में सौ फीसदी नंबर पाने वाले तो सीबीएसई बोर्ड के यही दो परीक्षार्थी हैं लेकिन पांच या छः विषयों में से तीन या चार विषयों में सौ-सौ नंबर पानी वालों की संख्या हजारों में तो है ही लाख के आसपास भी हो सकती है। इसके बाद दो या तीन विषयों में सौ फीसदी अंक पाने वालों की संख्या इससे भी कहीं ज्यादा होगी।
जितने विषयों में परीक्षार्थी ने इम्तिहान दिया है उसके आधे से अधिक विषयों में भी अगर सौ में से सौ अंक मिलते हैं तो कुल परीक्षार्थियों में नब्बे प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले परीक्षार्थियों का औसत कहीं बढ़ जाता है। ऐसा ही नजारा इस बार भी सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा के परिणाम में एक बार फिर देखने को मिला है। ऐसा तब हुआ जब इस बार कोरोना के चलते बोर्ड की पारीक्षाओं के अंतिम दौर में कई विषयों की परीक्षाएं हो ही नहीं सकीं थी। महिला वर्ग में टॉप करने वाली दिव्यांशी को भी ऐसे ही किसी विषय में बिना परीक्षा दिए ही सौ में से सौ नंबर मिले हैं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा सोमवार 13 जुलाई को जारी किये गए बारहवीं परीक्षा के परिणाम के अनुसार इस साल 88.78 फीसदी छात्र पास हुए हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल 5.38 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली है। गौरतलब है कि सीबीएसई की साल 2019 की बोर्ड परीक्षा में 83.40 फीसदी छात्र पास हुए थे। इन दो साल के परीक्षा परिणाम की तुलना करें तो कहा जा सकता है कि इस बार रिजल्ट 5.38 प्रतिशत बेहतर रहा है। कुल रिजस्टर्ड 1203595 छात्रों में से 1192961 ने परीक्षा दी थी। इनमें से 1059080 पास हुए हैं।
सीबीएसई 12वीं में इस बार लड़कियों ने बाजी मारी है। लड़कियों का पास फीसदी लड़कों से 5.96 फीसदी ज्यादा है। त्रिवेंद्रम का पास फीसदी सबसे ज्यादा 97.67 फीसदी रहा है। इसके बाद बेंगलुरू 97.05 पास फीसदी और इसके बाद चेन्नई का 96.17 पास फीसदी रहा है। पटना जोन में 74.56 फीसदी रिजल्ट रहा है। दिल्ली वेस्ट का रिजल्ट 94.61 फीसदी और दिल्ली ईस्ट का रिजल्ट 94.24 फीसदी रहा है। नोएडा रीजन का रिजल्ट 84.87 फीसदी, प्रयागराज का रिजल्ट 82.49 फीसदी, अजमेर का 87.60 फीसदी रहा। सबसे खराब रिजल्ट पटना रीजन का 74.57 फीसदी का रहा।
सीबीएसई कक्षा 12 परीक्षा के लिए कुल 12,06,893 छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें 5,22,819 लड़कियां, 6,84,068 लड़के और 6 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण, सीबीएसई को कुछ परीक्षाओं को स्थगित करना पड़ा और बाद में जुलाई को फिर से शुरू करने का फैसला किया। हालांकि, सीबीएसई ने बाद में कोविड-19 मामलों में बढ़ोत्तरी देख परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया।
कोरोना की वजह से इस बार सीबीएसई को ने अपने कुछ विषयों की परीक्षाएं पहले स्थगित और बाद में निरस्त करनी पडी थीं इसलिए परीक्षार्थियों की पुस्तिकाओं का उस तरीके से आंकलन नहीं हो पाया जिस तरह से आम तौर पर किया जाता है। इस बार एक विशेष योजना के तहत परीक्षार्थियों का आंकलन किया गया और परिणाम घोषित किये गए।
इस वैकल्पिक आंकलन व्यवस्था को विगत 26 जून को ही देश की सुप्रीम अदालत ने भी मंजूरी दे दी थी उसके बाद ही परीक्षा परिणाम घोषित किये गए। इस वैकल्पिक योजना को लागू करने के बावजूद सैकड़ों परीक्षार्थियों के परिणाम नहीं बन पाए हैं इन परिणामों को जल्द ही जारी किया जाएगा।
गौरतलब यह भी है कि इस साल सीबीएसई ने रिजल्ट में फेल की बजाए ‘इसेंशल रिपीट’ टर्म का इस्तेमाल लिया है। इस बार परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए इन मापदंडों को आधार बनाया गया है। एक-12वीं के जिन परीक्षार्थियों के सभी विषयों की परीक्षाएं हो चुकी थीं उनके परिणाम परीक्षा पर आधारित हैं। इसके अलावा जिन विद्यार्थियों तीन से ज्यादा विषयों की परीक्षा दी है उनमें से तीन विषयों के सर्वश्रेष्ठ अंकों का औसत निकल कर उन विषयों का अंक मान लिया गया है जिन विषयों की परीक्षाएं कोरोना संकट के चलते नहीं न हो सकीं थीं।
इस बार कुछ परीक्षार्थी ऐसे भी थे जो एक या दो विषयों की परीक्षाओं में ही बैठ सके थे। ऐसे छात्र- छात्राओं के परिणाम उन विषयों की परीक्षाओं के आधार पर ही घोषित कर दिए गए जिन विषयों की परीक्षाएं हो चुकी थीं। इन तमाम दुश्वारियों के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उसने न सिर्फ परीक्षा प्रक्रिया को पूरा करने का रास्ता निकाला, बल्कि अब उसने बारहवीं कक्षा के परिणाम भी घोषित कर दिए।