जब तक कोरोना के टीके की खोज नहीं हो जाती, बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाना चाहिए


छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि कॉलेज जाने वाले बड़े बच्चों के लिए भी अभी खतरा टला नहीं है। विदेश की इस पृष्ठभूमि में अगर हम अपने देश भारत में लगभग तीन महीने की बंदी के बाद स्कूल कॉलेज फिर से खोलने की बात करें तो हमको बहुत गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा। एक तो हमारे देश में इस महामारी का प्रकोप देर से शुरू हुआ और इस वजह से उपचार और प्रबंधन के काम भी विलम्ब से शुरू हुए।



21 मार्च के बाद से इस कोरोना नामक महामारी ने बच्चों का स्कूल जाना ही मुहाल कर दिया। छोटे बच्चों के स्कूल ही नहीं बड़े बच्चों और कॉलेज जाने बच्चों का भी घर से निकलना बंद है। 22 मार्च को पहले जनता कर्फ्यू के नाम पर बच्चों- बड़ों का घर से बाहर न निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वो आज तक जारी है। बच्चे-बड़े सब स्कूल- कॉलेज जाना चाहते हैं लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी कोरोना महामारी से बने हालात इतने गंभीर हैं कि बच्चों को कम से कम सितम्बर से पहले स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं होगा। 

भारत ही नहीं दुनिया के सभी स्कूलों के लिए विशेषज्ञों की यही सलाह है। भारत में तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर इतने चिंतित भी हो गए हैं कि उन्होंने यह कहना भी शुरू कर दिया है कि जब तक कोरोना के टीके की खोज नहीं हो जाती, तब तक बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाना चाहिए। इसके लिए भारत में “नो वेक्सीन, नो स्कूल ” जैसे अभियान की शुरुआत भी हो चुकी है और बेहद अच्छी बात यह भी है कि भारत के इस अभियान को पश्चिम के यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों में न केवल सराहा जा रहा है बल्कि भारत के इस अभियान से ही दुनिया के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने ही अब सरकारों और स्कूल प्रबंधकों को यह सलाह देनी शुरू कर दी है कि कोरोना से बचने के लिए सितम्बर तक स्कूल और कॉलेज न खोले जाएं।

ऐसा कहने वाले वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों में वो लोग शामिल हैं जो लोग कोरोना वायरस पर काम कर रहे हैं। अमेरिका की “अपशाट” नामक एक संस्था ने समाज के ऐसे लोगों से मिलने, बात करने के आधार पर तैयार की गई एक सर्वे रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्वे में जितने लोगों से स्कूल खुलने के मामले में बात की गई उनमें 70 फीसदी लोगों का यही कहना है कि सितम्बर- अक्टूबर से पहले स्कूल और कॉलेज खोलना बच्चों के लिए खतरनाक है।

इस सर्वे में यह बात भी उभर कर सामने आई कि स्कूल और कॉलेज जैसी सार्वजानिक संस्थाओं को अब खोला तो जा सकता है लेकिन इन संस्थाओं में बच्चों को बुला कर उनको खतरे में डालना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं होगा। इसलिए इस सर्वे में शामिल होने वाले सभी लोगों ने इस राय से सौ फीसदी सहमति जताई कि बच्चों को सितम्बर- अक्टूबर से पहले स्कूल नहीं भेजा जाए। ये बात उन देशों की है जहां कोरोना का प्रकोप भारत से पहले शुरू हुआ था और लॉकडाउन के चलते स्कूल-कॉलेज के बंद होने की प्रक्रिया भी भारत से काफी पहले शुरू हो गई थी, इन देशों में ही लोग यह कहने लगे हैं कि सितम्बर-अक्टूबर से पहले बच्चों को स्कूल भेजना तो दूर भेजने की बात सोचना भी बेवकूफी होगी।

छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि कॉलेज जाने वाले बड़े बच्चों के लिए भी अभी खतरा टला नहीं है। विदेश की इस पृष्ठभूमि में अगर हम अपने देश भारत में लगभग तीन महीने की बंदी के बाद स्कूल कॉलेज फिर से खोलने की बात करें तो हमको बहुत गंभीरता से इस बारे में सोचना होगा। एक तो हमारे देश में इस महामारी का प्रकोप देर से शुरू हुआ और इस वजह से उपचार और प्रबंधन के काम भी विलम्ब से शुरू हुए। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह भी है कि हम यूरोप और अमेरिकी देशों की तरह चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाओं से लैस भी नहीं हैं इसलिए हमको अपने बच्चों को फिर से स्कूल भेजने के मामले में और गहराई से सोचना होगा।

एक चर्चा इस बाबत शुरू तो हुई है कि करीब तीन महीने से घर पर बैठे स्कूल और कॉलेज के बच्चे अब जल्दी ही अपने स्कूल और कॉलेज जा सकेंगे। केंद्र सरकार इस बारे में जल्द ही कोई फैसला लेने भी वाली है। पर जिस पृष्ठभूमि में हम इस मुद्दे पर चर्चा करते आये हैं उस पृष्ठभूमि पर गंभीरता से विचार करें तो हमें बच्चों को जल्दी में स्कूल भेजने के अपने विचार को फिलहाल ठन्डे बस्ते में ही डालना होगा। बच्चों को स्कूल भेजने की बात ठन्डे बस्ते में डालनी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हमारे देश के शिक्षा (मानव संसाधन विकास) मंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने अभी हाल ही में एक विदेशी टीवी चैनल को दिए गए अपने एक साक्षात्कार में इस आशय के संकेत दिए हैं कि सरकार देश के स्कूल- कॉलेज को फिर से खोलने के मामले में जल्द ही कोई फैसला ले सकती है और जल्द ही स्कूल खोलने की तिथियों का एलान भी हो सकता है।

इस साक्षात्कार की खबर को मीडिया में कुछ इस तरह स्थान दिया गया था कि कोरोना वायरस के चलते करीब तीन महीने से घर में बैठ कर पढ़ाई कर रहे देश के 33 करोड़ से ज्यादा छात्रों के लिए राहत भरी खबर है कि जल्दी ही देश के 16 मार्च से बंद स्कूल और कॉलेज खोल दिए जायेंगे। यह बात सही है कि देश के बंद पड़े स्कूलों और कॉलेज के ये करोड़ों छात्र और छात्रएं अपने संस्थानों के लम्बे समय से बंद रहने के चलते भ्रम की स्थिति में हैं और वो जल्द से जल्द अपने स्कूल – कॉलेज जाना भी चाहते हैं लेकिन वैश्विक स्तर पर जो हालात बन रहे हैं उसमें सितम्बर के दूसरे पखवाड़े से पहले स्कूल -कॉलेज खोलने की बात सोचनी भी नहीं चाहिए। यही वो समय भी है जब सरकार ने कोरोना प्रकोप के सामान्य होने की बात भी कही है। 

गौरतलब है कि हमारे मानव संसाधन विकास मंत्री ने अपने इंटरव्यू में अगस्त के बाद स्कूल- कॉलेज खोलने की बात कही है। इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि अगस्त के बाद कब सरकार स्कूल- कॉलेज खोलने जा रही है? अगस्त के बाद की यह तिथि 1 सितम्बर भी हो सकती है और 1 या नवम्बर कुछ भी। लिहाजा शिक्षा मंत्री को एक निश्चित तिथि बतानी चाहिए कि सरकार कोरोना की तमाम घरेलू और वैश्विक स्थितियों को समझने और उनके अनुरूप एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित करके देश के स्कूल और कॉलेज खोलने पर विचार कर रही है।