पीछे हटा चीन, सीमा विवाद पर बातचीत को तैयार


भारत चीन को काफी हद तक यह बताने में भी कामयाब रहा है कि चीन इस तरह की गलतफहमी में न रहे कि अगर दोनों देशों के बीच किसी तरह का सैनिक विवाद हुआ तो भारत कमजोर पड़ जाएगा। यही नहीं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी इसी बीच यह बयान भी दे दिया कि उनका देश ऐसी किसी भी परिस्थिति में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर बने किसी भी तरह के विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है।



बदली हुई परिस्थितियों में भारत ने चीन को ताजा सीमा विवाद के मामले में टका सा जवाब देने के साथ ही अपने  परिपक्व  कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया है। भारत ने चीन को यह अहसास तो करा ही दिया है कि अब वह उसकी गीदड़ भभकियों से डरता नहीं बल्कि उसका मुकाबला करने की ताकत भी रखता है। यह भारत के कूटनीतिक रण कौशल का ही परिणाम है कि जो चीन सोमवार 25 मई और मंगलवार 26 मई 2020 तक नेपाल का सन्दर्भ लेते हुए भारत को आंखें दिखा रहा था उसे बुधवार 27 मई को भारत स्थित अपने राजदूत के हवाले से यह कहने को बाध्य होना पड़ा कि भारत और चीन के बीच किसी तरह का कोई सीमा विवाद नहीं है। दोनों में से किसी भी देश को एक दूसरे से किसी भी तरह का खतरा भी नहीं है। 

वर्तमान परिस्थितियों में भारत चीन को काफी हद तक यह बताने में भी कामयाब रहा है कि चीन इस तरह की गलतफहमी में न रहे कि अगर दोनों देशों के बीच किसी तरह का सैनिक विवाद हुआ तो भारत कमजोर पड़ जाएगा। यही नहीं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी इसी बीच यह बयान भी दे दिया कि उनका देश ऐसी किसी भी परिस्थिति में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर बने किसी भी तरह के विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। 

हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान का वैसे तो कोई मतलब नहीं है लेकिन चीन को यह जरूर समझ में गया कि भारत को चीन के खिलाफ होने वाले किसी भी तरह के विवाद में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का भरपूर सहयोग हासिल है अगर चीन की तरफ से भारत पर हमला करने की कोई कोशिश की गई तो चीन को वैश्विक बिरादरी से तिरस्कार और अपमान के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होगा। चीन को यह भी समझ में आ गया है कि सामरिक स्तर पर भी आज भारत की जो तैयारी है उसके आधार पर भारत को युद्ध में मात देना आसान काम नहीं है और इस तरह भारत के साथ किसी भी तरह के संभावित युद्ध में फजीहत चीन की ही होगी।

इसलिए चीन ने न केवल लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच अचानक शांति का राग अलापना शुरू कर दिया बल्कि दूसरी तरफ उसने अपने पिछ्लग्गू देश नेपाल को भी यह समझा दिया है कि वो इस वक़्त भारत- तिब्बत सीमा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में भारत द्वारा सड़क बनाए जाने के मामले को तूल न दे। चीन की सलाह मानते हुए ही नेपाल ने भी फिलहाल भारत के साथ नक्शा विवाद मामले को तूल देना ही उचित समझा। यही वजह है कि नेपाल सरकार ने इस संबन्ध में वहां की संसद में रखे गए को विधेयक वापस ले लिया है। 

गौरतलब है कि मंगलवार 26 मई को चीन ने लद्दाख सीमा पर विवाद के चलते अपनी सेना को किसी भी वक़्त युद्ध के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए थे लेकिन अचानक ही इसके अगले दिन बाद बुधवार 27 मई शांति का राग अलापना शुरू कर दिया था। इस कड़ी में पहले चीनी विदेश मंत्री ने सीमा विवाद के मामले में भारत के साथ स्थिति को पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण में बताया। वहीं दूसरी तरफ चीन के भारत स्थित राजदूत ने मतभेदों को बातचीत के जरिए मिटाने पर जोर दिया। अपनी बात को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सम्बन्ध के रूप स्थापित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि चाइनीज ड्रैगन और भारतीय हाथी एक साथ नृत्य कर सकते हैं।  

प्रसंगवश यह उल्लेख आवश्यक भी है कि जिस तरह हमारे देश की सांस्कृतिक परंपरा में गणेश को शुभंकर के रूप में सम्मान दिया जाता है उसी तरह चीन में ड्रैगन को नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसी तथ्य की तरफ इशारा करते हुए चीनी राजदूत ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत-चीन के बीच शांति ही एकमात्र और सही विकल्प है। उन्होंने मतभेद समाप्त करने का हवाला देते हुए कहा कि दो देशों के बीच आपसी मतभेद का असर आपसी संबंधों पर नहीं पड़ना चाहिए। गौरतलब है कि इस वर्ष मध्य मई से ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है। चीनी सैनिकों के भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण के बाद दोनों सेनाएं उस इलाके में डंटी हुई हैं। जानकारों का कहना है कि चीन के शांति संबंधी बयान को जमीन पर देखना होगा। जहां चीन सीमा संबंधी धारणा को बदलना चाहता है। 

भारत में चीन के राजदूत सन विडोंग ने कंफेडरेशन ऑफ यंग लीडर्स मीट को संबोधित करते हुए भारत और चीन के रिश्तों को प्रगाढ़ करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हमें कभी भी अपने मतभेदों को अपने रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। हमें इन मतभेदों का समाधान बातचीत के जरिए करना चाहिए। विडोंग ने आगे कहा कि चीन और भारत कोविड-19 के खिलाफ साझी लड़ाई लड़ रहे हैं और हम पर अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ करने की जिम्मेदारी है। चीनी राजदूत ने सम्मेलन में मौजूद युवाओं को भारत और चीन के रिश्तों को समझने का आह्वान करते हुए कहा कि हम एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं।

गौरतलब है कि एक तरफ चीन लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों का राग अलाप रहा था तो दूसरी तरफ चीन के ही इशारे पर नेपाल ने कालापानी और लिपुलेख को अपनी सीमा में शामिल कर बनाए गए नए नेपाली नक्शे को वहा के विपक्ष ने ही खारिज कर दिया था। इस संबन्ध में पहले ही अपनी दो टूक राय रख चुका था। इस मामले में भारत ने साफ़ कहा भी था कि नेपाल बातचीत के लिए उपयुक्त माहौल बनाए। दोनों देशों के बीच रिश्तों में तब तनाव आ गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह नेपाली सीमा से होकर जाती है। भारत ने नेपाल के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि सड़क पूरी तरह से उसकी सीमा में है।