अगले महीने शुरू होगा नए संसद भवन का निर्माण कार्य


नए संसद भवन का निर्माण कार्य इस साल के अंतिम महीने दिसम्बर में शुरू कर दिया जाएगा और दो साल बाद अक्टूबर 2022 तक नया भवन बन कर तैयार भी हो जाएगा। समीक्षा बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधित विभिन्न एजेंसियां नियमित आपस में तालमेल रखते हुए विभिन्न मुद्दों का समाधान करें।



आजादी के बाद बने हमारे मौजूदा संसद भवन के मुकाबले नया संसद भवन कई मामलों में एकदम भिन्न होगा। नए संसद भवन में हर सांसद का अपना एक कमरा होगा। कई मीटिंग कक्ष होंगे, खूबसूरत लाबी होगी, बड़ा सा भोजन कक्ष तथा बहुत सारी अलग तरह की सुविधाएं होंगी जो अभी उपलब्ध नहीं हैं। अभी तो कार्यालयों तक के लिए कमरों का अभाव है लेकिन नए भवन में आज के साथ ही आने वाले समय की जरूरतों को भी ध्यान में रख कर भवन निर्माण की योजना बनाई गई है।

केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय और लोकसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले दिनों एक उच्च स्तरीय बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी थी। इस जानकारी के मुताबिक स्थितियां सामान्य रहीं तो दो साल के बाद हमारा नया संसद भवन वजूद में आ जाएगा। नया संसद भवन, संसद के मौजूदा गोलाकार भवन से कई मामलों में भिन्न होगा।

नया संसद भवन आकार में भी बड़ा होगा और इसका डिजाइन भी अलग होगा। नए भवन के वास्तुकार, नियोजक और तकनीकी विशेषज्ञ भी भिन्न होंगे तो भवन की साज सज्जा भी नए जमाने के अनुरूप बदली हुई ही होगी। कैसी होगी नए भवन की साज सज्जा, कैसा होगा इसका आकार और सुविधाओं के लिहाज से यह नया भवन मौजूदा संसद भवन से किस तरह भिन्न होगा और तमाम सुविधाओं के साथ यह नया भवन कब से काम करना शुरू कर देगा, यही सब जानने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों, तकनीकी विशेषज्ञों और नीति नियोजकों की एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया था।

इस बैठक में केन्द्रीय शहरी विकास और आवास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी हिस्सा लिया था। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सम्बंधित अधिकारियों को स्पष्ट रूप से यह अवगत करा दिया था कि नए संसद भवन के निर्माण कार्य में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। संसद भवन का निर्माण कार्य और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने की गारंटी के साथ निर्माण के लिए निर्धारित समयावधि में पूरा होना चाहिए।

इस बैठक में, जिसे लोकसभा सचिवालय ने समीक्षा बैठक नाम दिया था, लोकसभा अध्यक्ष को नए भवन की विशिष्टताओं की जानकारी देने के साथ ही यह जानकारी भी दी कि नए भवन के निर्माण के दौरान संसद के मौजूदा भवन के आसपास संसदीय प्रक्रिया के संचालन और अन्य गतिविधियों के संचालन की व्यवस्था बनाए रखने के लिए किस तरह के उपाय किये जायेंगे। यही नहीं सम्बंधित अधिकारियों ने लोकसभा अध्यक्ष को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि नए संसद भवन के निर्माण के दौरन धूल-मिट्टी के उड़ने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए किस तरह के उपाय किये जायेंगे।

इस सम्बन्ध में एक निगरानी समिति गठित करने पर भी फैसला लिया गया और यह भी तय हुआ कि इस समिति में संसद के लोकसभा सचिवालय के साथ ही, केन्द्रीय शहरी विकास और आवासन मंत्रालय, केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग और स्थानीय निकाय के नई दिल्ली नगर पालिका परिषद् जैसे संस्थाओं के भवन निर्माण से जुड़े अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक़ अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि नए संसद भवन का निर्माण कार्य इस साल के अंतिम महीने दिसम्बर में शुरू कर दिया जाएगा और दो साल बाद अक्टूबर 2022 तक नया भवन बन कर तैयार भी हो जाएगा। समीक्षा बैठक में परियोजना के विभिन्न पहलुओं और कार्य की प्रगति की समीक्षा करते हुए ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधित विभिन्न एजेंसियां नियमित आपस में तालमेल रखते हुए विभिन्न मुद्दों का समाधान करें।

वैसे तो अभी संसद के नए भवन की कोई विशेष जरूरत नहीं थी लेकिन समय के अनुरूप बदली परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने नए भवन के निर्माण का फैसला लिया ताकि भविष्य में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए। नया संसद भवन कई मामलों में बेजोड़ बताया गया कि नए भवन में प्रत्येक सांसद के लिए एक अलग कार्यालय कक्ष होने के साथ एक बड़ा लाउंज, आधा दर्जन समिति कक्ष और एक विशाल भोजन कक्ष होगा। नए संसद भवन में एक संविधान कक्ष भी अलग से होगा जिसमें भारतीय संविधान की एक मूल प्रति और एक डिजिटल प्रति प्रदर्शित की जायेगी।

नया भवन वजूद में आने के बाद कई दशक तक चर्चा में बना रहेगा और लोग धीरे-धीरे मौजूदा संसद भवन को भूल भी जायेंगे। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि नए और प्रस्तावित संसद भवन की चर्चा करते हुए हम मौजूदा संसद भवन के निर्माण के इतिहास पर भी एक नजर जरूरी है। हमारा वर्तमान संसद भवन भी दुनिया भर के संसद भवनों में वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों में एक माना जाता है।

गौरतलब है कि इस भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों सर एडविन लुटिय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी। इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।

इसके निर्माण पर 83 लाख रूपये की लागत आई थी। हमारे इस विशाल वृत्ताकार भवन का व्यास 560 फुट (170.69 मीटर) है और इसकी परिधि एक मील की एक तिहाई 536.33 मीटर है तथा यह लगभग छह एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) क्षेत्रफलमें फैला हुआ है। इसके प्रथम तल पर खुले बरामदे के किनारे-किनारे क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तंभ हैं और प्रत्येक स्तंभ की ऊंचाई 27 फुट (8.23 मीटर) है।

भवन के 12 द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित द्वारा सं.1 मुख्य द्वार है, भवन के वास्तुशिल्प में भारतीय परंपरा की गहरी छाप मिलती है। भवन के भीतर और बाहर फव्वारों की बनावट, भारतीय प्रतीकों “छज्जों” के प्रयोग जो दीवारों और खिड़कियों पर छाया का काम करते हैं और संगमरमर से बनी तरह-तरह की “जाली” प्राचीन इमारतों और स्मारकों में झलकते शिल्प कौशल का स्मरण कराते हैं। इसमें भारतीय कला की प्राचीन विशेषताओं के साथ ध्वनि व्यवस्था, वातानुकूलन, साथ-साथ भाषांतरण और स्वचालित मतदान आदि जैसी आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियां भी शामिल हैं।

भवन का केन्द्रीय तथा प्रमुख भाग उसका विशाल वृत्ताकार केन्द्रीय कक्ष है। इसके तीन ओर तीन कक्ष लोक सभा, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पहले प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) हैं और इनके मध्य उद्यान प्रांगण है। इन तीनों कक्षों के चारों ओर एक चार मंजिला वृत्ताकार भवन है, जिसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों के कक्ष, दलों के कार्यालय, लोकसभा तथा राज्य सभा सचिवालयों के महत्वपूर्ण कार्यालय और साथ ही संसदीय कार्य मंत्रालय के कार्यालय हैं।

प्रथम तल पर तीन समिति कक्ष संसदीय समितियों की बैठकों के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसी तल पर तीन अन्य कक्षों का प्रयोग प्रेस संवाददाता करते हैं जो लोकसभा और राज्य सभा की प्रेस दीर्घाओं में आते हैं। भवन में छह लिफ्ट प्रचालनरत हैं जो कक्षों के प्रवेशद्वारों के दोनों ओर एक-एक हैं। केन्द्रीय कक्ष शीतल वायुयुक्त है और कक्ष (चैम्बर) वातानुकूलित हैं। भवन के भूमि तल पर गलियारे की बाहरी दीवार प्राचीन भारत के इतिहास और अपने पड़ोसी देशों से भारत के सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाली चित्रमालाओं से सुसज्जित है।