कोरोना : एक संग्राम

कोरना संग्राम एक ऐसी महामारी के रूप में सामने आया है, जिसकी रोकथाम का न तो कोई टीका ही अभी तक बन पाया है और न ही इलाज के लिए कोई दवा ही अभी तक उपलब्ध है। टीका और दवा बनाने की खोज का दावा स्वामी रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद आश्रम से लेकर अमेरिका, जापान, ब्रिटेन स्वीडेन और जर्मनी तक की अनेक बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां कर तो रही हैं लेकिन न तो दवा उपलब्ध है और न ही टीका। इसका इलाज है भी और नहीं भी।

कोई कहे या ना कहे, कोरोना एक संग्राम ही तो है। चीन के वुहान से पूरी दुनिया में फ़ैली यह महामारी एक संग्राम है इसीलिए तो इस रोग के इलाज, रोकथाम और वैकल्पिक प्रबंधन में लगे स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों को अंगरेजी के एक नए  गढ़े गए शब्द, “कोरोना वारियर” से संबोधित किया जाता है। कोरोना एक अलग किस्म का संग्राम है। यह संग्राम न तो दो इंसानों के बीच है, न यह दो देशों के बीच किसी तरह के सीमा विवाद का तनाव है। दो समूहों के बीच किसी तरह का संघर्ष भी नहीं है कोरोना। यह तो ऐसा संग्राम है जिसके खिलाफ पूरी दुनिया लड़ रही है और यह संग्राम पूरी मानवता के लिए जीवन मरण का सवाल बन गया है। 

कोरना संग्राम एक ऐसी महामारी के रूप में सामने आया है, जिसकी रोकथाम का न तो कोई टीका ही अभी तक बन पाया है और न ही इलाज के लिए कोई दवा ही अभी तक उपलब्ध है। टीका और दवा बनाने की खोज का दावा स्वामी रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद आश्रम से लेकर अमेरिका, जापान, ब्रिटेन स्वीडेन और जर्मनी तक की अनेक बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां कर तो रही हैं लेकिन न तो दवा उपलब्ध है और न ही टीका। इसका इलाज है भी और नहीं भी।

लोगों के संक्रमण से फैलने वाली इस महामारी का एक ही इलाज है कि लोग एक दूसरे से मिलें ही नहीं। लोगों के आपस में न मिलने का मतलब है कि सब कुछ बंद कर लोग अपने-अपने घरों में रहें, मतलब लॉकडाउन। लॉकडाउन के परिणाम भी अच्छे ही नजर आये। पूरी दुनिया ने इसे आजमाया और पाया कि लोग घरों में रहें तो इस महामारी को फैलने से तो कम से रोका ही जा सकता है। लॉकडाउन कोरोना महामारी के सन्दर्भ में एक कारगर उपाय या प्रयोग तो हो सकता है लेकिन इसे स्थायी रूप से लागू करना भी संभव नहीं है। दुकान से लेकर ऑफिस-स्कूल, खेत-खलिहान और कारखाने बहुत लम्बे समय तक बंद भी नहीं रख सकते। ऐसा करने पर महामारी के साथ-साथ भयंकर बेरोजगारी और आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। 

मार्च के अंतिम सप्ताह से लागू किये गए लॉकडाउन का असर इस रूप में भी देखने को मिला है इसीलिए लगभग ढाई महीने की बंदी के बाद जून के पहले सप्ताह से स्कूल को छोड़ कर दूसरी जगहों को धीरे- धीरे खोलने का सिलसिला भी शुरू किया गया लेकिन कोरना का संक्रमण है कि ख़त्म होना तो दूर कम होने का ही नाम नहीं ले रहा है। आंकड़ों के फेर में न भी पड़ें तो भी यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि हमारे देश में कोरोना के केस हमारी आबादी का लगभग 50 फीसदी हो गए हैं और यह सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।

कोरोना संग्राम के इस दौर में एक बात जरूर राहत देने वाली है कि हाल के दिनों में कोरोना के मरीज तो जरूर बढ़ रहे हैं लेकिन उनके ठीक होकर घर जाने की रफ़्तार और संख्या भी शुरुआती दौर की तुलना में कहीं बेहतर हो गई है। इसके साथ ही एक अच्छा पहलू यह भी है कि अब कोरोना से होने वाली मौतें भी पहले से कम हुई हैं। इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि पहले अस्पताल से ठीक होकर घर जाने वाले मरीज कम हुआ करते थे अब हालात इसके विपरीत हैं। 

अब लॉकडाउन के अलावा भी कई दूसरे उपाय लोगों की समझ में आने लगे हैं इसलिए कह सकते हैं कि कोरोना संग्राम का सामना करना पहले के मुकाबले अब थोडा आसान हो गया है। फिर भी खतरा टला नहीं है। कोरोना संग्राम की दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह महामारी 10 साल तक के बच्चों और 60 साल से उपर के बुजुर्गों के लिए बहुत कष्टप्रद है। ये सबसे पहले इसका शिकार होते हैं। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति, दिल, फेफड़े, जिगर और गुर्दे की किसी बीमारी से ग्रस्त है और किसी वजह से ऐसा व्यक्ति कोरोना की चपेट में भी आ गया है तो उसे ठीक होने में समय भी अधिक लगता है और कोरोना के ऐसे ही मरीजों की इलाज के दौरान जान भी ज्यादा जाती है।

कोरोना का यह संग्राम तो अभी कुछ दिन और चलेगा लेकिन अगर सावधानी और धैर्य से काम लें तो इस संग्राम पर आसानी से विजय भी हासिल की जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखें उन्हें घर से बाहर न जाने दें। परिवार के अन्य सामान्य उम्र के सदस्य भी बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाएं। बाहर रहने के दौरान सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का कड़ाई के साथ पालन करें, घर वापस आने पर सबसे अपने कपडे बदलें साबुन से हाथ धोएं, बेहतर हो कि अच्छी तरह से नहा ही लें। घर के बाहर मास्क जरूर पहने और किसी भी चीज को अपने नंगे हाथों से स्पर्श न करें, घर के बाहर होने पर जहां तक हो सके हाथ में दस्ताने पहने रहें। यह एक ऐसा वायरस है जो पलट कर वार करने में भी सक्षम है।

हाल ही में कोरोना मुक्त हुए देश न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने कहा भी था कि कोरोना का वायरस बाद में भी आक्रमण कर सकता है लिहाजा उनकी सरकार ने इसके लिए भी पूरी तैयारी कर रखी है। चीन में जहां से इस महामारी का फैलाव शुरू हुआ था वहां रक बार फिर इसने दस्तक दी है। लिहाजा कोरोना के सन्दर्भ में इसकी वापसी को रोकने के भी पर्याप्त इंतजाम करने होंगे   

 

First Published on: June 15, 2020 7:38 AM
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