
संजीव पांडेय
पूरी दुनिया इस समय कोरोना से परेशान है। दुनिया के हर देश अपनी ताकत के हिसाब से कोरोना से मुकाबला कर रहा है। एक तरफ पूरी दुनिया में लोग बीमारी से मर रहे है। एक तरफ दुनिया के तमाम देशों कों अपनी खराब होती अर्थव्यवस्था को लेकर भारी चिंता है। आखिर अर्थव्यवस्था खराब होगी तो लोग भूख से मरेंगे। इसकी चिंता बड़ी ताकतों को भी है। लेकिन एक चीन का हिसाब-किताब देखिए। इस मुसीबत काल में चीन शरारत से बाज नहीं आ रहा है।
चीन कई फ्रंट पर अब शरारत कर रहा है। चीन दुनिया भर में कई कंपनियों के शेयर खरीदने की कोशिश कर रहा है। वो दुनिया भर में उन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जों कंपनियां कोरोना संकट के कारण भारी दबाव में है। जिनके शेयर मूल्य कोरोना संकट के कारण गिर गए है। वहीं दूसरी तरफ चीन पूरी दुनिया को महंगी और मुहंमांगी कीमत पर कोरोना से निपटने के लिए जरूरी बॉयोमेडिकल उपकरण उपलब्ध करवा रहा है। दिलचस्प बात है कि मुंहमांगी कीमत के बाद भी चीन दुनिया के घटिया माल की आपूर्ति कर रहा है।
दुनिया के तमाम मुल्कों के सिस्टम में घुसपैठ कर चुके चीन के एजेंट चीन को इस कोरोना संकट काल में मुनाफा कमाने में मदद कर रहे है। इस कारण दो से तीन गुणा कीमतों पर चीन दुनिया भर में बॉयोमेडिकल उपकरण बेच रहा है। लेकिन चीन ने एक और बड़ी शरारत की है। संकट की इस घड़ी मे चीन ने साउथ चाइना सी में अपनी शरारत बढ़ा दी है। वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया के दावे वाले इलाके में चीन ने टकराव शुरू कर दिया है।
कोरोना संकट के इस काल में चीन साउथ चाइना सी में वियतनाम से पंगा लेकर बैठ गया। चीन के कोस्टगार्ड शीप और वियतनाम के फिशिंग शीप के बीच टकराव हो गया। वियतनाम के फिशिंग शीप पार्सल दीप के पास था। इसे चीनी कोस्टगार्ड के शीप ने टक्कर मार कर भारी नुकसान कर दिया। इस पर वियतनाम ने घोर आपति जतायी है। दरअसल पार्सल दीप पर चीन अपना अधिकार जताता है। जबकि साउथ चाइना सी के एक हिस्से पर वियतनाम की भी दावेदारी है।
2अप्रैल को हुई इस घटना के बाद चीन की करतूतों से पूरी दुनिया नाराज है। क्योंकि इस समय पूरी दुनिया का ध्यान कोरोना से निपटने में लगा है। लेकिन चीन इस मौके का फायदा साउथ चाइना सी में उठाना चाहता है। दरअसल दोनों मुल्कों के बीच साउथ चाइना सी में लंबे समय से विवाद है। जिन इलाकों पर वियतनाम का दावा है, उसी इलाकों को चीन अपना मानता है। दरअसल चीन इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में साउथ चाइना सी पर अपनी दावेदारी का केस हार चुका है। 2016 में ही इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने साउथ चाइना सी पर चीन की दावेदारी को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इसके बावजूद चीन ने इस आदेश की धज्जियां लगातार उडायी है।
दरअसल कोरोना संकट से पहले भी साउथ चाइना सी में चीन के कोस्टगार्ड की गतिविधियां तेज हो गई थी। 2019 में साउथ चाइना सी में चीन और फिलीपींस के बीच टकराव हो गया था। फिलीपींस और चीन के बीच भी कुछ साउथ चाइना सी के कुछ आइलैंड को लेकर विवाद है। फिलीपींस ने दावा किया था कि 2019 के मध्य में साउथ चाइना सी चीन के में कम से कम 275 चाइनीज वेसेल नजर आए थे। ये फिलीपींस के कब्जे वाले थीटू आइलैंड के पास देखे गए थे। थीटू आईलैंड फिलीपींस के कब्जे में है।
वियतनाम और चीन के बीच 2 अप्रैल को हुए विवाद के बाद फिलीपींस सक्रिय हो गया। फिलीपींस के विदेश विभाग ने ब्यान जारी कर बताया कि चीन लगातार साउथ चाइना सी में अपनी बदमाशी कर रहा है। विदेश विभाग के अनुसार 2019 में फिलीपींस के फिशिंग बोट पऱ भी चीन के वेसेल ने रीड बैंक के पास टक्कर मारी गई थी। इससे भारी नुकसान हुआ था औऱ कई मछुआरे मरते-मरते बचे थे। रीड बैंक फिलीपींस के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन में आता है। इस संबंध में इंटरनेशनल ट्रिबयूनल ने फिलिपींस के पक्ष में फैसला दिया था।
लेकिन साउथ चाइना सी में मामला वियतनाम या फिलीपींस तक ही नहीं समाप्त होता है। इस साल जनवरी में चीन के फिशिंग बोटों ने इंडोनेशिया के समुद्री इलाके में मौजूद नटुना रीजेंसी दीप समूह के इलाके में घुसपैठ करने की कोशिश की। यह साउथ चाइना सी के साउथ में स्थित है। इंडोनेशिया ने चीन के फिशिंग बोटों की इंडोनेशिया के समुद्री इलाके में घुसपैठ पर सख्त एतराज जताया।
इंडोनेशिया ने आरोप लगाया कि उसके एक्सकलूसिव इकनॉमिक जोन में चीन के फिशिंग वेसेल ने घुसपैठ की और इंडोनेशिया के नौसैनिकों ने चीनी फिशिंग बोटों को अपने समुद्री इलाके से भगाया। दरसअल इंडोनेशिया और चीन के बीच संबंध फिलहाल अच्छे है। हालांकि चीन लगातार उन मुल्कों के साथ भी धक्का करता रहा है जिनके साथ उसके अच्छे संबंधों का दावा रहा है। यही कारण है कि इंडोनेशिया से अच्छे संबंधों के बावजूद चीन ने इंडोनेशिया के समुद्री इलाके में घुसपैठ की। जबकि इंडोनेशिया लगातार चीन के साउथ चाइना सी पर पूरी दावेदारी को खारिज करता रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)