कोरोना एक दवा अनेक


भारत की कम से कम 30 दवा कंपनियां वैक्सीन के रूप में कोरोना की दवाई ढूंढ़ने के काम में बहुत तेजी और इमानदारी से लगी हैं। कहा जा रहा है कि ऐसी कम से कम 5 वैक्सीन तो एकदम उपयोग के लिए तैयार हैं। संकेत भी साफ़ तौर पर मिलते हैं कि भारत में कोरोना का असर प्राकृतिक रूप से ख़त्म हो या न हो लेकिन हम दवा और वैक्सीन की खोज कर इसका काम तमाम अवश्य कर देंगे। उम्मीद पर दुनिया कायम है और दुनिया जहां को इस खुशी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार भी है।



कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है लेकिन कोरोना की दवा इजाद करने का दावा दुनिया का एक देश नहीं अनेक देशों के लोग और सरकारें भी करने लगी हैं। पिछले महीने ही भारत के केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ स्थित एक राष्ट्रीय चिकित्सा शोध संस्थान ने कुछ इस तरह का दावा किया था कि उसके वैज्ञानिक कोविड 19 नामक वायरल रोग के इलाज का टीका यानी वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं। कहा यह भी गया था कि यह टीका जल्दी ही उपयोग में भी आने लगेगा। कुछ दिन बाद बात आई गई हो गई। 

अब भारत के ही सन्दर्भ में यह भी कहा जाने लगा है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली से भी इसका इलाज संभव है, यही नहीं, कहा यह भी जा रहा है कि केंद्र सरकार ने आयुर्वेद की ऐसी ही दवा का परीक्षण करने की स्वीकृति भी दे दी है और सौ से अधिक कोरोना मरीजों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। बताते हैं कि केरल की एक निजी आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी को इस दवा का परीक्षण करने की स्वीकृति दी गई है और अगर परीक्षण के परिणाम संतोषजनक रहे तो इस आयुर्वेदिक दवा का व्यावसायिक उत्पादन करने की अनुमति भी दी जायेगी। 

कहते हैं कि देश के कई इलाकों में इस दवा का उपयोग काफी पहले से सर्दी-खांसी-जुकाम और वायरल बुखार का इलाज करने में किया जा रहा है और इसके परिणाम भी संतोषजनक बताये जाते हैं। इस आयुर्वेदिक दवा की खोज के बारे में हिंदी के एक दैनिक अखबार में एक खबर भी प्रकाशित हुई है लेकिन पूरी खबर में न तो इस दवा का नाम कहीं है और न ही उस दवा कंपनी का ही कहीं नाम है जिसने यह दावा किया है। बात इसी एक दवा कंपनी की ही नहीं है, हमारा देश कोरोना बीमारी का इलाज खोजने के मामले में इतना आगे बढ़ गया है कि बल्कि दो दर्जन से अधिक कंपनियों के इस काम में लगे होने की बात भी सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि भारत की कम से कम 30 दवा कंपनियां वैक्सीन के रूप में कोरोना की दवाई ढूंढ़ने के काम में बहुत तेजी और इमानदारी से लगी हैं। कहा जा रहा है कि ऐसी कम से कम 5 वैक्सीन तो एकदम उपयोग के लिए तैयार हैं।

बताते हैं कि प्रधानमंत्री की एक विशेषज्ञ समिति को भी इसकी जानकारी होने की बात भी कही जा रही है। इस तरह की बातचीत से ये  संकेत भी साफ़ तौर पर मिलते हैं कि भारत में कोरोना का असर प्राकृतिक रूप से ख़त्म हो या न हो लेकिन हम दवा और वैक्सीन की खोज कर इसका काम तमाम अवश्य कर देंगे। उम्मीद पर दुनिया कायम है और दुनिया जहां को इस खुशी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार भी है। 

कोविड 19 का इलाज खोजने की इस मुहीम में भारत अकेला नहीं है। इस्रायल समेत दुनिया के कई देश कोरोना की दवा और वैक्सीन बनाने का दावा कर चुके हैं। इस्रायल का दावा तो इतना  मजबूत है कि उसने अपनी दावों और वैक्सीन का भारत के साथ मिल कर व्यापार और बाजार करने की पेशकश भी भारत सरकार से कर दी है। भारत ने भी अपने मित्र इस्रायल देश की दवा को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने में सहयोग करने का वादा भी कर लिया है। कुछ अजीब सा नहीं लगता कि एक तरफ तो भारत अपने स्तर पर कोरोना की दवाई और वैक्सीन की खोज का दावा करता है और दूसरी तरफ इस्रायल की इस तरह की खोज में उसका मददगार बनने से पीछे भी नहीं रहना चाहता।
अब असली सच क्या है ये तो भविष्य में ही पता चल सकेगा लेकिन विरोधाभासों के दौर में हर तरफ कोरोना की दवा खोजने के दावे तो फिलहाल तेजी पर हैं ही। इस्रायल से पहले अमेरिका ने भी इस वक़्त कोरोना वायरस के जबरदस्त संकट से इस वक्त जूझ रही दुनिया को इससे निजात दिलाने के लिए वैक्सीन की खोज कर लेने का दावा किया था और अमेरिकी प्रशासन की तरफ से बार – बार सुविचारित तरीके से यह बात प्रचारित करने की कोशिश भी की जाती रही कि अब तक इसके इलाज के लिए वैकल्पिक दवा की खोज नहीं हो सकी थी अमेरिका के वैज्ञानिक लगातार इसकी खोज में लगे हुए थे। दुनिया की सबसे बड़ी ताकत लगातार यह बात कहती रही कि अमेरिका की कई नामी कंपनियां कोरोना वायरस बीमारी (कोविड -19) के खिलाफ टीके विकसित करने जुटी हैं।

इधर कुछ दिनों से यह भी कहा जाने लगा था कि अमेरिका को कोरोना विरोधी अपने अभियान में सफलता मिल चुकी है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐसी दवा खोज ली है। कहा यह भी गया कि अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज फाइजर इंक ने अपने प्रयोगात्मक वैक्सीन पहले अमेरिकी रोगियों पर ट्राई की है और रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने कहा कि इसके काम न करने पर एक अन्य एंटीबॉडी उपचार उपलब्ध हो सकता है। ये दवा के जून में पहली बार मनुष्यों में अध्ययन के लिए उपलब्ध होगी। गिलियड साइंसेज इंक दुनिया भर में उपयोग के लिए अपने वायरस उपचार के विनिर्माण का विस्तार करने के लिए काम कर रहा है। फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बोरला ने एक बयान में कहा,”चार महीने से भी कम समय में हम प्रीक्लिनिकल स्टडीज से मानवों पर परीक्षण कर सकेंगे। इसी तरह का दावा अब इस्रायल ने भी कर दिया है। 

गौरतलब है कि इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट का कहना है कि उनके देश के वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस को मरीज के शरीर में ही खत्म कर देने वाले एंडीबॉडी को तैयार करने में बड़ी सफलता मिली है। अब इस टीके को पेटेंट कराने और उसके व्यापक पैमाने पर उत्पादन की दिशा में काम हो रहा है। कहा जा रहा है कि यह टीका मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करता है और बीमार लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस को खत्म कर देता है। भारत, अमेरिका और इस्रायल के बाद अब इटली ने भी कोरोना वायरस का तोड़ ढूंढ निकालने का दावा किया है। इटली ने भी इस्रायल की तरहएंटी बॉडीज खोजने की बात की है जो वायरस को मरीज के शरीर के अन्दर ही ख़त्म कर देते हैं।