
यह लॉकडाउन कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो रहा है। कोरोना से अब तक 50 लोग भी नहीं मरे हैं और 5000 लोग भी उसके मरीज़ नहीं हुए हैं लेकिन शहरों और कस्बों में काम-धंधे बंद हो जाने के कारण अब लाखों मजदूर और छोटे-मोटे कर्मचारी अपने गांवों की तरफ कूच कर रहे हैं। क्यों कर रहे हैं? क्योंकि उन्हें हर शाम अपनी मजदूरी मिलनी बंद हो गई है। जो लोग कारखानों और दफ्तरों में ही सो जाते थे, उनमें ताले पड़ गए हैं।
देश भर के इन करोड़ों लोगों के पास खाने को दाने नहीं हैं और सोने को छत नहीं है। वे अपने गांवों की तरफ पैदल ही चल पड़े हैं। उनके बीवी-बच्चे भी हैं। उनके पेट और जेब दोनों ही खाली हैं। अपने गांवों की तरफ दौड़े जा रहे मजदूर, कर्मचारी और छोटे व्यापारी हैं, ये लोग भूख के मारे क्या रास्ते में ही दम नहीं तोड़ देंगे? मरता, क्या नहीं करता? रास्ते में घर और दुकानें बंद हैं? इनके पास अपनी जान बचाने का अब क्या रास्ता बचा रहेगा? क्या लूट-पाट और मार-धाड़ नहीं होगी?
कोरोना से ज्यादातर वे ही लोग पीड़ित है, जो विदेश-यात्राओं से लौटे हैं और उनके संपर्क में आए हैं। जो मजदूर, किसान, छोटे कर्मचारी और छोटे विक्रेता गांवों की ओर भाग रहे हैं, उनका कोरोना से क्या लेना-देना है? देशव्यापी लाकडाऊन ने करोडों लोगों को जीते जी मार दिया है, 50 लोग भूख से मर चुके हैं, लाकडाऊन सरासर ग़लत निर्णय है, इसे तुरंत हटाना चाहिए।
कोरोना साधारण वायरस है, मात्रा तीन दिन तक भाप लेने, गर्म पानी, नींबू पानी आदि से ठीक हो जाता है। किसी टैस्ट व दवा की जरूरत नहीं। लोग कोरोना से नहीं कोरोना के लिए दी जाने वाली दवाईयों से मरते हैं, धूप हवा से वंचित कर देने से मरते हैं या फिर वह लोग मरते हैं जो पहले से अस्थमा, मधुमेह, टीवी, खून की कमी आदि रोगों से पीड़ित हैं, मांस, अंडे, शराब का प्रयोग करते हैं, नियमित रूप से अमरुद मौसमी आदि फलों का प्रयोग नहीं करते।
कोरोना के बारे में सब नेता व मीडिया भ्रमित हैं या बिकाऊ हैं। कोरोना के लिए टैस्ट, वैक्सीन, दवायें, मास्क, वैंटीलेटर, लाकडाऊन, कर्फ्यू सब बड़ी-बड़ी कम्पनियों का मकड़जाल है। इटली स्पेन अमेरिका में इस प्रकार के फ्लू से हर साल 20-25 हजार लोग मरते ही हैं कोई नई बात नहीं। भारत में भी सैंकड़ों लोग मरते हैं कोई नई बात नहीं। शूगर, टीवी, ब्लड प्रेशर, हार्ट, कैंसर आदि से तो हर साल लाखों लोग मरते हैं। आवश्यकता है साफ-सफाई व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की न कि 130 करोड़ लोगों को घरों में कैद करने की।