
दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ ही एक महानगर भी है। राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण दिल्ली को एक केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा भी दे दिया गया है जबकि आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से दिल्ली को न केंद्र शासित प्रदेश कहा जा सकता है और न ही दिल्ली कोई स्वायात्त्शासी पूर्ण राज्य ही है। क्षेत्रफल और आबादी के घनत्व को देखते हुए दिल्ली भी मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बंगलुरू जैसा एक महानगर ही है लेकिन जब किसी सन्दर्भ में दिल्ली को मिलने वाली सुविधाओं, उपलब्धियों या समस्याओं को तुलनात्मक रूप से देखा जाता है तो इसकी गिनती भी एक राज्य के हिसाब से ही की जाती है।
ऐसा ही कुछ कोरोना के सन्दर्भ में भी हुआ है। हैरानी की बात है कि कोरोना से बीमार होने वालों की संख्या के हिसाब दिल्ली देश के महानगरों में ही नहीं बल्कि राज्यों से भी आगे बढ़ गया है। मंगलवार 23 जून 2020 तक की तारीख तक मामलो की ही बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के रिकॉर्ड मामले सामने आ गए हैं। इन नए मामलों को मिला कर दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 66,000 के आंकड़े को पार कर गई है और इस बीमारी के कारण दिल्ली में इस तारीख तक 2,301लोगों की मौत भी हो चुकी थी।
दिल्ली में कोरना संक्रमितों और कोरोना से होने वाली मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है इसलिए केंद्र सरकार की मदद से दिल्ली की सरकार कोरोना से बचाव के कुछ ख़ास इंतजाम भी करने जा रही है। इस बीच राहत की बात यह है कि बीमार होने वालों के साथ ही अब दिल्ली में ठीक होकर घर जाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। अब ऐसे लोगों का प्रतिशत 56 प्रतिशत हो गया है। उधर मरने वालों का प्रतिशत घाट रहा है जो थोडा सुकून तो देता है लेकिन दिल्ली के सन्दर्भ में कोरोना को लेकर चिंता की बात यह है कि आलोच्य तिथि (23 जून 2020) तक 24 घंटे के दौरान कोरोना संक्रमण के कारण 68 मौतें हुई थी दिल्ली में वर्तमान में 24,988 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 39,313 लोग ठीक हो चुके हैं।
राष्ट्रीय सन्दर्भ में देखने पर पता चलता है कि भारत में अब तक कोरोना के मरीजों की संख्या चार लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है और राहत की बात यह है कि इनमें अब तक दो लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितों का इलाज सफल रहा है। इसके साथ ही आलोच्य तिथि तक पूरे देश में कोरोना की वजह से 14 हजार लोग अपनी जान गवां चुके हैं। देश में अब तक कोरोना संक्रमण के 440215 मामले सामने आये हैं जिनमें करीब ढाई लाख लोग ठीक होकर घर भी जा चुके हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने एक नए तरीके से सर्वे कराने की योजना भी बनाई है। सीरो सर्वे के नाम से मशहूर इस सर्वे में किसी स्थान पर हर समूह के लोगों के रक्त के नमूनों (ब्लड सैंपल) की जांच कर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जाता है। इससे बिना लक्षण वाले वैसे मरीजों की पहचान हो सकेगी, जो संक्रमण के बावजूद किसी तरह ठीक हो गए। राजधानी के 50 से भी अधिक क्लस्टर इलाकों में लोगों की खून जांच कर एंटीबॉडी का पता लगाया जाएगा इस दौरान करीब 20 हजार से अधिक लोगों की जांच करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके लिए केंद्रीय स्तर की टीमों ने जिलेवार योजना तैयार कर ली है। सीरो सर्वे का काम शुरू होने के दो से तीन सप्ताह बाद इसके परिणाम सामने आ सकते हैं। जिलास्तर पर चिकित्सीय टीमें कंटेनमेंट और बफर जोन के अलावा कुछ चिह्नित क्षेत्रों में जाकर लोगों की जांच करेंगी। एंटीबॉडी किट्स के जरिये करीब आधे घंटे में ही संक्रमण के खिलाफ शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी का पता चल सकेगा। इस अध्ययन के बाद यह पता चल सकेगा कि दिल्ली में कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें जाने-अनजाने में कोरोना हुआ और वह ठीक भी हो गए हैं।
दरअसल कोरोना वायरस के दिल्ली में लगभग 65 फीसदी मरीज बिना लक्षण वाले हैं। यानी उन्हें कोरोना संक्रमण तो है लेकिन कोई लक्षण नहीं है। इन लोगों में संक्रमण का पता तब चल रहा है। दिल्ली में इस तरह के ख़ास सर्वे की जरूरत इसलिए भी पड़ी क्योंकि दिल्ली में दिल्ली में कोरोना वायरस का एक अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के बाद भी यहां एक निश्चित गति से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। लॉकडाउन हटने के बाद इसमें तेजी आई है। कुछ जिलों में संक्रामक दर 70 फीसदी तक पाई गई है। ऐसे में संक्रमण के फैलाव की जानकारी बेहद जरूरी है। ताकि संक्रमण के विस्तार के अनुसार अब तक के प्रयासों में जरूरी बदलाव किए जा सके।
30 जून तक कंटेनमेंट जोन के सभी घरों की स्क्रीनिंग कर ली जाएगी। 6 जुलाई तक दिल्ली के हर एक घर को स्क्रीन करने का प्लान है। यह कवायद नए कोविड रेस्पांस प्लान के तहत है जो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संग सीएम की पिछले हफ्ते हुई बैठकों में बना। दूसरी तरफ, ICMR ने अपनी कोविड-19 टेस्टिंग स्ट्रैटजी बदल दी है। अब ‘देश हर हिस्से में सभी सिमप्टोमेटिक व्यक्तियों’ को टेस्ट करने का फैसला किया गया है। कंटेनमेंट जोन में पुलिस सीसीटीवी के जरिए लोगों का मूवमेंट रोकेगी। इन इलाकों में रैपिड ऐंटीजेन टेस्टिंग होगी। कंटेनमेंट जोन के सारे सिम्प्टोमेटिक और एसिम्प्टोमेटिक केसेज को 5वें और 10वें दिन टेस्ट किया जाएगा। टेस्टिंग और आइसोलेशन को तेज करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। घनी आबादी वाले इलाकों में मरीजों को कोविड-19 केयर सेंटर्स भेजने की व्यवस्था होगी। 27 जून से शुरू होने वाली इस कवायद के नतीजे 10 जुलाई को जारी किए जाएंगे।