कोरोना सामुदायिक संक्रमण


भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की वास्तविकता को जानने-समझने के लिए देश के दस प्रमुख शहरों के साथ ही कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में यह सर्वे कराना शायद इसलिए भी जरूरी समझ गया है क्योंकि भारत में हर दिन मरीजों के आंकड़ों में रेकॉर्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।



भारत में कोरोना के एक नए खतरे ने सांकेतिक दस्तक देनी शुरू कर दी है। कोरोना का यह नया खतरा है इसका सामुदायिक संक्रमण यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन। कोरोना का ये एक ऐसा खतरा माना जाता है जिसे कोविड 19 नामक इस बीमारी का तीसरा और खतरनाक चरण माना जाता है। इस बारे में यह भी कहा जाता है कि कोरोना के इस चरण में संक्रमण समुदाय से फैलता है और इसके फैलने की रफ़्तार भी तेज होती है। संक्रमण फैलने के अनुपात में ही इस रोग से मरने वालों की संख्या में भी बड़ी तेजी से इजाफा होता है। 

कोरोना के बारे में अभी तक यही माना जा रहा था कि यह वायरस सामुदायिक संक्रमण से नहीं फैलता है यानी किसी समुदाय में इस वायरस के होने का मतलब यह नहीं माना जा रहा था कि हवा के माध्यम से इसके वायरस उस समुदाय के दूसरे सदस्यों को भी संक्रमित कर सकते हैं। अभी तक की मान्यता के अनुसार कोरोना एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से ही फैलता है, इसलिए इस रोग से बचे रहने के लिए सोशल दिस्टेंसिंग को रोकथाम के एक उपाय के रूप में देखा जा रहा था और इसी वजह से लॉकडाउन को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल भी किया गया। लॉकडाउन के चलते जब लोग अपने घरों से बाहर ही नहीं निकलेंगे, कहीं किसी तरह की भीड़ नहीं होगी सब कुछ बंद ही रहेगा तो कोरोना वायरस से बचे रहने की संभावनाएं भी ज्यादा ही होंगी।

इस मान्यता के विपरीत अगर हवा के जरिये कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंकाएं हों तो इसे एक गंभीर खतरे के रूप में ही देखा जाना चाहिए। इसी तथ्य के मद्देनजर अब सरकार ने देश के प्रमुख शहरों और कोरोना से ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक विशेष तरह का सर्वे कराने का फैसला भी लिया गया है। इस विशेष सर्वे को, “सैरो सर्वे” नाम दिया गया है। भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की वास्तविकता को जानने-समझने के लिए देश के दस प्रमुख शहरों के साथ ही कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में यह सर्वे कराना शायद इसलिए भी जरूरी समझ गया है क्योंकि भारत में हर दिन मरीजों के आंकड़ों में रेकॉर्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।    

 विगत 24 और 25 मई के बीच ही कोरोना वायरस के 7 हजार केस सामने आए हैं। वहीं मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 4 हजार पार हो गई है। सर्वे के लिए भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और दूसरी एजेंसियों नेप्रोटोकॉल भी तैयार कर किए हैं। सबसे ज्यादा मामलों वाले मुंबई, दिल्ली, पुणे, अहमदाबाद, ठाणे, इंदौर, जयपुर, चेन्नई और सूरत हैं।  भारत में कोरोना मरीजों के लगातार बढ़ रहे मरीजों की बड़ी वजह क्लोज कॉन्टैक्ट है। आईसीएमआरका दावा है कि करीबी संपर्क में आने से कोरोना वायरस के प्रसार की दर काफी अधिक तेज हो जाती  है। ऐसे में फिजिकल डिस्टेंसिंग, पर्सनलहेल्थ और इंफेक्शन कंट्रोल जैसे कदम महामारी के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी हैं।

 इस अध्ययन में इटैलियन पर्यटकों संक्रमण के पहले क्लस्टर में सामने आए तथ्यों को साझा करते हुए आईसीएमआर ने भी कहा कि लक्षण न दिखने वाले मामलों में संक्रमित के करीबी संपर्कों की जांच अहम है। आईसीएमआर ने इस बात पर जोर दिया कि महामारी के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए करीबी संपर्कों का पता लगाकर उन्हें आइसोलेट रखने के लिए काफी अहम  है। गौरतलब है कि मार्च-अप्रैल में 16 इटैलियन पर्यटकों और एक भारतीय में  संक्रमण के क्लस्टर की विस्तृत जांच की गई थी। आईसीएमआर की संबंधित अध्ययन रिपोर्ट इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR)में ऑनलाइन प्रकाशित हुई। इटली के 23 पर्यटकों का एक समूह 21 फरवरी को तीन भारतीयों के साथ नई दिल्ली पहुंचा था। ये लोग राजस्थान में कई पर्यटन स्थलों पर गए।

 समूह में शामिल 69 वर्षीय एक इटैलियन शख्स को 29 फरवरी को जयपुर स्थित सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। उसे बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण थे। जांच में वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। उसकी 70 वर्षीय पत्नी को बीमारी का कोई लक्षण नहीं था, लेकिन जांच में वह भी संक्रमित पाई गई। पतिपत्नी दोनों को आइसोलेट कर दिया गया समूह के शेष 24 सदस्य (21 इटैलियन और तीन भारतीय) दो मार्च को एक ही ट्रेन बोगी से दिल्ली लौट आए और उन्हें भी आइसोलेट कर दिया गया। शुरू में ये सभी बिना लक्षण वाले थे।

तीन मार्च को उनके गले और नाक से नमूने लेकर जांच की गई जिनमें से 15(14 इटैलियन और एक भारतीय) लोग कोरोना वायरस से संक्रमित मिले। इन लोगों को आइसोलेशन में रखा गया। इस तरह तीन मार्च तक 26 लोगों में से 17 कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए और संक्रमण की यह दर 65।4 प्रतिशत थी।इन 17 रोगियों में से नौ लक्षणयुक्त थे और आठ में कोई लक्षण नहीं था लक्षण वाले नौ लोगों में से छह को हल्का बुखार था, एक की हालत गंभीर थी और दो बुरी तरह बीमार थे।