COVID-19 : लॉकडाउन से मुक्ति !

तीन चरणों में लॉकडाउन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सरकार और जनता को यह समझ में आ सका कि वास्तव में यह विपदा है क्या और इस समस्या से किस तरह निपटा जा सकता है। दवा तो अभी तक नहीं बन सकी है लेकिन अस्पतालों में इसके इलाज की तरीके तो खोज ही लिए गए हैं। और यह भी अच्छी तरह से समझ में आ गया है कि एहतियात के तौर पर इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है और कितना काम हम कर चुके हैं।

जैसे-जैसे लॉकडाउन-4 के दिन एक-एक कर कम होते जा रहे हैं, वैसे ही वैसे इससे मुक्ति के संकेत भी स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। इसमें दो राय नहीं कि कोरोना से हिफाजत के लिए लॉकडाउन दवा न सही, दवा से कुछ कम भी नहीं है। तीन चरणों में लॉकडाउन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सरकार और जनता को यह समझ में आ सका कि वास्तव में यह विपदा है क्या और इस समस्या से किस तरह निपटा जा सकता है। दवा तो अभी तक नहीं बन सकी है लेकिन अस्पतालों में इसके इलाज की तरीके तो खोज ही लिए गए हैं। और यह भी अच्छी तरह से समझ में आ गया है कि एहतियात के तौर पर इससे बचाव के लिए क्या किया जा सकता है और कितना काम हम कर चुके हैं। 

यही नहीं, इस बीच करीब दो महीने की अवधि में इस रोग के विशेष इलाज के लिए विशेष अस्पतालों की भी व्यवस्था देश में हो ही चुकी है। इसलिए अब घरों में बंद रहने के बजाय लोग बाहर निकल कर घूमने- फिरने के साथ काम करने की बात करने लगे हैं। यही मनोदशा अब सरकार की भी बन रही है कि कोरोना से डर कर नहीं बल्कि उसे आदत में शुमार करके ही जीवन को आगे बढ़ाना होगा। कोरोना की आदत के साथ जीने का मतलब ही है कि लॉकडाउन के नाम पर घर में बंद होकर सिमट जाने का वक़्त अब नहीं रहा। जीवन को आगे बढ़ाने के लिए न केवल घर से बाहर निकलना होगा बल्कि लॉकडाउन की बंदिशों से भी पार पाना होगा। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए चौथे दौर के लॉकडाउन की व्यवस्था कुछ इस तरह बनाई गई है कि इसमें बंदिशें कम और रियायतें ज्यादा हों। इन्ही रियायतों को अगले चरण में और विस्तार दे दिया जाए। 

कह सकते हैं कि अगले दौर का लॉकडाउन अगर हुआ भी तो उसमें स्थितियां बहुत बदली होंगी या फिर पूरी तरह से लॉकडाउन मुक्त भी हो सकती है ये दुनिया और यह समाज। लॉकडाउन का यह चरण 31 मई को पूरा होना है। उसके बाद देश के ज्यादातर राज्य इससे मुक्त होना भी चाहते हैं। इसके साथ ही सरकार भी चाहती है कि इस दौरान तमाम तरह की गतिविधियों के बंद रहने से आर्थिक तंत्र को जो नुक्सान पहुंचा है उसकी भरपाई के लिए कारखानों और दफ्तरों में नए सिरे से काम काज शुरू होना भी बहुत जरूरी है। चौथे चरण के लॉकडाउन में इस दृष्टि से कुछ रियायतें दी भी गईं हैं और 31 मई के बाद इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए दफ्तरों और कारखानों के साथ ही स्कूलृ कॉलेज खोलने पर भी विचार किया जा सकता है। 

इसी तरह सम-विषम के सिद्धांत पर जिस तरह इस लॉकडाउन में कुछ बाजारों को खलने की अनुमति दी गई है उसी तरह अगली व्यवस्था में शौपिंग काम्प्लेक्स और माल को भी खोलने के आदेश दिए जा सकते हैं। यह सब इसलिए भी संभव लग रहा है क्योंकि लॉकडाउन के इस दौर में ही बसों और कारों के साथ ही सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों को भी सड़क पर चलने की अनुमति दी गई है। 25 मई से घरेलू उड़ानों को भी खोला जाना है। इस आशय के आदेश हो भी चुके हैं। शीघ्र ही बुकिंग भी शुरू हो जायेगी और उम्मीद के मुताबिक़ इस महीने के अंतिम दिन या फिर अगले महीने की पहली -दूसरी तारीख से घरेलू विमानों का परिचालन भी विधिवत शुरू हो जाएगा।

सरकार ने तो जून के पहले सप्ताह से ही दो सौ से अधिक गैर वातानुकूलित रेल सेवाएँ शुरू करने की तैयारी भी पूरी कर ली है। ये सूचनाएं इस बात का संकेत भी देती दिखाई देती हैं कि अगर कोरोना के सन्दर्भ में  स्थितियां एकदम प्रतिकूल नहीं हुई और सब कुछ पूर्व निर्धारित योजना के हिसाब से ही चलता रहा तो 31 मई के बाद देश का नजारा एकदम बदला हुआ नजर आएगा। इस बदलाव के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुक्सान भी उठाने पड़ेंगे। इस बदलाव का सबसे अधिक नुक्सान तो पर्यावरण पर पड़ेगा। दो महीने के लॉकडाउन से जो आसमान अपने मूल स्वरूप में नीला दिखाई देने लगा है उसमें प्रदूषण के बदरंग कणों का असर एक बार फिर दिखाई देने लगेगा। नदियों का साफ़ पानी फिर से प्रदूषित होने लगेगा। समुद्र तटों में फिर से गन्दगी का साम्राज्य फैलने लगेगा और इंसान के डर से मुक्त होकर जिन वन्य पशुओं ने आबादी की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये थे, वो अब ठिठक कर रह जायेंगे और एक लम्बे सोपान के बाद सात समुन्दर पार कर साइबेरिया के जिन पक्षियों ने भारत आने का सिलसिला शुरू किया उनको भी अब अपने भारत प्रवास के बारे में सोचना पड़ेगा। 

बहरहाल ! लॉक डाउन से मुक्ति की तमाम उम्मीदों के बीच केंद्र और राज्यों की सरकारें बंधनों की तोड़ के नए -नए उपायों की घोषणा भी कर रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और इससे लगे दो राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने भी 18 मई से अपनी सीमाएं खोलने का एलान कर दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि 31 मई के बाद लॉकडाउन से मुक्ति के ये प्रावधान और साफ़ होंगे। अभी तो इन घोषणाओं में अस्पष्टता दिखाई देती है लेकिन धीरे-धीरे ये कुहासा भी हटेगा। लॉकडाउन से मुक्ति के ये प्रयास केवल हमारे देश में ही नहीं हो रहें हैं दुनिया के तमाम देशों में यही स्थिति बन रही है। 

प्रसंगवश यह कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह कोरोना की मार से बचने के लिए लॉकडाउन लागू करना जरूरी हो गया था उसी तरह लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी का जो माहौल पनपा है उससे मुक्ति के लिए लॉकडाउन से मुक्ति भी बहुत जरूरी है। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आने वाले समय में वैकल्पिक लॉकडाउन का यह सिलसिला बना कर रखना ही होगा। मतलब यह कि कुछ दिन तक लॉकडाउन जारी रखने के बाद उसे हटाना होगा और फिर कुछ दिन बाद वापस लॉकडाउन की शरण में जाना होगा। ऐसा करके ही हम कोरोना के कोप से खुद को बचा सकते हैं। जब तक दवा या वैक्सीन का विकल्प नहीं मिल जाया, कम से का तब तक तो इसी विकल्प से काम चलाना होगा। यह भी तय है कि कोरोना की दावा और वैक्सीन कब तक बनेगी इसके बारे में फिलहाल कुछ भी तय नहीं है।  

First Published on: May 22, 2020 6:14 AM
Exit mobile version