कोविड-19: इन्तजार तीन मई तक

15 अप्रैल से 3 मई तक बढ़ाई जाने वाली लॉकडाउन की यह अवधि प्रधानमंत्री के पूर्व में दिए उस कथन से मेल नहीं खाती जिसमें उन्होंने कोरोना से संग्राम में 21 दिन यानी तीन हफ़्तों की अवधि को इस रोग के उपचार के लिए अनुकूल बताया था। गौरतलब है कि पिछले महीने की 24 तारीख को जिस दिन प्रधानमंत्री ने रात के आठ बजे लॉकडाउन की घोषणा की थी। उस दिन कुछ इसी तरह के संकेत दिए थे कि कोरोना के उपचार में तीन हफ्ते तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना प्रकरण पर अपने ताजा संबोधन में वही घोषणा की जिसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। लग तो सभी को रहा था कि लॉकडाउन की अवधि में विस्तार होगा लेकिन पिछले कई दिनों से इस विस्तार की पूर्व सूचना देने वाले देश के तमाम टेलीविज़न चैनल इस विस्तार की निश्चित अवधि बताने में पूरी तरह असफल रहे। प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक अब 3 मई तक लॉक डाउन की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। 

गौर से देखें तो 15 अप्रैल से 3 मई तक बढ़ाई जाने वाली लॉकडाउन की यह अवधि प्रधानमंत्री के पूर्व में दिए उस कथन से मेल नहीं खाती जिसमें उन्होंने कोरोना से संग्राम में 21 दिन यानी तीन हफ़्तों की अवधि को इस रोग के उपचार के लिए अनुकूल बताया था। गौरतलब है कि पिछले महीने की 24 तारीख को जिस दिन प्रधानमंत्री ने रात के आठ बजे लॉकडाउन की घोषणा की थी। उस दिन कुछ इसी तरह के संकेत दिए थे कि कोरोना के उपचार में तीन हफ्ते तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करना जरूरी है।

इस विषय पर विगत मंगलवार 14 अप्रैल को सुबह दस बजे जब प्रधानमंत्री ने देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनके जन्म दिवस के मौके पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा की थी तब भी यह समझ में नहीं आया कि विस्तार की यह अवधि तीन मई तक क्यों सुनिश्चित की गई, क्योंकि इस अवधि तक तो विस्तारित लॉकडाउन की अवधि तीन सप्ताह से दो दिन कम 19 दिन की ही बनती है।

इसकी वजह यही हो सकती है कि तीन मई को रविवार है और सप्ताह की शुरुआत आम तौर पर सोमवार से ही मानी जाती है इसलिए कोरोना के चलते लॉकडाउन की अवधि सप्ताह के अंतिम दिन यानी शनिवार/रविवार तक सुनिश्चित की गई है ताकि दिन के हिसाब से सप्ताह की गड़ना में किसी तरह की दिक्कत सामने न आये। इस मुद्दे पर प्रधान मंत्री का राष्ट्र के नाम यह चौथा संबोधन था। इस सबंध में प्रधान मंत्री के पहले दो संबोधन रात को आठ बजे तीसरा संबोधन सुबह नौ बजे और चौथा संबोधन सुबह दस बजे संपन्न हुआ। 

प्रधानमंत्री के इस संबोधन की एक खासियत इस रूप में भी देखी जा सकती है कि उन्होंने देश को कोरोना से बचाने के तमाम उपायों को ध्यान में रखने के साथ ही लॉकडाउन के चलते देश को होने वाली तरह-तरह की परेशानियों को भी ध्यान में रखा है। अपने संबोधन के माध्यम से प्रधान मंत्री ने कोरोना की रोकथाम और देशवासियों की समस्याओं के समाधान के बीच एक संतुलन स्थापित करने की कोशिश भी की है। 

प्रधानमंत्री एक तरफ लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ कड़ाई से निपटने पर जोर देते हैं वहीं किसानों और दिहाड़ी मजदूरों को न्याय दिलाने की तरफ भी उनकी नजर जाती है। इसीलिए 20 अप्रैल के बाद उन राज्यों में जहां इस अवधि के दौरान कोरोना का कोई नया मामला सामने नहीं आता है और लोग लॉकडाउन के नियमों का इमानदारी से पालन करते दिखाई देते हैं वहां औद्योगिक और कृषि कार्य करने की अनुमति दिए जाने की घोषणा भी प्रधानमंत्री अपने संबोधन में करते हैं,पर इसके साथ ही प्रधानमंत्री देशवासियों को यह याद दिलाने से भी नहीं चूकते कि अगर किसी भी वजह से लॉकडाउन के उल्लंघन की बात सामने आई तो सरकार इस अनुमति को वापस लेने से बिलकुल भी संकोच नहीं करेगी। 

लॉकडाउन की अवधि को विस्तार देने के क्रम में प्रधानमंत्री ने यह भी साफ़ किया कि मौजूदा सन्दर्भ में लॉकडाउन के अलावा इस समस्या का कोई भी विकल्प नहीं है इसलिए देश के कई राज्य पहले ही लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने सप्तपदी की बात भी कही और देशवासियों से इन सात बातों पर विशेष ध्यान रखने का अनुरोध भी किया।

प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की विस्तारित अवधि में जिन सात बातों पर विशेष ध्यान देने का अनुरोध देश की जनता से अपने संबोधन में किया है उनमें हैं: एक-अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो, उनकी हमें विशेष देखभाल करनी है और उन्हें कोरोना से बहुत बचाकर रखना है। दो-लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें, घर में बने फेसकवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। तीन-अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। गर्म पानी, काढ़ा, इनका निरंतर सेवन करें।

चार- कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद करने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप जरूर डाउनलोड करें। दूसरों को भी इसे डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें। पांच- जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें, उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें। छह-आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करे। लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें और सातवीं बात-देश के कोरोना योद्धाओं, डॉक्टर-नर्स, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी का पूरा सम्मान करें।

अपने संबोधन के माध्यम से प्रधानमंत्री ने कहीं न कहीं विश्व समुदाय को भी यह सन्देश देने की कोशिश की है कि भारत ने अपने सीमित संसाधनों और तकनीकी जरूरतों की पर्याप्त उपलब्धता न होने के बाद जिस तरह से कोरोना महामारी को अभी तक नियंत्रित रखा है वो दुनिया के विकसित देशों के लिए एक मिसाल भी है। प्रधानमंत्री भारत में कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को और तेज करना चाहते हैं और उनकी कोशिश यही है कि जैसे भी हो भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब आगे कैसे बढ़े, हम विजयी कैसे हों, हमारा नुकसान कैसे कम हो, लोगों की दिक्कतें कैसे कम हो, अब ये सब ही भारत की प्राथमिकता है। 

इन बातों को लेकर अब हमारी चिंता यह भी है लॉकडाउन की इस विस्तारित अवधि के दौरान हमारी हर संभव कोशिश यही होनी चाहिए कि हमें अब कोरोना वायरस को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है। स्थानीय स्तर पर अब एक भी मरीज बढ़ता है तो ये हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। इसलिए हमें हॉटस्पॉट को लेकर बहुत ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। जिन स्थानों के हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका है उस पर भी हमें कड़ी नजर रखनी होगी।  

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साथियों, आज पूरे विश्व में कोरोना की जो स्थिति है, उसके मुकाबले भारत की स्थिति कहीं बेहतर कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा संकट है, जिसमें किसी भी देश के साथ तुलना उचित नहीं है। मगर फिर भी कुछ सच्चाइयों को नकार नहीं सकते। ये भी एक सच्चाई है कि दुनिया के सामर्थ्यवान देशों की तुलना में आज भारत बहुत ही संभली हुई स्थिति में है। 

(लेखक दैनिक भास्कर के संपादक हैं।)

First Published on: April 15, 2020 8:02 AM
Exit mobile version