दिल्ली : काबू में कोरोना


नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने दिल्ली में इस तरह का सर्वे कराने की योजना बनाई थी। उसी दौरान दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा था कि दिल्ली में कोरोना वायरस का एक अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है और लॉकडाउन के बाद भी यहां एक निश्चित गति से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है।



ऐसा लगता है, देश की राजधानी दिल्ली जिसे प्रशासनिक दृष्टि से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली भी कहा जाता है में कोरोना अब बे काबू नहीं रहा। कोरोना का असर तो अभी है लेकिन हालात नियंत्रण में हैं। कम से कम सरकारी एजेंसियों का दावा तो यही कहता है। सरकारी एजेंसियों ने अपने इस दावे के लिए उस सिरो सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आधार बनाया है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली का एक चौथाई नागरिक तो कोरोना वायरस का शिकार भी हुआ और अपने आप ठीक भी हो गया। मतलब यह कि दिल्ली के हर चौथे इंसान को कोरोना हुआ लेकिन उसके लक्षण बिलकुल दिखाई नहीं दिए इस बीच ऐसे इंसानों के शरीर में अन्दर ही अन्दर एंटी बॉडीज के नाम से कोरोना प्रतिरोधी जीवाणु पैदा हो गए जिससे कोरोना का असर नहीं हुआ और रोगी ठीक हो गया। किसी को पता भी नहीं चला, लोग बीमार भी पड़े और अपने आप ठीक भी हो गए। विज्ञान का एक रूप यह भी है। ये हालात आज के हैं। 

एक महीना पहले इसी दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर इतनी तेज थी कि चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। यह बात भी 22 -23 जून के आसपास की ही है जब यह कहा गया था कि दिल्ली में कोविड संक्रमितों की संख्या नए रिकॉर्ड तक पहुँच गई है। उस दिन दिल्ली में कोविड-19 के रिकॉर्ड 3,947 नये मामले सामने आये थे। जिससे राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के मामलों की संख्या 66,000 के आंकड़े को पार कर गई थी इतना ही नहीं तब सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ही यह जानकारी दी थी कि दिल्ली में न केवल कोरोना संक्रमितों की संख्या में रिकॉर्ड इजाफा हुआ बल्कि तब तक सरकारी अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस का शिकार होकर मरने वालों की संख्या भी 2,301 से अधिक हो  चुकी थी। उस दिन दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में कहा गया था कि पिछले 24 घंटों में संक्रमण के कारण 68 लोगों की कोविड से मौत भी हो चुकी थी।

राष्ट्रीय सन्दर्भ में तुलना करें तो तब तक दिल्ली के लिए राहत की बात यह थी कि तब तक देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 4 लाख से ज्यादा हो चुकी थी और 2 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितों का इलाज सफलतापूर्वक चल रहा था। तब तक देशभर में कोरोना संक्रमण ने देश के 14 हजार से ज्यादा लोगों की जान भी ले ली थी। आज के हालात में जब देश भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या दस लाख से काफी ऊपर पहुंच चुकी है तब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसके संक्रमितों की संख्या में तुलनात्मक रूप से कमी आना वास्तव में काबिले तारीफ़ ही कहा जाएगा।

गौरतलब है कि जिस सिरों सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना पर काबू हद तक काबू पा लिया गया है, वो सर्वेक्षण दिल्ली के अलावा देश के सभी महानगरों और लगभग दो दर्जन से अधिक राज्यों के उन प्रमुख शहरों में भी कराया गया था जहां कोविड के बढ़ते मामलों ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी थी। अभी तक केवल दिल्ली में कराये गए सिरों सर्वे के परिणाम ही सार्वजनिक किये गए हैं। 

गौरतलब यह भी है कि सिरों सर्वे एक ख़ास तरह का सर्वे होता है। जिसमें किसी स्थान पर हर समूह के लोगों के रक्त के नमूनों (ब्लड सैंपल) की जांच कर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जाता है। इससे बिना लक्षण वाले वैसे मरीजों की पहचान हो जाती है जिन्हें संक्रमण हुआ तो था लेकिन अपनी प्रतिरोधक क्षमता के कारण वह ठीक हो गए राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के फैलाव का पता लगाने के लिए कराये गए ऐसे ही सीरो सर्वे के नतीजे बताते हैं कि दिल्ली के एक चौथाई नागरिक कोरोना से प्रभावित तो जरूर हुए लेकिन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ने की वजह से उन्होंने रोग पर काबू भी पा लिया इस काम के लिए राजधानी के करीब 50 से भी अधिक क्लस्टर इलाकों में लोगों की खून जांच कर एंटीबॉडी का पता लगाया गया था। 

इस दौरान करीब 20 हजार से अधिक लोगों की जांच की गई थी। इस अध्ययन से ही यह पता चल सका है कि दिल्ली में कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें जाने-अनजाने में कोरोना हुआ और वह ठीक भी हो गए हैं दिल्ली में इस तरह की विशेष जांच इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि पूर्व में कराये गए सर्वेक्षणों से यह भी पता चला था कि दिल्ली में कोरोना वायरस के लगभग 65 फीसदी मरीज बिना लक्षण वाले हैं।

दिल्ली के सभी 11 प्रशासनिक जिलों में इस तरह का विशेष सर्वेक्षण कराना इसलिए भी जरूरी हो गया था क्योंकि पूरी दिल्ली इससे बुरी तरह प्रभावित थी और राजधानी होने की वजह से केंद्र सरकार के साथ ही देश के दूसरे राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधियों और विश्व के सभी देशों के राजनयिकों की मौजूदगी के चलते दिल्ली में कोरोना का बेतहाशा प्रसार एक राष्ट्रीय शर्म का पर्याय भी बन गया था।

इन्हीं तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने दिल्ली में इस तरह का सर्वे कराने की योजना बनाई थी। उसी दौरान दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा था कि दिल्ली में कोरोना वायरस का एक अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है और लॉकडाउन के बाद भी यहां एक निश्चित गति से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। इन हालात में केन्द्रीय गृह मंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच भी दिल्ली के बारे में कुछ ख़ास करने को लेकर सहमति बन चुकी थी। 

दिल्ली के हालत इतने गंभीर हो चुके थे कि कुछ जिलों में संक्रामक दर 70 फीसदी तक हो गई थी। ऐसे में संक्रमण के फैलाव की जानकारी भी बेहद जरूरी हो गई थी है। ताकि संक्रमण के विस्तार के अनुरूप इसकी रोकथाम के प्रयास किये जा सकें। दिल्ली के अलावा देश के 21 राज्यों के 69 जिलों में भी सीरो सर्वे हो चुका है। महानगर को केंद्र में रखते हुए दिल्ली को पहली बार इस तरह के सर्वे का हिस्सा बनाया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर कराये गए सर्वे के परिणाम से यह भी पता चलता है कि 0.78 फीसदी आबादी में संक्रमण के एंटीबॉडी मिले हैं, जबकि दिल्ली में तो एंटी बॉडीज मिलने की यहदरेक चौथाई यानी 25 फीसदी बताई जा रही है। इस सर्वेक्षण से पहले दिल्ली के जिलों में कोरोना संक्रमण की दर इस प्रकार थी -शाहदरा – 75.4, दक्षिणी पूर्वी-63.4,उत्तर पूर्वी -57, दक्षिणी पश्चिमी- 35,मध्य दिल्ली- 34.2,दक्षिणी दिल्ली- 28 और नई दिल्ली -22.3 फीसदी ।