अमेरिका में हर महीने एक अश्वेत की पुलिस दुर्व्यवहार से होती है मौत


अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ पुलिस हिंसा का रिकॉर्ड रखने वाले संगठन ‘मैपिंग पुलिस वॉयलेंस’ के मुताबिक 2013 से 2019 के बीच ही अमेरिकी पुलिस कार्रवाई में 7666 अश्वेत लोग मारे गए। यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला लगता है क्योंकि अमेरिका में अश्वेतों का हिस्सा वहां की श्वेत आबादी का महज 13 फीसदी ही है।



दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक कहलाने वाले पश्चिम के सबसे बड़े देश अमेरिका में पिछले कई दनों से हिंसक प्रदर्शनों का दौर जारी है। हैरानी की बात तो यह है कि खुद को दुनिया का एक सभ्य और आधुनिक देश कहलाने वाले अमेरिका में ये हिंसक प्रदर्शन इसलिए हो रहे हैं क्योंकि इसी देश के गोरे पुलिसकर्मी ने अपने ही देश के एक अश्वेत अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक की हत्या कर दी थी। गौरतलब है कि अमेरिका के मिनेसोटा में कुछ दिन पहले ही 46 वर्षीय अफ्रीकी स्मेरिकी जॉर्ज फ्लोयड नामक एक निजी सुरक्षाकर्मी की स्थानीय पुलिस के एक सिपाही ने अपने क्रूर और बर्बर व्यवहार से हत्या कर दी थी। इसी घटना के विरोध में पूरा अमेरिका उबल रहा है और इसके उबाल की तपिश अब पड़ोसी यूरोपीय देशों में महसूस की जानी लगी है। 

हिंसक प्रदर्शनों का आलाम यह है कि इससे अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास वाइट हाउस भी बचा नहीं रह सका। वाइट हाउस के बाहर हुआ प्रदर्शन भी इतना प्रभावशाली था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उनके सुरक्षाकर्मी वाइट हाउस में बने एक भूमिगत बंकर में ले जाने को मजबूर हो गए थे। अमेरिका में अश्वेतों पर होने वाली यह पहली घटना नहीं है। इस सभ्य और लोकतांत्रिक देश में अश्वेतों के साथ रंग भेद के नाम पर होने वाले भेदभाव का सिलसिला इसके उद्भव के समय में ही तब शुरू हो गया था जब यहां के स्थानीय आदिवासियों का संहार कर इस देश की बुनियाद रखी गई थी। इस देश के मूल निवासी तो रेड इंडियंस ही थे जिन्हें उजाड़ कर ही आज के अमेरिका का वजूद सामने आया। इसका एक पुराना इतिहास रहा है, दुर्भाग्य से अश्वेतों पर दुर्व्यवहार सिलसिला अमेरिका में कभी भी थमा नहीं था और आज भी बदस्तूर जारी है। 

अमेरिका में पुलिस की हिंसा वो भी खासकर अश्वेतों के खिलाफ पुलिस हिंसा का रिकॉर्ड रखने वाले संगठन ‘मैपिंग पुलिस वॉयलेंस’ के मुताबिक 2013 से 2019 के बीच ही अमेरिकी पुलिस कार्रवाई में 7666 अश्वेत लोग मारे गए। यह आंकड़ा इसलिए भी चौंकाने वाला लगता है क्योंकि अमेरिका में अश्वेतों का हिस्सा वहां की श्वेत आबादी का महज 13 फीसदी ही है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि अमेरिका में पुलिस की हिंसा में मारे जाने वालों में अश्वेत अमेरिकियों की संख्या श्वेत अमेरिकियों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा रही है। अमेरिका में हर महीने एक अश्वेत अमेरिकी की पुलिस दुर्व्यवहार से मौत हो जाती है। 

‘मैपिंग पुलिस वॉयलेंस’ के मुताबिक साल में ऐसा एक भी महीना नहीं बीता, जिसमें पुलिस के हाथों किसी अश्वेत की मौत न हुई हो। दिसंबर, 2019 में तो एक ही दिन में 9 से ज्यादा अश्वेत नागरिकों की मौत हुई। अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भड़की भारी हिंसा को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब वहां के एंटिफा (Antifa) को (एमएस-13 और अन्य के साथ) आतंकी संगठन घोषित करने के लिए विचार कर रहे हैं। ट्रंप ने हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका में सरकार का बर्ताव चाहे जैसा भी हो लेकिन आम अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लोइड की हत्या से बेहद दुखी और आक्रोशित है। यहां तक कि उस श्वेत पुलिसकर्मी की पत्नी ने तो इसी दुःख के चलते अपने पति को तलाक़ देने तक का फैसला कर लिया है। अमेरिका के बुद्धिजीवी, रंगकर्मी, संगीत और साहित्य प्रेमियों के साथ ही खेल जगत में भी इस घटना को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। 

अमेरिका में इस तरह की घटनाओं का सिलसिला 11 अगस्त 1965 की उस घटना की याद भी ताजा कर देता है जब लॉस एंजेल्स के वॉट्स में सामान्य यातायात नियंत्रण दंगों का कारण बन गया। श्वेत पुलिसकर्मियों और कार चलाने वाले अश्वेत व्यक्ति के परिवार के बीच वाद विवाद हुआ। इसके बाद लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हुई जो 21 साल के युवक की गिरफ्तारी के बाद भी बढ़ती रही और फिर पुलिस पर हमला हुआ। 30,000 लोगों की भागीदारी वाले ये दंगे हफ्ता भर चलते रहे। इनमें 34 लोग मारे गए और कई सैकड़ें घायल हुए। करीब चार करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। इसी तरह 1967 में न्यूजर्सी के न्यूयार्क में 12 जुलाई 1967 के दंगे भी एक अश्वेत चालक और श्वेत पुलिसकर्मी के बीच विवाद के साथ शुरू हुए। तब तक के सबसे गंभीर दंगे 23 जुलाई 1967 को डेट्रॉयट में शुरू हुए। 

अमेरिका वही देश है जहां 4 अप्रैल 1968 को अश्वेतों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग की जब टेनिसी के मेम्फिस में हत्या हुई थी। तो अमेरिका के कई शहरों में हिंसा भड़की, जिसमें 36 की मौत हुई और 2,000 लोग घायल हुए।1980 को मायामी फ्लोरिडा में नस्ली हिंसा हुई। उस साल आठ मई को अदालत ने चार ऐसे श्वेत पुलिसकर्मियों को निर्दोष करार दिया था जिन्होंने एक साल पहले एक अश्वेत मोटरसाइकिल चालक को रेड लाइट क्रॉस करने पर इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। इसी क्रम में 1992 की लॉस एजेंल्स की उस घटना को भी लिया जा सकता है। जिसमें पुलिस गिरे हुए एफ्रो अमेरिकी रॉडनी किंग को घेर कर खड़ी है और उसे लगातार डंडे से मार रही है। एक व्यक्ति इस घटना का वीडियो बना  रहा था। सुनवाई के बाद श्वेत अमेरिकी जूरी ने की और 29 अप्रैल 1992 को उन्हें बरी कर दिया गया। इस फैसले के विरोध में हुए दंगे में करीब 50 लोग मारे गए और2 हजार घायल हुए थे। इसी तरह 2001 को सिनसिनाटी में हुए गंभीर दंगे भी हमेशा याद रहेंगे जिसमें 800 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।