देशव्यापी शट डाउन तो हो गया क्योंकि कोरोना से देश को बचाने का कोई और विकल्प नहीं है. मोदी जी का यह फैसला सही है। लेकिन अब उन लोगों की तत्काल मदद की जरुरत है, जो बड़े शहरों में फंस गये हैं. परिवहन न मिलने के कारण एनसीआर से ही करीब पांच सौ मजदूर घबराहट में आज भी पैदल निकल पड़े। नोएडा एक्सप्रेस-वे में ग्रेटर नोएडा सीमा पर करीब दो दर्जन लोगों के जत्थे से मुलाकात हुई. सब.डरे हुए हैं। जगह जगह इन्हें पुलिसकर्मियों से मार खानी पड़ी है।
इस जत्थे की अगुवाई करने वाले बलिया जिले के रहने वाले हैं रामलाल। बीस साल से सोनीपत के ढाबे में उस्ताद यानी कुक हैं। मालिक ने शटडाउन होते ही रात में ढाबे से करीब तीस लोगों को निकाल दिया। यह जरूर है कि उसने सब को पूरे महीने की पगार दे दी। मिलते मिलाते तमाम दुखियारे रामलाल को मिल गये। कुछ जगह शरण पाने के लिए गये। यहां तक कि दिल्ली के हौजखास थाने भी गये। कहा कि सब को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में भिजवा दो साहब। दरोगा जी ने कहा, जुर्म नहीं किया। सो कैसे गिरफ्तार कर लें।
रामलाल ने दरोगा जी के पैर पकड़ लिए। कहा साहब फर्जी केस बनवा दो लेकिन बात नहीं बनी। इतना जरूर हुआ कि उन्होंने सब को पेट भरकर छोले भठूरे खिलवा दिया। इसी बीच रामलाल ने एक सिपाही को दो हजार का प्रस्ताव दे दिया कि गांजा तस्कर बनाकर ही अदंर करा दो। इस पर हरियाणवी सिपाही जी भड़क गये। बहन की गाली देकर बोले,क्या यूपी वाली भुक्कड़ पुलिस समझ रखा है सो वहां से तड़के ही हनुमानजी का नाम लेकर चल पड़े हैं। एक की ससुराल जेवर इलाके में है। मोबाइल पर बात हुई है वो कहे हैं, सब लोग गांव में आ जाओ, पूरा महीना रहो, कोरोना की ऐसी तैसी। इसी भरोसे पर जान हथेली पर रख के जा रहे हैं।
पूरी टोली हनुमान चालीसा का जाप कर रही थी।जब रामपाल की मदद के लिए जेब से दो हजार का नोट बढ़ाया,तो उसकी आंखों में आंसू.आ गये। वो बोले साहब आप ने प्यार के दो शब्द ही.बोल दिये बहुत है। सबके पास पगार के पैसे हैं चाचा. सो, अपने पैसे से किसी और की.मदद कर देना।
बातों बातों में रामलाल ने बताया कि वो मोदी जी का भक्त रहा है। इस बार उसे रंज है कि देश बंद करते हुए उन जैसे करोड़ों लोगों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? बीच में पचास वर्षीय गंगा आ गयी। बोली सारे नेता झूठे हैं। गरीब का साथी केवल गरीब होता है। कलियुग में भगवान भी अमीरों की मदद करता है। मैं कितने व्रत करती रही हूं,बताओ वो मदद कहां कर रहे हैं ? इतना कहकर वो फफक पड़ी। एक ने समझाइश दी। भगवान हमारी परीक्षा ले रहे हैं। गंगा को गुस्सा और आया. बोली,ये कैसो भगवान है. जो मजदूरों की ही परीक्षा लेत हैं। मैं चुप हो गया तो रामलाल ने हाथ जोड़कर कहा ,राम राम ! करीब दस मिनट की ये मुलाकात मुझे भी भावुक कर गयी। जत्था जय हनुमान का जयकारा लगाता आगे बढ़ गया!