अफगानिस्तान व पाकिस्तानी वर्जन के इस्लाम से भारत को सावधान रहना होगा


पाकिस्तान के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रस्तुत रिपोर्ट और उसमें हिन्दू भारत के खिलाफ संघर्ष का आह्वान साथ ही अफगानिस्तान में देवबंदी फिरके के इस्लाम का शासन जिसे आदर्श इस्लामिक राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया है, उससे भारत के हुक्मरानों को डरने की जरूरत है। हालांकि इससे चीन, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों को भी डरना चाहिए लेकिन फिलहाल तो इसकी जद में भारत का आधुनिक लोकतंत्र ही है।


गौतम चौधरी
मत-विमत Updated On :

देखते ही देखते लोकतांत्रिक अफगानिस्तान, इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान में बदल गया है। बोलचाल की भाषा में कहते हैं, ‘‘नाम तो बस नाम होता है, नाम में क्या रखा है’’ लेकिन यह नाम कोई साधारण नाम नहीं है। नाम के साथ ही पूरी व्यवस्था है। यानी अब अफगानिस्तान में वह संविधान लागू है जो आज से लगभग 1500 साल पहले अरब पर शासन करने वालों ने बनाया था। अरबी कानून से भी अफगानिस्तान के आधुनिक शासक तालिबान ने वह तत्व उठाए हैं, जो पुरूषों और धार्मिक नेताओं को दैवी शक्ति प्रदान करता है।

अब्राहिमवादी सेमेटिक चिंतन में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अधिकार को शून्य बताया गया है। इस चिंतन के व्याख्याकारों का मानना है कि दुनिया को बनाने वाला एक मात्र सुपर पावर गॉड, अल्लाह है। उसी ने पूरी दुनिया बनाई। वह सबसे ताकतवर है और सबका मालिक भी है। इस एकेश्वरवादी चिंतकों का मानना है कि उस महातकवर का कोई स्वरूप नहीं है। इस दुनिया को ठीक करने के लिए उसने समय-समय पर आपने बेटे और संदेशवाहकों को धरती पर भेजा। संदेशवाहाकों के साथ उसने कुछ नियम कानून भी भेजे, जिसे बाद में किताब की तरह बनाया गया। वही किताब इस चिंतन के मानने वालों का कानून बन गया।

महाबली परमात्मा ने जितने संदेशवाहक या अपने बेटों को धरती पर भेजा उनके अनुयायियों ने यही कहा कि बस हमारा नबी ही अंतिम था और उसने जो भी कहा वह महाबली परमात्मा की आवाज थी। परम आदरणीय अब्राहम, मूसा, इसा जैसे अनेक संदेश वाहकों के माध्यम से महाबली परमात्मा ने अपनी बात दुनिया को बताते रहे हैं। उन्हीं बातों में से एक पवित्र कुरान भी है। इस्लाम के अनुयायी इसे अल्लाह का कानून मानते हैं और उसी पर अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देते हैं।

अफगानिस्तान अब उसी पवित्र कुरान की आयतों से संचालित हो रहा है। इधर अभी हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश की सुरक्षा पर एक रिपोर्ट पेश की है। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान को यदि किसी से खतरा है तो वह भारत है। पाकिस्तानी हुक्मरानों की यह कोई नई कवायद नहीं है। पाकिस्तान अपने निर्माण काल से ही यह मान कर चल रहा है कि उसका देश पवित्र मुस्लिम भूमि है और भारत हिन्दू राष्ट्र है। भारतीय मानें या न माने लेकिन पाकिस्तान के नेता और चिंतकों के द्वारा साफ-साफ खाका खींचा जा चुका है कि भारत का वर्तमान स्वरूप व अस्तित्व पाकिस्तान के लिए खतरनाक है। इसलिए पाकिस्तान में जबतक यह सोच रहेगा तबतक वह भारत के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष लड़ता रहेगा।

डॉ. इरार अहमद, पाकिस्तानी इस्लामिक राष्ट्रवाद के जबरदस्त व्याख्याकार रहे हैं। हालांकि कुछ दिन पहले उनकी मौत हो गयी लेकिन उनके तकरीर के कई वीडियो यूट्यूब पर पड़े हैं। एक जगह वे कहते हैं कि फिलहाल दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो इस्लाम के आदर्श की रक्षा करने में सफल है। यहां तक कि सउदी अरब भी नहीं। उन्होंने अपनी तकरीर में कहा कि इस्लामिक दुनिया के खलीफा बदलते हरे हैं। किसी जमाने में सउदी अरब होता था, बाद में तुर्की का औटोमन खड़े हुए और अब आने वाले समय में इसके लिए अफगानिसतान के खुरासान का एक प्रभावशाली समूह उठ खड़ा होगा और इस्लामिक जगत की खिलाफत यानी नेतृत्व करेगा।

अफगानिस्तान के वर्तमान स्वरूप को गढ़ने में डॉ. इरार साहब के चिंतन की बड़ी भूमिका ध्यान में आती है। डॉ. इरार साहब पेशे से डॉक्टर थे और उन्होंने इस्लामिक साहित्य का अध्ययन कर दुनिया में इस्लामिक विद्वता का अपना धाक जमा रखा था। पाकिस्तान के अफगान ऑपरेशन को समझने के लिए डॉ. इरार साहब की तकरीर को ध्यान से सुनने की जरूरत है।

अब दुनिया के खालिस इस्लाम परसों का आदर्श देश कहीं है तो वह अफगानिस्तान है। उस अफगानिस्तान में क्या-क्या हो रहा है, उसे भी जानने और समझने की जरूरत है। अभी हाल ही में बीबीसी की एक रिपोर्ट आयी है। उसमें बताया गया है कि तालिबान दुनिया को कुछ भी कहे लेकिन वह बेहद चालाकी से पूरे देश में देवबंदी मदरसे के द्वारा व्याख्या किया गया सरिया कानून लागू कर रहा है। महिलाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कोशिश हो रही है। गैर इस्लाम पर कई प्रकार की पाबंदियां लगा दी गयी है। वे सारे काम बंद कर दिए गए हैं, जो देवबंदी मदरसे के द्वारा व्याख्यायित इस्लाम के विरूद्ध है।

मसलन पाकिस्तान के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रस्तुत रिपोर्ट और उसमें हिन्दू भारत के खिलाफ संघर्ष का आह्वान साथ ही अफगानिस्तान में देवबंदी फिरके के इस्लाम का शासन जिसे आदर्श इस्लामिक राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया है, उससे भारत के हुक्मरानों को डरने की जरूरत है। हालांकि इससे चीन, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों को भी डरना चाहिए लेकिन फिलहाल तो इसकी जद में भारत का आधुनिक लोकतंत्र ही है।

हालांकि भारत के वर्तमान लोकतांत्रिक स्वरूप को पुरातनपंथी, यूरोपीय मॉडल के हिन्दू राष्ट्रवाद से भी खतरा है लेकिन उसे तो ठीक किया जा सकता है लेकिन इस्लाम के नए वर्जन को ध्यान में रखकर भारत को अपनी सुरक्षा नीति विकसित करने की जरूरत है। यही नहीं भारत में बसे मुसलमानों को भी भारत के लोकतंत्र को बचाने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी सुरक्षा और सभी प्रकार की आजादी की ताकत हमारा संविधान हमें प्रदान करता है। अफगानी व पाकिस्तानी वर्जन के इस्लाम का प्रभाव यदि भारत में बढ़ता है तो भारत की पवित्र भूमि पर अशांति के फसल लहराएंगे और तब भारत के लोग अंध युग में जीने के लिए अभिशप्त होंगे।