कैरिबियंस का हिंदुस्तानी चेहरा


यहां के 30 देशों में 13 स्वतंत्र हैं और 17 की नाल अलग-अलग स्तर की स्वायत्तता के साथ किसी न किसी ताकतवर देश से जुड़ी है। पिछले सौ-डेढ़ सौ वर्षों में दुनिया खेतिहर दौर से औद्योगिक दौर की तरफ बढ़ी तो ये सारे देश अचानक दुनिया के नक्शे से ही टपक जाने की स्थिति में आ गए।


चंद्रभूषण
मत-विमत Updated On :

दोनों अमेरिकी महाद्वीपों के बीच में अटलांटिक महासागर के छोटे-छोटे द्वीपों और तटीय देशों का एक घेरा कैरिबियंस के नाम से जाना जाता है। यूरोपीय मूल की गोरी जातियों के दबदबे वाले दोनों अमेरिकी महाद्वीपों के विपरीत 30 देशों में बंटी कैरिबियंस की साढ़े चार करोड़ आबादी में काली और सांवली जातियों का आधिपत्य है।

इसी आबादी में एक हिस्सा भारत से ले जाए गए गिरमिटिया मजदूरों के वंशजों का भी है। मोटे तौर पर यहां 3 करोड़ अफ्रीकी और 15 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। इनके अलावा बाकी आबादी यूरोपियन, रेड इंडियन और मिश्रित नस्ल की है।

यहां के 30 देशों में 13 स्वतंत्र हैं और 17 की नाल अलग-अलग स्तर की स्वायत्तता के साथ किसी न किसी ताकतवर देश से जुड़ी है। पिछले सौ-डेढ़ सौ वर्षों में दुनिया खेतिहर दौर से औद्योगिक दौर की तरफ बढ़ी तो ये सारे देश अचानक दुनिया के नक्शे से ही टपक जाने की स्थिति में आ गए।

कारण यह कि जहाजी मकसद के अलावा इन्हें मुख्यत: गन्ने तथा कुछ अन्य नकदी फसलों की खेती के लिए ही बसाया गया था। बहुत थोड़ी आदिम आबादी वाले ये बियाबान इलाके बमुश्किल दो सौ साल औद्योगिक यूरोपीय देशों के काम के रहे, फिर खेती उनके लिए मुनाफे के बजाय घाटे का सौदा बन गई और कैरिबियन क्षेत्र उन्हें फालतू लगने लगा।

थोड़े-बहुत टूरिज्म और शिपिंग को छोड़ दें तो बड़ी पूंजी की रुचि इधर इन देशों में बिल्कुल ही खत्म हो गई है। अभी सूचना क्रांति के साथ उभरे दुनिया के नए उद्यमी नक्शे में कुछ भारतीयों और भारतीय-अमेरिकियों की पहचान भी बड़े खिलाड़ियों जैसी बन रही है।

ऐसे में इस इलाके के साथ पहले से मौजूद अपना सांस्कृतिक लगाव बढ़ाकर पूंजी और कूटनीति के सटीक उपयोग के जरिए कैरिबियंस को कनाडा के बाद नई दुनिया के दूसरे सघन भारतीय प्रभाव क्षेत्र के रूप में विकसित करना इक्कीसवीं सदी के लिए भारत के राष्ट्रीय अजेंडे का अहम हिस्सा होना चाहिए। अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के उद्यमियों को इसमें मदद के लिए तैयार किया जा सके तो यह काम काफी आसान हो जाएगा।