क्या आपदा में अवसर है रेलवे के निजीकरण की शुरूआत ?

जिस देश की130 करोड़ आबादी का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे हो वहां सस्ती रेल सेवा बहुत बड़ी सेवा होती है। जिस मुल्क की बड़ी आबादी कोरोना महामारी के काल में पांच किलो चावल और गेहूं के लिए सरकार की तरफ मुंह देख रही है,कोरोना इलाज के लिए अस्पतालों में बेडों के लिए जूझ रही है,उसे अबसरकारविश्वस्तरीय ट्रेन देगी। विश्वस्तयरीय ट्रेन का मतलब तेजस एक्सप्रेस होगा।

रेलवे के निजीकरण की शुरूआत हो गई है। कोरोना
काल वास्तव में आपदा में अवसर बनता जा रहा है। इसी अवसर का इस्तेमाल करते हुए
सरकार अब निजी क्षेत्र से कई ट्रेनें
चलवाएगी। रेल मंत्रालय ने 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए आवेदन मांगा है।
सरकार ने प्राइवेट रेल की शुरूआत का प्रस्ताव देते हुए कई बड़े दावे किए है। सरकार
के अनुसार प्राइवेट ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटेनेंस भी
निजी कंपनी को ही करना होगा। सरकार का तर्क मजेदार है। सरकार का तर्क है कि
प्राइवेट ट्रेनों की शुरूआत से रेलवे का मेंटनेंस का बोझ कम होगा। लोगों को रोजगार
के नए अवसर मिलेंगे। लोगों मे रेलवे सुरक्षा को लेकर भरोसा मजबूत होगा। यात्रियों
को विश्वस्तर की रेल सेवा मिलेगी। दूसरी तरफ निजीकरण के दूसरे परिणामों पर भी
चर्चा भी हो रही है।
रेलवे के इस फैसले से उन लाखों युवाओं में निराशा हो सकती है
जो रेलवे में नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे है। जो नौकरियों के लिए रेलवे विभाग
के आवेदन का विचार कर रहे है। दरअसल रेलवे देश में गरीब लोगों की सेवा के लिए भी
चलायी जाती है। रेलवे देश के एक भाग को दूसरे भाग से सिर्फ भौगोलिक रूप से ही
सिर्फ नही जोड़ता है। बल्कि देश की गरीब जनता की आर्थिक मजबूरियों में भी मदद करता
है। जिस देश की  130 करोड़ आबादी का बड़ा
हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे हो वहां सस्ती रेल सेवा बहुत बड़ी सेवा होती है।
जिस
मुल्क की बड़ी आबादी कोरोना महामारी के काल में पांच किलो चावल और गेहूं के लिए
सरकार की तरफ मुंह देख रही है, कोरोना इलाज के लिए अस्पतालों में
बेडों के लिए जूझ रही है, उसे अब  सरकार 
विश्वस्तरीय ट्रेन देगी। विश्वस्तयरीय ट्रेन का मतलब तेजस एक्सप्रेस होगा।
इसका मतलब है कि अगले कुछ सालों में देश की 
बड़ी आबादी महंगी रेल सेवा के कारण रेल की सवारी से वंचित होगी।भारतीय रेल के निजीकरण की शुरूआत नरेंद्र मोदी
की सरकार ने तब शुरू की है, जब दुनिया के कुछ देशों में जनता रेलवे
के निजीकरण से असंतुष्ट है। वहीं कुछ देश में रेलवे पब्लिक सेक्टर के अधीन जबरजस्त
काम कर रहा है। इसका उदाहरण चीन है। चीन जैसे देश में पब्लिक सेक्टर की चाइना रेलवे
का जोरदार प्रदर्शन है। ।

चीन की पब्लिक सेक्टर की कंपनी चाइना रेलवे धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपना विस्तार कर रही है। चीन की सरकारी रेल कंपनी ने तिब्बत के पठार पर रेल लाइन बिछा दी। अब तिब्बत के रास्ते नेपाल तक अपना विस्तार कर रही है। बेल्ट एंड रोड पहल के तहत चीन आसपास के देशों में रेल लाइन बिछा रहा है। इसमें पब्लिक सेक्टर की चाइना रेलवे की ही भूमिका है। पाकिस्तान के अंदर रेल लाइन बिछाने का काम चीन के पब्लिक सेक्टर की रेल कंपनी कर रही है। अफ्रीका के कई देशों मे चाइना रेलवे के कई प्रोजेक्ट चल रहे है, कई पूरे हो चुके। अफ्रीका के कई देशों में चाइना रेलवे ने रेल लाइन बिछायी है। चाइना रेलवे ने सिर्फ चीन के राज्यों के ही रेल सेवा से नहीं जोड़ा है, बल्कि चीन को रेल को आसपास के पड़ोसी मुल्कों से जोड़ दिया है। यूरोप तक चीन से माल रेलवे के माध्यम से जा रहा है। इसमें चीन की पब्लिक सेक्टर की अहम भूमिका है। चीन से यूरोप रेल कॉरिडोर विकसित करने में चीन सफल रहा है। आज चाइना रेलवे की 21 सब्सिडरी कंपनियां है। 2019 में चाइना रेलवे की कुल राजस्व आमदनी 120 अरब डालर थी

उधर ब्रिटेन ने 1996 में अपनी रेल सेवा का
निजीकरण किया था। आज ब्रिटेन की जनता प्राइवेट रेल से नाराज है। मात्र बीस सालों
में ही ब्रिटेन की जनता ने प्राइवेट रेल का राष्ट्रीयकरण की मांग शुरू कर दी है।
ब्रिटेन में रेल सेवा के राष्ट्रीयकरण की दुबारा मांग हो रही है। क्योंकि रेलवे के
निजीकरण से ब्रिटेन में लोगों की परेशानी बढ़ी है। निजीकरण के बाद रेलवे सेफ्टी पर
सवाल उठे है। कुछ ट्रेन दुर्घटनाओं ने जनता का विश्वास निजी रेल सेवा से घटाया।
वहीं ब्रिटेन ने प्राइवेट कंपनियों ने रेल सेवाओं को खासा महंगा कर दिया है।
 ब्रिटेन
में सरकार को जनता के हित में रेलवे में सब्सिडी देनी पड रही है। अब ब्रिटेन में
सरकार से मांग की जा रही है कि सरकार सब्सिडी की रकम देने के बजाए रेल सेवाओं का
खुद अधिग्रहण कर ले। दरअसल निजीकरण पूरी तरह से मुनाफे के खेल पर आधारित होता है।
इसमें जनता के हितों का कोई ख्याल नहीं किया जाता है। जबकि रेल सेवा का एक बड़ा
उद्देश्य जनता के हितों का ख्याल भी है। कम खर्च में लोगों को यात्रा करवाना भी
रेलवे का एक मुख्य उद्देश्य रहा है।

रेलवे में निजीकरण के खेल पर वर्तमान सरकार की नीयत पर सवाल उठना लाजिमी है। यह सच्चाई है कि रेलवे के क्षेत्र में एनडीए सरकार की अभी तक कोई उपलब्धि नहीं है। चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो या नरेंद्र मोदी की सरकार हो। भारत में रेलवे का बड़ा विस्तार ब्रिटिश राज में हुआ। ब्रिटिश राज के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के अंदर रेलवे का विस्तार आजाद भारत की सरकारों ने किया। वर्तमान में रेलवे के पास जो भी इन्फ्राष्ट्रक्चर है, उसमें भाजपा सरकार का कोई योगदान नहीं है।

वर्तमान भाजपा सरकार ने रेलवे के क्षेत्र में
सिर्फ एक ही महत्वपूर्ण काम किया है। वो काम है कि रेलवे की बहुमूल्य संपतियों को
बेचना। सरकार रेलवे को निजी क्षेत्र के हवाले करने की योजना बना रही है। जनता के
टैक्स से बनाए गए इन्फ्राष्ट्रक्चर पर लाभ निजी क्षेत्र की कंपनियां कमाएंगी। मोदी
सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में देश के कुछ रेलवे स्टेशनों को निजी क्षेत्र के
हवाले किया था। जिन स्टेशनों को निजी क्षेत्र के हवाले किया गया था उसे बनाया
सरकारों ने था। लेकिन मोदी सरकार ने उसे निजी क्षेत्र के हवाले कर उन्हें मुनाफा
कमाने का रास्ता बताया। अब कई ट्रेन रूटों को निजी क्षेत्र के हवाले किया जाएगा।

 
  
अब कहानी देखिए। रेलवे ट्रैकों का निर्माण
सरकार ने करवाया है। रेलवे स्टेशनों का निर्माण सरकार ने करवाया है। रेलगाड़ी और
मालगाड़ी के डिब्बे सरकारी क्षेत्र की रेल फैक्ट्रियों बना रही है। रेलवे के
ट्रैफिक से लेकर सिगनल सिस्टम को सरकारी क्षेत्र ने विकसित किया है। लेकिन अब इस
बने बनाए इन्फ्राष्ट्रक्चर पर मुनाफा कौन कमाएगा? मुनाफा कमाएंगी
निजी क्षेत्र की कंपनियां। जब निजी क्षेत्र का इस मुल्क के रेलवे के विकास में कोई
योगदान ही नहीं है तो उन्हें रेलवे का ऑपरेशन क्यों दिया जा रहा है?
पूंजी
सरकार की लगी, मेहनत सरकार की लगी और मुनाफा कुछ निजी क्षेत्र
के कारपोरेट कमाएंगे। देश के विकास की यह अजीब परिभाषा है। जनता के पैसे से जिस
इन्फ्रास्ट्र्क्चर का निर्माण हुआ है, उसे मुनाफा का दोहन निजी क्षेत्र की
कंपनी करेंगे। निजी क्षेत्र की नजर रेलवे की बहुमूल्य संपतियों पर भी है। आने वाले
दिनों में रेलवे स्टेशनों की महत्वपूर्ण जमीनों पर भी निजी क्षेत्र का कब्जा होगा।
उन्हें औने-पौने दामों में ये जमीन दे दी जाएगी।

 

First Published on: July 3, 2020 1:40 PM
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