
आप कमला हैरिस को क्या कहेंगे? ब्लैक अमेरिकन, एशियन अमेरिकन, इंडो अमेरिकन या अमेरिकी लेफ्ट? वैसे राय तो बहुत हो सकती है। तमाम टिप्पणियां भी आ रही है। लेकिन जो बाइडेन के फैसले ने डोनाल्ड ट्रंप को परेशान किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे कमला हैरिस पर अटैक किया है। क्योंकि कमला हैरिस ने ट्रंप को कई बार परेशान किया। ट्रंप जानते है कि अगर हैरिस उप राष्ट्रपति बनती है तो आगे के रास्ते और परेशान करने वाले होंगे।
डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए नामित उम्मीदवार जो बाइडेन ने काफी सोच समझ कर कमला हैरिस को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। कमला हैरिस को उम्मीदवार बना कर जो बाइडेन ने अमेरिका की घरेलू राजनीति और वोट बैंक का खासा ख्याल रखा है। अमेरिकी राजनीति को अमेरिका की विदेश नीति खासी प्रभावित कर रही हैं। वहां मौजूद वोटरों को भी अमेरिकी विदेश नीति प्रभावित कर रही है।
बहुत सोच समझ कर कमला हैरिस को एक रणनीति के तहत जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। जार्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों हत्या के अमेरिका में अश्वेत आबादी में खासी नाराजगी है। जमैका मूल के पिता औऱ भारतीय मूल की माता की बेटी कमला हैरिस एशियन अमेरिकन और ब्लैक अमेरिकनों के वोट प्रतिशत को बढ़ा सकती है। सामान्य रुप से एशियन अमेरिकन और ब्लैक अमेरिकन अमेरिकी पॉलिटिक्स में डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ ही है। लेकिन हैरिस के आने के बाद उनका वोट प्रतिशत बढ़ेगा।
इस समय अमेरिका में 1 करोड़ 64 लाख ब्लैक वोटर है। जबकि एशियन अमेरिकन वोटरों की संख्या 1 करोड़ 10 लाख के करीब है। 2016 के मतदान में ब्लैक अमेरिकन वोटर उदासीन हो गए थे। उनका वोट प्रतिशत 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले कम था। 2012 के चुनाव में 66 प्रतिशत योग्य ब्लैक वोटरों ने वोट किया था। लेकिन 2016 में सिर्फ 60 प्रतिशत योग्य ब्लैक वोटरों ने मतदान किया। 2012 में ब्लैक बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार थे। जो बाइडेन को लगता है कि कमला हैरिस के उम्मीदवार बनने से ब्लैक अमेरिकन वोटरों का मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। इसका नुकसान रिपब्लिकन पार्टी को नुकसान होगा। बाइडेन चाहते है कि जार्ज फ्लॉयड की हत्या से नाराज ब्लैक अच्छी संख्या मे निकलकर डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मतदान करें।
कमला हैरिस की मां भारतीय मूल की थी। निश्चित तौर पर कमला हैरिस को इसका लाभ मिलेगा। जो बाइडेन चाहते है कि ट्रंप के साथ भारतीय मूल के मतदाता न जाए। वैसे भारतीय मूल के अमेरिकन वोटर ट्रंप के साथ नहीं है। लेकिन पिछले साल सितंबर में ह्सूटन में आयोजित हाउडी मोदी में डोनाल्ड ट्रंप पहुंचे थे। वहां जाना ट्रंप का राजनीतिक एजेंडा था। वे भारतीय मूल के वोटरों में सेंध लगाना चाहते है। क्योंकि ट्रंप को यह मालूम है कि अमेरिकी चुनावों में में इँडो अमेरिकन आबादी डेमोक्रेट के साथ रही है। वैसे में जब अमेरिका में पहली बार एक भारतवंशी उप राषट्रपति पद के चुनाव लड़ रही है तो इंडो अमेरिकन वोटरों का मतदान प्रतिशत खासा बढ़ेगा।
कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में नामित होना भारत और चीन के लिए फिलहाल थोड़ी कड़वी खबर है। क्योंकि कमला हैरिस उइगर औऱ कश्मीर के मसले पर खुलकर विचार रखती रही है। कश्मीर पर अपने विचार देते हुए कमला हैरिस ने कहा था कि कश्मीरी अपने आप को अकेले ने समझे। हमारी कश्मीर पर नजर है। भारत में घट रही घटनाओं पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि यूएस के एजेंडा में लोकतांत्रिक मूल्यों का काफी महत्व है।
दरअसल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर को लेकर भी कमला हैरिस के एक ट्वीट ने भारतीय कूटनीति को परेशान किया था। पिछले साल एस जयशंकर की अमेरिका में यूएस कांग्रेस की कमेटी के साथ बैठक तय थी जिसकी सदस्य अमेरिकी कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल भी थी। जयपाल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर नीति की खुलकर आलोचना कर रही थी। जयशंकर ने कांग्रेस की कमेटी के सामने शर्त रखी कि वे बैठक में तभी आएंगे जब जयपाल उस बैठक में नहीं होगी। इस पर कमला हैरिस ने जयशंकर को लेकर सख्त टिप्पणी कर दी थी।
हालांकि उम्मीद यही जाहिर की जा रही है कि डेमोक्रेटिक पार्टी अगर अमेरिका में सत्ता में आती है तो चीन को लाभ होगा। क्योंकि डेमोक्रेट चीन से सीधा टकराव नहीं चाहते है। उम्मीद की जा रही है कि जो बाइडेन और कमला हैरिस अगर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुने जाते है तो चीन अमेरिका संबंधों में सुधार होगा। क्योंकि डेमोक्रेट उस हदतक चीन से संघर्ष नहीं चाहते जो डोनाल्ड ट्रंप कर रहे है।
डोनाल्ड ट्रंप तो लागातार जो बाइडेन पर हमला कर रहे है। उन्हें चीन के साथ घुला-मिला बता रहे है। ट्रंप का यह भी आरोप है कि चीन जो बाइडेन की जीत चाहता है। ट्रंप जो बाइडेन और चीन के बीच आर्थिक रिश्तों के आरोप लगा रहे है। लेकिन कमला हैरिस की उम्मीदवारी से चीन की भी परेशान बढ़ी है। क्योंकि हैरिस चीन के अंदर चल रहे उइगर आंदोलन पर खुलकर अपना पक्ष रखती रही है। वे उइगरों के मानवाधिकार का समर्थन करती रही है।