
कोविड-19 नामक वायरली रोग ने पूरी दुनिया को बहुत कुछ नया ज्ञान दिया है। इस रोग की रोकथाम और इलाज के साथ ही इससे होने वाले नुक्सान के आंकलन और उसकी भरपाई के इंतजाम तलाशने के लिए ही दुनिया के तमाम देश नित नए-नए उपायों की खोज में लगे रहे हैं। कोविड-19 यानी कोरोना बीमारी की रोकथाम के लिए इस्तेमाल में लाये गए इन्हीं उपायों में एक उपाय है “लॉकडाउन” और इसका दूसरा रूप है, “अनलॉक।” लॉकडाउन के तहत स्कूल- कॉलेज से लेकर दफ्तर- दुकान, बाजार, खेत-खलिहान, धर्म स्थल और सार्वजनिक परिवहन तक सब कुछ बंद रखने के प्रावधान हैं ताकि लोग कहीं भी जाएं नहीं, अपने घरों में ही बंद रहें और इससे कोरोना के वायरस को बड़े पैमाने पर फैलने और फलने-फूलने का मौका न मिल सके।
इसीलिए दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत में भी 25 मार्च से लॉकडाउन की यह व्यवस्था लागू की गई थी जो अब भी एक बदले रूप में जारी है। बीमारी चाहे जैसी भी हो सब कुछ हमेशा के लिए बंद करके भी नहीं रखा जा सकता इसलिए चार चरण के लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद सोमवार 1 जून से “लॉक डाउन- पांच ” के साथ ही साथ “अनलॉक-एक” की नई व्यवस्था भी पूरे देश में लागू की गई है। इस व्यवस्था के तहत अलग- अलग चरणों में ताले खोलने की प्रक्रिया अपनाई जायेगी और इसमें राज्यों को यह अधिकार होगा कि वो केंद्र सरकार के दिशा- निर्देशों के अनुरूप अपनी जरूरतों के मुताबिक़ लॉकडाउन को अनलॉक में बदल सकते हैं।
केंद्र के इन्हीं दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुए कुछ राज्यों ने दूसरे राज्यों से आने वालों पर प्रतिबन्ध लगाते हुए अगले कुछ दिनों के लिए अपने बॉर्डर सील रखना जरूरी समझा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली देश के ऐसे ही राज्यों में एक है। इस वजह से अनलॉक हुई दिल्ली के बॉर्डर एक हफ्ते के लिए सील रहेंगे। इस बाबत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का यह स्पष्ट मानना है सिर्फ अनिवार्य सेवाओं को छोड़ कर दिल्ली की सीमाओं को अन्य सामान्य कामकाज के लिए खोलना फिलहाल इसलिए भी ठीक नहीं होगा क्योंकि अगर बॉर्डर सभी के लिए खोल दिए गए तो पूरे देश से लोग इलाज कराने यहां आने लगेंगे क्योंकि दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क हैं और सबसे बेहतर है और यहां पर इलाज मुफ्त है।
उधर, दिल्ली की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के दो जिलों- नोएडा और गाजियाबाद के जिला प्रशासकों ने एक दिन पहले ही यह तय कर लिया था कि इन जिलों से लगे दिल्ली के बॉर्डर फिलहाल नहीं खुलेंगे। अजीब बात है कि एक तरफ तो लॉकडाउन को अनलॉक कर केंद्र सरकार कामकाज की सामान्य गतिविधियों को बहाल करना चाहती है, वहीँ दूसरी तरफ राज्य सरकारों के प्रशासनिक तंत्र लॉक डाउन को अनलॉक करने के सन्दर्भ में केंद्र से मिली आजादी का इस रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं जिससे आम जनता को सुविधा के बजाय परेशानी ही अधिक होगी।
जिस तरह दिल्ली के मुख्यामंत्री ने बॉर्डर खोलने पर बाहरी लोगों के दिल्ली में प्रवेश करने और इलाज की सुविधाओं का लाभ उठाने की बात कही है उसी अंदाज में नोएडा के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि उनके जिले को कोरोना संक्रमण के मामले में दिल्ली से ज्यादा खतरा दिखाई देता है क्योंकि उनके राज्य के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस जिले के कुल कोरोना संक्रमितों में 42 प्रतिशत दिल्ली से सम्बंधित हैं। इसी तरह गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय का कहना है कि खतरा दिल्ली से ज्यादा है इसलिए कोरोना के कारण 20 अप्रैल से दिल्ली में आवाजाही पर जो रोक लगाई गई थी, वो अभी जारी रहेगी।
बहरहाल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों की आपसी तनातनी को अलग रख कर देखें तो कह सकते हैं लॉकडाउन पांच के विकल्प के रूप में अनलॉक एक की व्यवस्था लागू करने के सरकार के फैसले का सर्वत्र स्वागत ही हुआ है। ज्यादातर राज्यों ने इसे आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू करने और सामान्य जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए अनुकूल कदम के रूप में स्वीकार किया है और अपनी अपनी तरह से इसे लागू करने करने में लग भी गए हैं। राज्यों के साथ ही केंद्र के विभिन्न मंत्रालय भी अनलॉक के फ़ॉर्मूले को सफल बनाने में जुट गए हैं।
इसी कड़ी में भारत सरकार के नागरिक विमानन मंत्रालय ने देश के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से हवाई यातायात को सुगम बनाने की दिशा में काम करने शुरू कर दिए हैं। देश की राजधानी दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे में भी यात्रियों को लेकर आ रहे और लेने आ रहे वाहनों को संक्रमण मुक्त करने के लिए एक विशेष टैक्सी पार्किंग क्षेत्र बनाया गया है। इस विशेष पार्किंग क्षेत्र में यात्रियों को लेकर जाने वाले और हवाई अड्डे से यात्रियों को बाहर लेकर जाने वाले टैक्सी समेत अन्य वाहनों को संक्रमण मुक्त किया जाता है।
वाहनों को संक्रमण मुक्त करने की गरज से दिल्ली हवाई अड्डे में अपनाई गई इस प्रक्रिया में एक अतिरिक्त आयाम यह भी जोड़ा गया है कि हवाई अड्डे के स्वच्छताकर्मी विशेष रूप से वाहनों को भीतर से संक्रमण मुक्त करने के लिए तैयार किए गए विशेष छिड़काव मशीन का इस्तेमाल करते हैं। इस विशेष मशीन से किये गए छिड़काव का सबसे बड़ा फायदा यह भी होता है छिडकाव करने के साथ ही यह वाहन के भीतर मौजूद किसी भी तरह के वायरस को एकदम निष्क्रिय कर देता है। इसके बाद इसे और अत्यधिक प्रभावी बनाने के लिए वाहन को दो मिनट तक खाली रखा जाता है। इस तरह वाहन का आंतरिक हिस्सा संक्रमण मुक्त करने के बाद वाहन के बाहरी हिस्से को भी सेनिटाइजर स्प्रे से संक्रमण मुक्त किया जाता है।