लॉकडाउन : तीसरा चरण क्या यह आखिरी चरण है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को किये गए राष्ट्र के नाम अपने दूसरे संबोधन में दो सप्ताह के पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके साथ ही 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन में रहा। उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने पर इसकी अवधि 3 मई तक बढ़ाई गई और अब एक बार फिर 17 मई तक बढ़ाई गई है।

यह भी एक तिलस्मी संयोग जैसा ही है कि महीने की चौथी तारीख से लॉकडाउन के तीसरे चरण की शुरुआत हो रही है। आज चार मई है और आज ही लॉकडाउन का तीसरा चरण भी शुरू हो चुका है। स्थितियां सामान्य रहीं तो इस महीने की 17 तारीख को दो सप्ताह के इस लॉकडाउन की अवधि समाप्त हो जायेगी और लोग अपने काम पर जा सकेंगे। वरना घर में बंद रहने की इस स्थिति का आगे और भी विस्तार हो सकता है। गौरतलब है कि चीन से सौगात में मिले एक वायरल रोग कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए विगत 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया था इससे यह शुरुआत हुई थी कि लोग अपने घर में बंद रह कर किस तरह  कोरोना से बचाव के तरीके अपना सकते हैं। 

22 मार्च तो केंद्र द्वारा शुरू की गई एक प्रतीक का हिस्सा भर था लेकिन तब तक देश भर में कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़ने शुरू हो गए थे लिहाजा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ ही इससे लगे उत्तर प्रदेश और हरियाना राज्यों के साथ ही पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश समेत देश के कई राज्यों ने रविवार 22 मार्च को लगाए गए जनता कर्फ्यू का अधिकारिक तौर पर 31 मार्च तक लॉकडाउन के रूप में विस्तार कर दिया था। 

इस बीच दो दिन में कोरोना के मामले ऐतिहासिक रूप से बढ़ने की ख़बरें सामने आने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को किये गए राष्ट्र के नाम अपने दूसरे संबोधन में दो सप्ताह के पहले राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके साथ ही 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन में रहा। उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं मिलने पर इसकी अवधि 3 मई तक बढ़ाई गई और अब एक बार फिर 17 मई तक बढ़ाई गई है।

पहले एक दिन का जनता कर्फ्यू, फिर दो हफ्ते का पहला राष्ट्रीय लॉकडाउन, फिर लॉकडाउन का पहला विस्तार यानी लॉक डाउन दो और अब लॉकडाउन का दूसरा विस्तार यानी लॉकडाउन तीन में हम और हमारा देश प्रवेश कर चुका है। लॉकडाउन की यह अवधि पहले दो लॉकडाउन से थोडा बेहतर है। कुछ इलाकों में छूट और रियायतें भी दी गई हैं लेकिन कुल मिला कर एक भ्रम की सी स्थिति भी इसको लेकर बनी हुई है। ख़ास कर देश के दिल्ली जैसे महानगरों में इन रियायतों को लेकर भ्रम की स्थिति कुछ ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि कोरोना वायरस प्रभावित इलाकों को लेकर जिस तारक देश के राजस्व जिलों को आधार बनाया गया है वो आधार दिल्ली जैसे महानगरों में फिट नहीं बैठता। 

दिल्ली तो केवल एक महानगर ही नहीं है बल्कि यह तो एक केंद्र शासित क्षेत्र भी है और प्रशासनिक नियंत्रण के लिये दिल्ली को जिस तरह 11 जिलों में बांटा गया है उसके आधार पर भी इसे कोरोना नियंत्रण के सन्दर्भ में देश के अन्य राज्यों के जिलों के समकक्ष नहीं माना जा सकता। दिल्ली में 11 जिले हैं और दिल्ली के सभी जिले कोरोना प्रभावित हैं कहीं कम, कहीं ज्यादा हर जिले में कोरोना के एक दो केस हैं जरूर इसलिए केंद्र की परिभाषा के अनुसार पूरी दिल्ली को ही रेड जोन में तब्दील कर दिया गया है। 

दिल्ली के अधीकांश जिलों में कोरोना की केस बहुत कम हैं लेकिन जिलों के आधार पर बंटवारे के कारण इन जिलों में भी रेड जोन जैसी ही पाबंदियां हैं। दिल्ली में कोरोना से बचाव के लिए 99 हॉट स्पॉट बनाए गए हैं इस आधार पर हर जिले में नौ हॉट स्पॉट बनते हैं। दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हालांकि लॉक डाउन की अवधि में केंद्र सरकार की गाइड लाइन पर ही काम करने का भरोसा जताया है। लेकिन इस बाबत उनके कुछ तर्कों में दम है।

गौरतलब यह भी है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते ही पूरे देश के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में भी 17 मई तक विस्तारित लॉकडाउन के नियमों के अनुरूप ही काम होगा। इन नियमों के तहत ग्रीन जोन और ऑरेज जोन में शामिल जिलों में कुछ शर्तों के साथ काम करने की इजाजत लोगों को दी गई है, लेकिन रेड जोन में कोई राहत नहीं मिली है। 

इस लिहाज से दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पलवल को कोई राहत नहीं मिली है। इन इलाकों में उद्योग धंधों को भी कोई राहत नहीं मिली है। कोरोना प्रभाव के चलते ग्रीन, ऑरेंज और रेडजोन में विभाजित किये गए जिलों के वर्गीकरण के हिसाब से हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह और पलवल जिलों की तरह  तरह उत्तर प्रदेश का नोएडा-ग्रेटर नोएडा भी रेड जोन में है, जबकि गाजियाबाद और हापुड़ ऑरेंज जोन में हैं। 

इसी सन्दर्भ में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि लॉकडाउन कोरोना का इलाज नहीं बल्कि एक तात्कालिक व्यवस्था है और इस व्यवस्था से सिर्फ कोरोना को फैलने रोकने में ही मदद मिलती। अब समय आ गया है कि हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। उनका इस बाबत यह भी स्पष्ट मानना है कि ये समझ लेना उचित  नहीं होगा कि कोरोना जड़ से साफ़ हो जाएगा और भविष्य में इसका एक भी मामला देखने को नहीं मिलेगा। 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तर्क है कि दिल्ली में कि केवल कंटेनमेंट जोन को बंद किया जाना चाहिए। इस तर्क के मुताबिक़ दिल्ली के रेड जोन जिलों में उन्हीं इलाकों में पाबंदियां लागू रहनी चाहिए जिन इलाकों को कोरोना वायरस के चलते सीलबंद किया गया है। ऐसे जिलों के शेष इलाकों को खोल देना चाहिए। दिल्ली के ऐसे 99 कंटेनमेंट जोन को छोड़ कर बाकी अर्थव्यवस्था को खोल देने पर काम हो सकता है। कोरोना में ऐसे व्यवस्था न केवल दिल्ली बल्कि देश के सभी महानगरों में लागू की जा सकती है। 

First Published on: May 4, 2020 5:23 AM
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