अब एक और पड़ोसी चीन के पाले में ?

जब झटके लगते है तो हमारी डिप्लोमेसी एक्टिव हो जाती है। नेपाल का झटका अभी खत्म नहीं हुआ है। बांग्लादेश ने भारत को झटके देने शुरू कर दिए है। बांग्लादेश में चीनी घुसपैठ के झटके महसूस करने के बाद भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ढाका पहुंचे। खबर आयी थी कि बांग्लादेश तीस्ता नदी के पानी प्रबंधन को लेकर चीन से कर्ज लेने वाला है। भारत के लिए गंभीर खबर यह भी थी कि ढाका में मौजूद भारतीय राजदूत को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले कुछ महीनों से मिलने के लिए समय नहीं दे रही थी।

इधर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने शेख हसीना को फोन किया था। चीन लगातार बांग्लादेश में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। आखिर भारत-बांग्लादेश के बीच दूरी बढ़ने के कारण क्या है? क्या भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के कारण बांग्लादेश नाराज है? क्या असम और बंगाल में महज सता हासिल करने के लिए दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स में भारत को नुकसान पहुंचाया गया है? ये कुछ गंभीर सवाल है।

बांग्लादेश में घटी कुछ घटनाओं को ध्यान से देखना होगा। भारत की घोर समर्थक शेख हसीना 2019 में फिर से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज हो गई। लेकिन इस बार भारत को लेकर उनका रूख बदला हुआ नजर आ रहा है। हसीना ढाका में तैनात भारतीय राजदूत को मिलने का समय नहीं दे रही थी। उधर सिल्हट एयरपोर्ट के टर्मिनल विस्तार का काम चीन की कंपनी बीजिंग अरबन कंस्ट्रक्शन ग्रुप को दे दिया। इसके बाद भारत के लिए बुरी खबर यह थी बांग्लादेश तीस्ता नदी के प्रोजेक्टों और पानी प्रबंधन को लेकर चीन से 1 अरब डालर के कर्ज लेने की बातचीत कर रहा है। तीस्ता नदी के पानी को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से विवाद है। तीस्ता नदी भारत के सिक्किम से निकलती है। यह बंगाल होते हुए बांग्लादेश पहुंचती है।

चीन और बांग्लादेश के बीच आर्थिक सहयोग की खबरें उस वक्त आ रही है जब लद्दाख सीमा पर भारतीय इलाके में चीन घुसपैठ कर बैठा हुआ है। बांग्लादेश से शेख हसीना की सरकार के कार्यकाल में चीन की बढ़ती दोस्ती भारत के लिए गंभीर चेतावनी है। क्योंकि बांग्लादेश में हसीना विरोधी बेगम खालिदा जिया घोर चीन समर्थक रही है। शेख हसीना तो भारत की कटटर समर्थक रही है। आखिर मोदी सरकार से कहां गलती हुई है?

बांग्लादेश में 2008 में शेख हसीना की सत्ता में दुबारा वापसी हुई थी। उन्होंने बांग्लादेश के अंदर उन आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी जो बांग्लादेश में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित कर रहे थे। शेख हसीना ने भारत विरोधी जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं को फांसी के फंदे तक पहुंचाय़ा। जमात के कई भारत विरोधी नेता 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष में युद अपराध के लिए दोषी थे। जमात-ए-इस्लामी का भारत विरोधी खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के साथ गठजोड़ रही है। जमात-ए-इस्लामी ने बांग्लादेश के अंदर भारत के आर्थिक निवेश का हमेशा विरोध किया। भारत विरोधी कटटरपंथियों को जमात ने बांग्लादेश में शह दी। इस संगठन के नजदीकी संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ रहे है। लेकिन अब माहौल बदलता हुआ दिख रहा है।

शेख हसीना ने हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ फोन पर बात की। जो पाकिस्तानी स्टैबलिशमेंट शेख हसीना का घोर विरोधी रहा है, वो हसीना से तालमेल बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी शेख हसीना से जमात-ए-इस्लामी पर कार्रवाई किए जाने के कारण पाकिस्तान खासा नाराज था। 2016 में युद अपराध के दोषी जमात-ए-इस्लामी के नेता मोतीउर रहमान निजामी को शेख हसीना सरकार ने फांसी पर चढाया था। निजामी की फांसी से पाकिस्तानी स्टैबलिशमेंट खासा नाराज हुआ था।

भारत सरकार की अदूरदर्शी नीतियों ने बांग्लादेश और भारत के बीच दूरियां बढायी है। इसमें अहम रोल एनआरसी और सीएए का रहा है। हालांकि एनआरसी और सीएए भारत का घरेलू मामला है। लेकिन इससे इंकार नहीं कर सकते है कि इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश भाजपा ने लगातार की। पश्चिम बंगाल और आसाम में इसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिला भी है। लेकिन भारत के इन घरेलू फैसलों से बांग्लादेश भी प्रभावित हुआ है। क्योंकि इसका सीधा संबंध बांग्लादेश से आए अवैध घुसपैठियों से है। लेकिन सवाल यह है कि क्या दो राज्यों की राजनीति को संतुलित करने के चक्कर में आप सहयोगी महत्वपूर्ण पड़ोसी देश से संबंध खराब करेंगे?

क्या उस पड़ोसी देश से आप संबंध खराब करेंगे जो इस्लामिक आतंकवाद और कटटरपंथी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है? हालांकि भारत ने समय-समय पर बांग्लादेश को बताया कि एनआरसी और सीएए भारत का आंतरिक मामला है, इसका कोई असर बांग्लादेश पर नहीं पड़ेगा। लेकिन शेख हसीना को पता है कि भारत के एनआरसी और सीएए बांग्लादेश की घरेलू राजनीति को प्रभावित कर रही है। शेख हसीना सरकार पर बांग्लादेश के कटटरपंथी संगठनों के हमले इस मुद्दे को लेकर शुरू हो गए।

मार्च 2020 में भारतीय विदेश सचिव श्रृंगला ने ढाका का दौरा किया था। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश पर एनआरसी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन भारत के विदेश सचिव की बात पर बांग्लादेश कैसे विश्वास करे ? क्योंकि भाजपा नेता लगातार कह रहे है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होगा। घुसपैठियों को देश से बाहर किया जाएगा। अब बांग्लादेश भारत के विदेश सचिव के बयान पर विश्वास करे कि भाजपा नेताओं के ब्यानों पर विश्वास करें? एनआरसी और सीएए को लेकर बांग्लादेश ने सांकेतिक नाराजगी भी भारत से दिखायी थी। पिछले साल दिसंबर में बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन और गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने भारत का प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिया था। बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम की आलोचना करते हुए कहा था कि यह भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को कमजोर करेगा।

महज दो राज्यों की राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए बांग्लादेश जैसे सहयोगी मुल्क से संबंध खराब करना कतई उचित नहीं है। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी बांग्लादेश के सहयोग के बिना संभव नहीं है। क्षेत्रीए विकास के लिए बांग्लादेश-भूटान-इंडिया-नेपाल (बीबीआईएन) पहल की शुरूआत हुई। इसमें बांग्लादेश की अहम भूमिका रही है। प्रस्तावित बांग्लादेश-चीन-इंडिया-म्यांमार आर्थिक गलियारे (बीसीआईएम) में भी बांग्लादेश की अहम भूमिका है। बिम्सटेक फोरम में भी बांग्लादेश की सक्रिय भूमिका है।

इंडियन डिप्लोमेसी को 2020 के बांग्लादेश को एकदम नए नजरिए से देखना होगा। क्योंकि चीन के लिए बांग्लादेश का भूगोल पाकिस्तान की तरह महत्वपूर्ण है। चीन बांग्लादेश के रास्ते बंगाल की खाड़ी में अपनी ताकत बढ़ाने की योजना पर काम शुरू कर चुका है। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन पश्चिमी चीन से जोड़ने में सफल हो गया है। चीन की अहम इच्छा बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह को चीन के कुनमिंग शहर से जोड़ने की है। चटगांव-कुनमिंग हाईवे प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार हो रहा है।

बांग्लादेश को लेकर चीन ने जो फैसले लिए है उसे भारतीय कुटनीत गंभीरता से ले। चीन ने बांग्लादेश से आयात होने वाली ज्यादातर वस्तुओं को जीरो टैरिफ क्लब में डाल दिया है। इससे बांग्लादेश को आर्थिक लाभ होगा। चाइना टैरिफ कमीशन के अनुसार बांग्लादेश से आने वाले 97 प्रतिशत उत्पादों पर चीन में कोई टैरिफ नहीं लगेगा। बांग्लादेश से चीन जाने वाले 8256 उत्पाद टैरिफ मुक्त हो गए है।

बांग्लादेश पाकिस्तान नहीं है। बांग्लादेश आर्थिक विकास में पाकिस्तान को काफी पीछे छोड़ चुका है। क्षेत्रफल में पाकिस्तान से पांच गुणा छोटा बांग्लादेश आर्थिक विकास में पाकिस्तान से पांच गुणा आगे है। बांग्लादेश के आर्थिक विकास के आंकड़े भारत को टक्कर देते नजर आ रहे है। वैसे में आज भारत को बांग्लादेश की सख्त जरूरत है। चीन की आक्रामक कूटनीति का जवाब भारत तभी दे सकता है, जब पड़ोसी मुल्क भारत पर विश्वास करें। बांग्लादेश ने बहुत ही कम समय में बहुत कुछ हासिल किया है।

किसी जमाने में बांग्लादेश का बजट 100 प्रतिशत कर्ज और अनुदान का था। आज बांग्लादेश का बजट आत्मनिर्भर है। 1974 में बांग्लादेश ने भारी अकाल का सामना किया था। आज बांग्लादेश खादान में आत्मनिर्भर है। बांग्लादेश रेडिमेड गारमेंट निर्यात में पूरे विश्व में अब दूसरे पायदान पर है। आज बांग्लादेश पूंजी निवेश का एक बड़ा केंद्र दक्षिण एशिया में बन गया है। भारत की डिप्लोमेसी में स्थायित्व का आभाव है। एक अच्छा पड़ोसी दोस्त भारत की गलतियों से चीन के पाले में जा रहा है।

First Published on: August 24, 2020 8:02 AM
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