पहले बेमौसम बारिश अब लॉकडाउन से तबाह हो रहे किसान

लॉकडाउन से हाइवे पर फंसे हजारों ट्रक फंसे हुए हैं। लॉकडाउन की वजह से पश्चिम बंगाल से गुजरने वाले नेशनल और स्टेट हाइवे पर हजारों ट्रक ड्राइवर फंस गए हैं।

लॉकडाउन से पूरा देश अराजकता की स्थति में पहुंचता जा रहा है। बिना होमवर्क किये अचानक 22 मार्च के जनता कर्फ्यू से लेकर 24 को घोषित 21दिन के देशव्यापी लॉकडाउन से निपटने के लिए अभी तक न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों ने कोई समग्र नीति बनाई है। ऐसे ही रहा तो देश को सम्भालना बेहद मुश्किल हो जायेगा। लॉकडाउन से सड़कों पर हजारों ट्रक फंस गये हैं, सप्लाई चेन टूटने के कगार पर पहुंच रही है। रोज़ कुआं खोदने और रोज़ पानी पीने की नीति से कोरोना से निपटना तो दूर इतनी बड़ी 135 करोड़ की आबादी की न्यूनतम मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा करना मुश्किल होगा। 

केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पहले 24 मार्च को फिर 29 मार्च को डीओ लेटर भेजकर देश के सभी प्रदेशों के मुख्यसचिवों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि आवश्यक वस्तुओं का विभेद किये बिना सभी तरह की वस्तुओं का ट्रांसपोर्टेशन की अनुमति दी जाये। लेकिन ये आदेश केवल कागजों तक सीमित हैं, नतीजतन एक ओर जहां सप्लाई चेन टूटने के कगार पर पहुंच रही है वहीं किसानों के उत्पादित माल मंडियों में नहीं पहुंच पा रहे हैं और प्रोड्क्शन चेन भी टूटने के कगार पर हैं, क्योंकि लॉकडाउन से फैक्ट्रियां बंद हो गयी हैं।

सरकार के इस आदेश के अमल में सबसे बड़ी बाधा ट्रक ड्राइवरों की अनुपलब्धता है। आवागमन बंद होने से या तो वे रास्ते में हाइवे पर फंस गये है या अपने घर चले गये हैं। हाइवे पर ढाबे बंद हैं और खाने पीने की सामान की दुकाने या तो हैं नहीं या पुलिसिया तांडव से बंद हैं। ऐसे में भूखे प्यासे ट्रक ड्राइवर स्थिति सामान्य होने तक ट्रक नहीं चलाना चाहते। एसी कमरों में बैठ कर नीति बनानेवाले जमीनी हकीकत की अनदेखी करते हैं और किरकिरी सरकार की होती है।

केवल एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है.फ़ूड चेन बनाये रखने के लिए 24 मार्च के शासनादेश में 7वें बिदु पर फल, सब्जी, दूध, डेरी, किराना, पेयजल के साथ चिकेन, अंडा, मीट को आवश्यक सेवाओं में शामिल किया गया है और इनसे लदे वाहनों के आवागमन की छूट दी गयी है। लेकिन अगर प्रयागराज को ही लें तो फल की दुकानें बंद हैं क्योंकि बहार से माल नहीं आ रहा है। चिकेन और अंडा की दुकानें बंद हैं क्योंकि माल बाहर से नहीं आ रहा है। मछली की आढत बंद है क्योंकि न तो स्थानीय इलाकों से मछली आ पा रही है न ही आंध्र प्रदेश से मछली लदे ट्रक आ पा रहे हैं। यही हाल पूरे प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश का है क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन है।

उदाहरण के लिए लॉकडाउन से हाइवे पर फंसे हजारों ट्रक फंसे हुए हैं। लॉकडाउन की वजह से पश्चिम बंगाल से गुजरने वाले नेशनल और स्टेट हाइवे पर हजारों ट्रक ड्राइवर फंस गए हैं।  इन ट्रक ड्राइवरों के सामने दोहरी समस्या है। एक तो ट्रक में लोड सामान के खराब होने का खतरा है, दूसरी ओर खुद का गुजारा मुश्किल हो रहा है। इन ट्रक ड्राइवरों के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम मुश्किल काम है। बीच सड़क में फंसने की वजह से सबसे पहले तो इन्हें खाने का सामान खोजना पड़ता है, फिर उसे पकाने की मेहनत करनी पड़ती है। नेशनल हाइवे पर कई ट्रक लावारिस हाल में पड़े हैं। ड्राइवर ट्रक खड़ा कर किसी तरह से अपने घर चले गए हैं. अब उन्हें लॉकडाउन खुलने का इंतजार है। लेकिन इस बीच जिन ट्रकों में सामान लोड है उसके खराब होने का खतरा बरकरार है। फल, सब्जी, अंडे जैसे कच्चे मॉल खराब हो रहे हैं। हाइवे पर कई ट्रक लावारिस हाल में खड़े हैं। कई चालक लॉकडाउन के इंतजार में ट्रकों को खड़ा कर अपने घर चले गए। अब चालकों को लॉकडाउन खुलने का इंतजार है।

देश की 65 से 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था असंगठित है, ऐसे में लॉक डाउन से सबसे अधिक प्रभाव रेहड़ी वाले और ऑटो ड्राइवर जैसे लोगों पर पड़ा है। लॉक डाउन के चलते होटल, टूरिज़्म, लॉजिस्टिक और एविएशन इंडस्ट्री को बुरी चोट पहुंची है। लॉकडाउन के दौरान कृषि क्षेत्र गम्भीरता से प्रभावित हो रही है। किसानों की फसलें, खास कर गेंहू फसल अब लगभग कटने को तैयार है, ऐसे में यह लॉक डाउन फसल के इस आखिरी समय में किसानों को परेशान कर रहा है। इसी के साथ फल और सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए इस लॉक डाउन ने बड़ा झटका दिया है, जिससे उबरना उनके लिए आसान नहीं होगा। लॉक डाउन के दौरान गरीब और निचला तबका सीधे तौर पर प्रभावित हुए है। दिहाड़ी मजदूर जो अपनी दैनिक कमाई पर ही मुख्यता आश्रित रहते हैं, ऐसे में 21 दिनों तक बिना कमाई के रहना उनके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।

लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा गरीबों, मजदूरों और किसानों पर पड़ता दिख रहा है। दिल्ली सहित पूरे देश में सब्जियों और अनाजों के दाम बढ़ गए है। सब्जी उत्पादक किसान बुरी तरह प्रभावित है। टमाटर, मिर्च और केले के किसान बुरी तरह से लॉकडाउन की मार झेल रहे हैं।खरीदार उपज खरीदने नहीं आ रहे हैं। लॉकडाउन में किसानों को छूट दी गई है कि वह अपना सामान मंडी में लेकर जा सकते हैं। लेकिन मंडियां भी सुनसान पड़ी हैं, ट्रक न चलने से बड़े खरीदार गायब हैं।लॉकडाउन में फूलों की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है फूल का कारोबार ठप हो गया है यहां वाराणसी और प्रयागराज के साथ पूरे देश में जिस जिस जिले में फूलों की खेती होती थी वहां के किसान खून के आंसू रो रहे हैं। पूरे देश में फूलों का कारोबार ठप है।

पहले तो बेमौसम बारिश की वजह से फसलों को नुकसान पहुंचा लेकिन उसके बाद भी जो फसल बच गए वो खेतों में लहलहा रहे हैं पर लॉकडाउन में लेकिन कटाई नहीं हो रही है। गेहूं चना और सरसों की फसल पक कर तैयार हो गई है लेकिन लॉक डाउन की वजह से ना तो मजदूर मिल रहे हैं और ना ही कोई हार्वेस्टर चालक आ रहे हैं, जिससे समय पर गेहूं की फसल की कटाई हो सके। इसे देखते हुए सरकार ने कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन नियमों से छूट देने की घोषणा की है। खेतों में तैयार खड़ी रबी की फसलों को लेकर किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसका ध्यान रखते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मंडी, खरीद एजेंसियों, खेती से जुड़े कामकाज, भाड़े पर कृषि मशीन देने वाले केंद्रों के साथ ही कृषि से संबंधित सामान का राज्य के भीतर और अंतर-राज्यीय परिवहन को लॉकडाउन से छूट दे दी।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी ताजा निर्देश के मुताबिक, सरकार ने कृषि मजदूरों को काम पर जाने के साथ ही उर्वरक, कीटनाशक और बीज उत्पादन एवं पैकेजिंग इकाई को भी लॉकडाउन आदेश से छूट दी गई है।निर्देश में कहा गया है कि लॉकडाउन की अवधि में उर्वरक की दुकानें और कृषि मशीनरी भाड़ा केंद्र संचालन में रहेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) संचालन समेत कृषि उत्पादों की खरीदारी करने वाली एजेंसियां, एपीएमसी द्वारा संचालित या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित मंडियों को छूट दी गई है सरकार ने कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन नियमों से छूट देने की घोषणा की है।

लेकिन सरकार और टीवी ने पूरे देश में कोरोना संक्रमण को लेकर जिस तरह भय का दमघोंटू माहौल बना रखा उसमें किसानों को न तो फसल कटाई के लिए मजदूर मिल रहे हैं न हार्वेस्टर और न ही कम्बाईन मशीन ही उपलब्ध हो रही है। दरअसल हर साल फसल कटाई के मौसम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक से हार्वेस्टर और कम्बाईन मशीनें आ जाती थी लेकिन लॉकडाउन में हाइवे बंद होने से ये मशीनें नहीं आ पायी हैं।  

 

First Published on: March 31, 2020 5:16 PM
Exit mobile version