लव जिहाद का शिकार हुई शालिनी यादव?

संजय तिवारी
मत-विमत Updated On :

शालिनी यादव की फैसल से मुलाकात घर के पास ही एक पार्क में हुई, प्यार हुआ और छह साल बाद एक दिन 29 जून को लॉकडाउन के बीच वह घर से परीक्षा देने के बहाने लखनऊ के लिए निकली लेकिन लखनऊ न जाकर वह गाजियाबाद पहुंच गयी। वहां उन्होंने कोर्ट मैरिज किया। उसके बाद शालिनी यादव का धर्म बदला गया। वह मुसलमान बनी। उसका नया नाम फिजा रखा गया। फिर दोनों ने इस्लामी पद्धति से दोबारा निकाह किया।

पहली नजर में ये एक नौजवान जोड़े का प्रेम संबंध ही लगता है जिसमें सोलह साल की कच्ची उम्र में एक लड़की किसी लड़के से मिलती है, उससे प्यार करती है और फिर 22 साल की उम्र में घर से भागकर उसी लड़के से शादी कर लेती है जिससे उसे प्यार हुआ था। लेकिन इस मामले में भी वही हुआ जैसा अक्सर मुस्लिम और गैर मुस्लिम के बीच शादी के वक्त होता है। अगर लड़की हिन्दू/सिख/बौद्ध/जैन/ईसाई कोई भी हो तो शादी से पहले उसका धर्म बदलकर पहले उसे मुसलमान बनाया जाता है। यह एक ऐसा कदम है जो इस लव को लव जिहाद में परिवर्तित कर देता है और ऐसे मामलों पर शक की सूई घूमने लगती है कि अगर प्रेम है तो फिर लड़की का धर्म परिवर्तन क्यों?

शालिनी यादव का ही मामला इकलौता नहीं है जो प्रकाश में आया है। सोशल मीडिया पर कोई महीना ऐसा नहीं बीतता जब ऐसे दो चार मामले सामने न आते हों। दो महीने पहले जून के महीने में गाजियाबाद में नैना कौर को उसके कथित प्रेमी शेरखान ने इसलिए जान से मार दिया था क्योंकि नैना की शादी उसके पिता बलदेव सिंह मुस्लिम से नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने नैना की शादी कहीं और तय कर दिया था। उस जूही कालोनी को ही लीजिए जहां से शालिनी यादव अपने कथित प्रेमी फैसल के साथ फरार होकर निकाह कर लिया, वहां से दो अन्य लड़कियां गायब हैं जिनके गुमशुदगी की शिकायत थाने में दर्ज है। इन दोनों लड़कियों को शाहरुख नाम के दो लड़कों ने भगाया है। पुलिस ऐसे मामलों को प्रेम प्रसंग मानती है और किसी कार्रवाही से कतराती है। लेकिन कानपुर से लेकर गाजियाबाद और दिल्ली तक आये दिन ऐसे मामले खुल रहे हैं जिसमें प्रेम में भी पहले लड़की का धर्म बदलवाया जाता है, फिर उससे निकाह किया जाता है।

भारत का संविधान ऐसे रिश्तों के बारे में जो प्रावधान करता है उसमें स्पष्ट तौर पर निर्देश है कि ऐसी शादियां जो अंतरधार्मिक होंगी उसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट है। स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 ऐसी ही शादियों के लिए किया गया विशेष प्रावधान है जिसमें दो अलग अलग धर्मों के लोग विवाह के बाद भी अपने अपने धर्म को मान सकें, उसकी पहचान कायम रख सकें। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की एक पांच सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट तौर पर इस एक्ट की व्याख्या करते हुए कहा था कि “अंतरधार्मिक विवाहों में जरूरी नहीं कि लड़की का धर्म लड़के के धर्म में मिल ही जाए।” चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली इस पीठ का स्पष्ट आदेश है कि “ऐसा कोई कानून नहीं है जो ये कहता हो कि किसी और धर्म के पुरुष से विवाह करने के बाद महिला अपनी धार्मिक पहचान खो देती है। स्पेशल मैरिज एक्ट मौजूद है जो कहता है कि विवाह के बाद दोनों अपने अपने धर्म को मान सकते हैं।”

लेकिन शालिनी यादव के मामले में ऐसा नहीं किया गया। एक बार कोर्ट मैरिज करने के बाद दोबारा उसके साथ इसलिए निकाह किया गया ताकि उसका धर्म और नाम बदला जा सके। ये सीधे सीधे भारतीय संविधान और कानूनों का मजाक है जिसे अगर चुनौती दी गयी तो फैसल सहित उन सबको भारी पड़ेगा जिन्होंने कोर्ट मैरिज के बाद शालिनी का धर्म बदलकर निकाह करवाया है। यह सीधे सीधे भारतीय कानूनों और भारतीय संविधान की अवमानना का मामला है।

अब सवाल ये है कि आखिर मुस्लिमों की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो विवाह से पहले गैर मुस्लिम लड़की का धर्म बदलकर उसे मुसलमान बनाते हैं। इसका उत्तर उनकी मजहबी शिक्षा में छिपा है। कोई दस साल पहले भारत आये पाकिस्तान के इस्लामिक विद्वान डॉ इसरार अहमद से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या कोई मुस्लिम हिन्दू लड़की से शादी कर सकता है तो उन्होंने कहा अगर लड़की ने इस्लाम कबूल कर लिया हो तो बिल्कुल कर सकता है। आखिर इसरार अहमद शादी से पहले इस्लाम कबूल करने की वकालत क्यों कर रहे थे? इसका उत्तर कुरान में है।

कुरान में गैर मुस्लिम लड़कियों से शादी की मनाही है। कुरान 2/221 में स्पष्ट आदेश है कि “और (मुसलमानों) तुम मुशरिक औरतों से निकाह न करो जब तक कि वो ईमान न लायें।” यहां मुशरिक से अर्थ मूर्तिपूजक से है और ईमान से मतलब इस्लाम स्वीकार करने से है। निश्चित तौर पर गैर मुस्लिम इस बात को नहीं जानता लेकिन हर मुस्लिम इस बात को जानता है कि मूर्तिपूजकों से विवाह की मनाही है जब तक कि वो इस्लाम कबूल न कर लें। यही वह कारण है जो स्पेशल मैरिज एक्ट होने के बावजूद मुस्लिम गैर मुस्लिम के साथ निकाह से पहले उसे इस्लाम कबूल करवाता है। उसे डर लगता है कि अगर वह इस्लामिक नियमों के मुताबिक निकाह नहीं करेगा तो उसका ईमान खारिज हो जाएगा।

इसी कारण से केरल में अथिरा को इस्लाम कबूल करवाकर हादिया बना दिया गया और इसी कारण से शालिनी यादव को इस्लाम कबूल करवाकर फिजा बना दिया गया। यही वह कारण है जिसकी वजह से दो लोगों का लव, लव जिहाद बन जाता है। देश में हर साल सैकड़ों या फिर हजारों हिन्दू-सिख लड़कियां इसका शिकार हो रही हैं।