इतिहास बहुत संवेदनशील होता है, इसलिए इसकी ओर देखते समय समग्रता में देखने की जरूरत होती है। इतिहास के प्रति अगर इकहरी दृष्टि हो तो हम अपने अतीत को कभी समग्रता में न देख पायेंगे और न समझ पायेंगे। आगरा में मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम करने के बाद एक बार फिर सवाल उठता है कि क्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर इतिहास के प्रति इकहरा दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है? उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम करने का क्या ऐतिहासिक औचित्य है?
महाभारत काव्य में आगरा का उल्लेख अग्रवन के रूप में आता है। इसी अग्रवन नामक जंगल में कालांतर में आगर शहर बसा। लेकिन इस आगरा को पहली बार महत्व तब मिला जब सिकंदर लोदी ने 1504 में अपनी राजधानी दिल्ली से हटाकर आगरा में स्थापित की। 1516 में सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी ने गद्दी संभाली लेकिन दस साल बाद ही वह बाबर के हाथों पानीपत की लड़ाई में हार गया। 1526 से 1530 के बीच आगरा बाबर के कब्जे में रहा और उसने यहां आराम बाग का निर्माण करवाया।
बाबर के बेटे जहांगीर के सुल्तान बनने के बाद शेहशाह सूरी ने हुमायूं को हराकर 1540 में आगरा को अपने अधीन कर लिया। शेरशाह सूरी की ये अधीनता लंबे समय तक नहीं रही और पांच साल बाद ही शेरशाह सूरी की बुन्देलखंड में राजपूतों से युद्ध में हुई मौत के बाद आगरा एक बार फिर मुगलों के कब्जे में आ गया। हुमायूं के बाद अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब सबके लिए आगरा सदैव महत्व का स्थान बना रहा। आगरा को विकसित करने में सबसे ज्यादा काम किया अकबर ने। अकबर ने लोदी को हराकर कब्जे में लिए गये किले का पुनर्निमाण करवाया और आगरा से कुछ ही दूरी पर फतेहपुर सीकरी का निर्माण करवाया। हालांकि यह प्रयास असफल रहा लेकिन अकबर के बाद भी जितने मुगल बादशाह हुए वो आगरा को अपने शासन का केन्द्र बनाकर रखा। शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल तो आज संसार भर में आगरा की पहचान है।
अब सवाल ये उठता है कि जिस शहर की लगभग तीन सौ साल की पहचान मुगल शासकों से जुड़ी हुई हो उस शहर में अगर कोई म्यूजियम बने तो क्या उसका नाम शिवाजी के नाम पर होना चाहिए ? शिवाजी का आगरा से रिश्ता सिर्फ इतना था कि वो औरंगजेब से मिलने आये थे और उचित सम्मान न मिलने पर दरबार में ही बगावत कर दिया। परिणाम स्वरूप औरंगजेब ने मार्च 1666 में उन्हें आगरा के किले में ही कैद करवा दिया। अगस्त 1666 में वो वहां से फलो की टोकरी में बैठकर भाग निकले और कई महीने उत्तर में भटकने के बाद आखिरकार महाराष्ट्र पहुंच गये।
शिवाजी मुगल सल्तनत को चुनौती दे रहे थे इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन ये चुनौती उत्तर और आगरा में नहीं बल्कि दूर दक्कन में जहां आदिलशाही के पतन के बाद वो अपना हिन्दवी स्वराज स्थापित करना चाहते थे। औरंगजेब को ये नागवार गुजर रहा था और शिवाजी को रोकने के लिए वह लगातार अपनी सेनाएं भेज रहा था। तीसरे प्रयास में राजा जय सिंह ने शिवाजी को परास्त किया और औरंगजेब के दरबार में आगरा हाजिर होने के लिए बाध्य कर दिया। निश्चय ही तत्कालीन समय में शिवाजी उत्तर के लिए कोई हीरो नहीं थे। राजाओं और मुगलों की जंग में कई राजा मुगलों के साथ थे और शिवाजी इधर ध्यान भी नहीं दे रहे थे। अगर औरंगजेब उन्हें मिलने के लिए न बुलाता तो वो कभी आगरा भी न आते। तो क्या इतने भर से आगरा की पहचान मुगल की बजाय शिवाजी से जुड़ जाएगी?
शिवाजी अपने दक्कन के मराठा साम्राज्य का संरक्षण चाहते थे जबकि औरंगजेब उन्हें अपनी मुगल राज्य के अधीन लाना चाहता था। शिवाजी को ये स्वीकार्य नहीं था इसलिए वो युक्ति पूर्वक आगरे से भाग निकले। जिन राजा जय सिंह ने उन्हें औरंगजेब से मिलने को मजबूर किया था उन्हीं के बेटे रामसिंह ने उन्हें आगरा से भागने में मदद की। ये सारा घटनाक्रम उस समय तत्कालीन राजनीतिक गतिविधियों से प्रभावित था। इसलिए किसी एक पक्ष को स्वीकार करके दूसरे को नकार देना इतिहास के साथ अन्याय होगा।
हम मुगलों से सहमत हों या असहमत, सच्चाई ये है कि दिल्ली और आगरा में लगभग दो सौ साल मुगलों का शासन रहा है। दिल्ली और आगरा का जब इतिहास लिखा जाएगा तो मुगलों इतिहास और विरासत को अनदेखा नहीं किया जायेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम किया है वह इतिहास के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ है। मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर शिवाजी म्यूजियम कर देने भर से आगरा का इतिहास नहीं बदल जाएगा। आगरा की मुगल विरासत और मुगल इतिहास आगरा का अनिवार्य हिस्सा रहेगा। हम शर्म करें या गर्व, लेकिन हमारे शर्म या गर्व से सच्चाई पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अगर योगी आदित्यनाथ को इतनी ही शर्म आती है तो वो मुगल म्यूजियम का नाम आगरा म्यूजियम रख सकते थे। शिवाजी म्यूजियम नाम रखकर वो जिसे आगरा के गौरव से जोड़ रहे हैं उसका आगरा से कोई संबंध ही नहीं है।