पाकिस्तान-बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हितों की रक्षा के लिए संघर्ष


पाकिस्तान में मौजूद हिंदू मंदिरों की दुर्दशा भी सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आयी है। मंदिरों की दुर्दशा पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने एक आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों के रखरखाव के लिए जिम्मेवार इवैक्यू प्रापर्टी ट्रस्ट बोर्ड की भी खिंचाई की है।


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
मत-विमत Updated On :

जब एक तरफ पूरे दक्षिण एशिया में धर्म, जाति और नस्ल के नाम पर लोगों मे आपसी विवाद बढ़ रहा है, बांग्लादेश और पाकिस्तान से अच्छी खबर आयी है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की खराब हालात के बीच जहां उनके हितों की आवाज उठी है, वहीं बांग्लादेश में कट्टरपंथियों पर लगाए जाने की कोशिश हो रही है। पाकिस्तान में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों की हालत काफी खराब है। वे आर्थिक रूप से बदहाल है तो सामाजिक रुप से उनकी परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। वहीं बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी पिछले कुछ सालो में बड़ी चुनौती बन कर सामने आए है।

पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की बदहाली पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जतायी है। बांग्लादेश में एंटी टेरर स्पेशल कोर्ट ने 8 कट्टरपंथियों को मौत की सजा सुनायी है। इनपर एक प्रकाशक की हत्या का आरोप है। दोनों मुल्क इस्लाम बहुल है, जहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान में मंदिरो को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चिंता जहां अच्छे संकेत है, वहीं बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता को लेकर चिंता भी सराहनीय है।

पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने देश के चार बड़े हिंदू मंदिरों की खराब हालात पर चिंता व्यक्त की है। मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाओं को गंभीरता से लिया है। दिसंबर महीनें में खैबर पख्तूनखवा में गिराए गए मंदिर का पुननिर्माण का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। मंदिर तोड़ने के लिए जिम्मेवार लोगों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए है। पुनिर्निमाण पर खर्च होने वाली राशि की वसूली भी दोषियों से ही करने के आदेश दिए गए है।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनखवा राज्य में दिसंबर 2020 में अल्पसंख्यक हिंदुओं के मंदिर बहुसंख्यक समुदाय के लोगों ने तोड़ दी थी। तोड़ने में शामिल लोगों की जब पहचान की तो इसमें ज्यादातर लोग एक राजनीतिक दल जमीएत-उलमा-इस्लाम के समर्थक निकले। मंदिर तोड़ने के 100 आरोपियों को पुलिस ने गिऱफ्तार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत संज्ञान लिया। क्योंकि पुलिस इस मामले में निष्क्रिय नजर आ रही थी।

निष्क्रिय रही पुलिस पर भी कार्रवाई की गई और 92 पुलिस वालों को निलंबित किया गया। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का स्वतसंज्ञान लेना एक महत्वपूर्ण घटना है। क्योंकि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान मे अल्पसंख्यकों की हालत काफी खराब हुई है। पहले भी हिंदुओं के एक बड़े तीर्थ स्थल कटास राज मंदिर के खराब हुए हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की खिंचाई की थी। मंदिर की खराब स्थिति के लिए आसपास मौजूद सीमेंट फैक्ट्रियां जिम्मेवार थी। सुप्रीम कोर्ट ने सिमेंट फैक्ट्रियों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे।

पाकिस्तान में मौजूद हिंदू मंदिरों की दुर्दशा भी सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आयी है। मंदिरों की दुर्दशा पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने एक आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों के रखरखाव के लिए जिम्मेवार इवैक्यू प्रापर्टी ट्रस्ट बोर्ड की भी खिंचाई की है। दरअसल पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान मौजूद हिंदू मंदिरों की स्थिति की जानकारी के लिए डा. शोयब कमिशन का गठन किया था।

कमिशन ने 5 फरवरी को रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। कमिशन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मंदिरों की हालत खराब है। मंदिरों की जमीनों पर भूमाफियों और अपराधियों का कब्जा हो रहा है। मंदिरों के खराब हालात के लिए कमिशन ने मंदिरों के रखरखाव के मौजूद इवैक्यू ट्रस्ट बोर्ड को जिम्मेवार बताया है।

रिपोर्ट के मुताबिक पूरे पाकिस्तान में 365 मंदिर है जिसमें से मात्र 13 मंदिरों का रखरखाव इवैक्यू ट्रस्ट बोर्ड कर रहा है। 65 मंदिरों के रखरखाव की जिम्मेवारी हिंदुओं को सौंपी गई है। जबकि बाकी 287 मंदिरों को भूमाफियों के हवाले कर दिया गया है। कमिशन ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक धार्मिक मंदिरों के पास मौजूद संपतियों की संपति का डिजटिलाइजेशन भी इवैक्यू प्रापर्टी बोर्ड ने नहीं किया है।

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार और कोर्ट कटटरपंथी संगठनों की नकेल कस रहे है। 2015 में सेक्यूलर किताबों को प्रकाशित करने प्रकाशक फैजल आरफीन की हत्या अंसार अल इस्लाम संगठन के लोगों ने कर दी थी। अंसार अल इस्लाम संगठन अलकायदा से जुड़ा हुआ है और बांग्लादेश में अपने प्रभाव को फैलाने की कोशिश में है।

जागृति प्रकाशन के प्रकाशक फैजल आरफीन ने लेखक अविजित राय की पुस्तक भी प्रकाशित की थी, जिससे कट्टरपंथी नाराज थे। बांग्लादेश के एंटी टेरर स्पेशल कोर्ट के जज मजीबुर रहमान ने फैजल हत्याकांड में शामिल आठ दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि ये राज्य और समाज के दुश्मन है। मौत की सजा पाने वाले सेना से बरखास्त कर्नल जिया-उल-हक भी शामिल है जो फिलहाल फरार है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा को लेकर पाकिस्तान की सरकार कभी ईमानदार नहीं रही। लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हितों को लेकर बांग्लादेश की सरकार ईमानदारी से काम कर रही है। शेख हसीना ने हमेशा अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे संगठनो को निशाना बनाया।

बांग्लादेश मे राहत की बात यह रही है कि कि कोर्ट, कानून और संसद ने कट्टरपंथियो का जोरदार मुकाबला किया है। उनके खिलाफ पुलिस ने सिर्फ कार्रवाई ही नहीं की है, बल्कि कानून ने उन्हें सजा भी दी है। युद अपराधियों की सजा इसका उदाहरण है।

ज्यादातर बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के युद अपराधी कट्टरपंथी इस्लामिक दल जमात-ए-इस्लामी से जुड़े है औऱ इसमें से कईयों को सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा दी। इसमें जमात के कुछ बड़े नेता भी शामिल है जिन्हें मौत की सजा दी गई। 2013-16 के बीच बांग्लादेश मे कई सेक्यूलर ब्लॉगरों की हत्या हुई थी। इनकी हत्या के लिए दोषी अपराधियों को भी कानून ने शिकंजे में ले लिया। इनकी हत्याओं में शामिल कई लोगों को सजा हो चुकी है।