
तनिष्क टाटा समूह की एक कंपनी टाइटन का ब्रांड है जो गहनों का कारोबार करती है। कंपनी का बाजार पूंजीमूल्य 1 लाख 9 हजार करोड़ है लेकिन मंगलवार को अचानक कंपनी के बाजार पूंजीकरण मूल्य में 2700 करोड़ रूपये की गिरावट दर्ज की गयी। बाजार के जानकारों का कहना है कि टाइटन के शेयर बाजार में कीमत की कमी का एक कारण तनिष्क के एक विज्ञापन को लेकर उठा विवाद है जिसमें एक हिन्दू लड़की को मुस्लिम परिवार की बहू के रूप में दिखाया गया है।
त्यौहार के सीजन में 8 अक्टूबर को यह विज्ञापन जारी किया गया लेकिन “जेम्स ऑफ बालीवुड” ने 11 अक्टूबर को इस विज्ञापन पर आपत्ति दर्ज करते हुए लिखा कि ऐसे एकता के मामले में हमेशा हिन्दू लड़की को ही मुस्लिम परिवार की बहू बनाया हुआ क्यों दिखाया जाता है। कभी किसी मुस्लिम लड़की को हिन्दू परिवार की बहू बनते हुए क्यों नहीं दिखाया जाता?
देखते ही देखते दिनभर में ये विज्ञापन सोशल मीडिया पर छा गया और इस पर बहुत तीखी प्रतिक्रिया हुई। हाल फिलहाल में दर्जनों लव जिहाद से जुड़ी ऐसी घटनाएं सामने आयी हैं जिसमें लड़की को मार दिया गया है या फिर उनका परित्याग कर दिया गया।
आश्चर्य की बात तो ये है कि जिस दिन इस तनिष्क के इस विज्ञापन पर सोशल मीडिया में हंगामा शुरु हुआ उसके अगले ही दिन लखनऊ विधानसभा के सामने महाराजगंज की एक महिला ने अपने शरीर को आग लगा लिया। वह बुरी तरह से झुलस गयी और अब अस्पताल में जिन्दगी मौत का संघर्ष कर रही है। महाराजगंज की बतायी जा रही 35 साल की इस महिला के बारे में बताया जा रहा है वह अखिलेश तिवारी नामक व्यक्ति से विवाहित थी।
इस बीच उसकी जिन्दगी में एक मुस्लिम आया जिसने उस महिला अंजना को अपने पति से अलग करवाकर निकाह कर लिया। अंजना ने भी अपना धर्म बदलकर इस्लाम कबूल कर लिया और आयेशा बन गयी। लेकिन कुछ ही महीनों में प्यार का भूत उतर गया और उसका मुस्लिम पति सऊदी चला गया। पीछे घर में उसके साथ उसके मुस्लिम परिवार ने प्रताड़ना शुरु कर दिया। वह महिला न्याय के लिए लखनऊ आयी थी और उसने सीएम योगी से मिलने का प्रयास किया। जब सीएम के यहां उसे समय नहीं मिला तो उसने विधानभवन के सामने पहुंचकर आत्मदाह कर लिया।
तनिष्क ने जिस विज्ञापन के जरिए हिन्दू लड़कियों को ये समझाने का प्रयास किया है कि मुस्लिम घरों की बहू बनने से उनकी जिन्दगी सुखमय रहेगी, उन्हें बेटी जैसा सम्मान मिलेगा उसकी हकीकत बहुत स्याह है। गैर मुस्लिम लड़कियों को फंसाने और उन्हें इस्लाम कबूल करवाने की योजनाएं दशकों से चल रही है। यहां तक कि भीमराव अंबेडकर ने अपना किताब “पाकिस्तान: पार्टीशन आफ इंडिया” में भी इसका उल्लेख किया है।
अपनी किताब में वो लिखते हैं “हिन्दू जब ये कहते हैं कि हिन्दू- मुस्लिम एकता संभव नहीं है तब वो सही होते हैं क्योंकि हिन्दू मुस्लिम एकता का मतलब होता है कि लड़कियां एक तरफ (हिन्दुओं) की हों और लड़के हमेशा दूसरे तरफ (मुस्लिम) से हो।” अंबेडकर जो बात दशकों पहले लिख रहे थे वही आज 2020 में भी व्यावहारिक तौर पर दिख रहा है। वरना क्या कारण है कि राहुल राजपूत को दिल्ली में कुछ मुस्लिमों ने घेरकर जान से मार दिया। क्या उसका अपराध सिर्फ ये था कि उसे एक मुस्लिम लड़की से प्यार हो गया था?
आश्चर्य देखिए कि अंबेडकर जिस बात को दशकों पहले अपनी किताब में लिख रहे थे वही बात तनिष्क अपने विज्ञापन में भी दिखा रहा है। क्या ये महज एक संयोग है या फिर जिस मानसिकता के बारे में अंबेडकर लिख रहे थे वही मानसिकता काम कर रही है। तनिष्क का ब्रांड मैनेजर मंसूर खान नामक व्यक्ति है जो कि बंगलोर का है। किसी कंपनी में ब्रांड मैनेजर ही विज्ञापन आदि तय करता है क्योंकि उसी के ऊपर ये जिम्मेवारी होती है कि वो जैसा चाहे वैसी छवि बनाये।
इस मामले में अगर हम तनिष्क के गहनों की ब्रांडिग देखें तो गहनों का भी मजहब तय किया गया है। तनिष्क की वेबसाइट पर मुस्लिम कलेक्शन के नाम से 243 गहने उपलब्ध हैं जबकि हिन्दू कलेक्शन जैसा कोई सेक्सन मौजूद नहीं है। क्या से सिर्फ संयोग है या फिर जानबूझकर किया गया कार्य? अगर आप सोशल मीडिया पर तनिष्क के फेसबुक पेज को खंगालेंगे तो पायेंगे कि मुस्लिम गहनों की खास ब्रांडिंग की गयी है।
10 सितंबर को फेसबुक पेज पर अपलोड एक विज्ञापन में दो मुस्लिम लड़कियों को कुरान का पाठ करते हुए दिखाया गया है। गहनों के प्रचार में भी जब मजहब का इतना बारीक ध्यान रखा गया है तो एकत्वम सीरिज के गहनों के प्रचार के लिए मुस्लिम परिवार में हिन्दू लड़की को गर्भवती दिखाकर उसकी गोदभराई क्यों करवाई जा रही है, इसे आसानी से समझा जा सकता है।
बहरहाल, सोशल मीडिया पर विरोध के बाद तनिष्क ने अपना वह विवादित विज्ञापन वापस ले लिया है लेकिन माफी मांगने के मूड में वह अभी भी नहीं है। तनिष्क की ओर से सोशल मीडिया पर जो माफीनामा प्रकाशित किया गया है उसमें विज्ञापन वापस लेने की बात तो कही गयी है लेकिन इसके लिए अपने कर्मचारियों की सुरक्षा का हवाला दिया गया है। ये एक अलग तरह की बदमाशी है। जब एक भी व्यक्ति कहीं भी तनिष्क के किसी शो रूम तक विरोध करने नहीं गया तो फिर तनिष्क की ओर से ऐसी सफाई क्यों दी गयी?
क्या वो अभी भी यही मानते हैं कि उन्होंने जो किया वो सही किया? अगर हां, तो निश्चित रूप से ये गहनों का कारोबार करनेवाली कंपनी तनिष्क के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। त्यौहार के सीजन में जब एक अकेले अक्षय तृतिया को स्वर्ण कारोबारी हिन्दुओं से इतना बड़ा व्यापार करते हैं तब भी उनके प्रति तनिष्क की हठधर्मिता उसके लिए सिर्फ दुर्भाग्य का पिटारा ही खोल सकता है। सौभाग्य का तो बिल्कुल नहीं।