द केरल स्टोरी: लव जिहाद और आतंकवाद?

फिल्म में दिखाई गई घटनाएं केरल की चार महिलाओं से प्रेरित लगती हैं, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और 2016 और 2018 के बीच  इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफगानिस्तान चली गईं।

5 मई 23 को रिलीज हो चुकी फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ अपने ट्रेलर के रिलीज होने के बाद से ही विवादों में घिरी हुई है। इस फिल्म का दावा है की यह सच्ची घटनाओं पर आधारित है इसके शुरुवाती ट्रेलर में यह दावा किया गया था कि केरल राज्य की 32000 महिलाओं को ज़बरदस्ती से या फिर धोखे से  (लव जिहाद) इस्लाम में परिवर्तित किया गया और बाद में उन्हें जबरन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए पश्चिम एशिया ले जाया गया| लेकिन इस दावे की काफी आलोचना के बाद, फिल्म में  32000 की संख्या को बदलकर 3 कर दिया गया।

फिल्म में दिखाई गई घटनाएं केरल की चार महिलाओं से प्रेरित लगती हैं, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और 2016 और 2018 के बीच  इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफगानिस्तान चली गईं। इस फिल्म ने लव जिहाद से जुड़े विवाद को भी फिर से हवा दे दी, जिसमें भारतीय महिलाओं को मुसलमानों द्वारा शादी के लिए बहकाया जाता है और इस्लाम में उनका धर्मांतरण किया जाता है। हालांकि, केरल हाई कोर्ट ने इस फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रेलर में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे किसी विशेष समुदाय के लिए अपमानजनक माना जा सके।

अतीत में भारत सरकार द्वारा प्रमाणित किये गए तथ्य अलग कहानी पर प्रकाश डालते हैं। इस्लामिक स्टेट जब अपने चरम पर था तब उसमे ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, तुर्की, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन आदि जैसे 80 से अधिक देशों से हजारों लड़ाके भर्ती हुए थे। 1,700 से अधिक फ्रांस से, 760 जर्मनी से, लगभग समान संख्या यूनाइटेड किंगडम (यूके) से और लगभग 470 बेल्जियम से लड़ाके  इस्लामिक स्टेट में शामिल हुए थे। दूसरी तरफ, भारत में इतनी बड़ी मुस्लिम आबादी होने के वावजूद इस्लामिक स्टेट में भर्ती होने बाले भारतीयों की संख्या नगण्य थी।

भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में कुल 100-200 से अधिक भारतीय इस संगठन में शामिल नहीं हुए थे। यह स्पष्ट रूप से भारतीय सामाजिक ताने-बाने की ताकत और भारत सरकार  के कट्टरपंथ को रोकने के लिए किये गए अथक प्रयासों को उजागर करता है। रही बात लव जिहाद की तो, फरवरी 2020 में गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा था कि “केंद्रीय एजेंसियों द्वारा ‘लव जिहाद’ का कोई भी  मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है “।

5 मई 23 को रिलीज हुई फिल्म में कुछ लोगों की  कहानी और उनके संघर्ष को दर्शाया गया है, जिसे किसी अन्य फिल्म की तरह ही देखा जाना चाहिए। फिल्म को इस्लामिक स्टेट एवं लव जिहाद को प्रमुख मुद्दा समझकर नहीं देखा जाना चाहिए।

First Published on: May 10, 2023 9:37 PM
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