इस्लाम के भीतर से आई सुधार की आवाज, लेकिन….

वसीम रिजवी आज जिस बात को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं एक तरह से वह 21वीं सदी में इस्लाम को बचाने का भी प्रयास है। 21वीं सदी में जहां सूचना जन-जन को सुलभ है वहां इस्लाम की गुप्त और रहस्यमई बातें बहुत लंबे समय तक गुप्त और रहस्यमय नहीं रहने वाली हैं।

शुक्रवार मुसलमानों के लिए पवित्र दिन की तरह होता है। वो लोग उस दिन मस्जिद जाकर सामूहिक नमाज अदा करते हैं। लेकिन बीते शुक्रवार को भारतीय उपमहाद्वीप से दो ऐसी खबरें आयीं जो मुसलमानों को बेचैन करनेवाली साबित हुई। पहली खबर श्रीलंका से जहां बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और श्रीलंका के जन सुरक्षा मंत्री सारथ सिरिसेना ने घोषणा किया कि जल्द ही देश में सक्रिय सभी एक हजार मदरसों को बंद कर दिया जाएगा।

दूसरी खबर आयी दिल्ली से जहां शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से मांग किया कि कुरान की 26 आयतों की समीक्षा करके उन पर प्रतिबंध लगाया जाए। वसीम रिजवी के मुताबिक कुरान की ये छब्बीस आयतें न सिर्फ गैर मुस्लिमों के खिलाफ आतंकवाद पैदा करती हैं बल्कि देश और समाज की शांति के लिए भी खतरनाक हैं।

यह इतना सामान्य कार्य नहीं था जिसे वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट जाकर किया है। दुनियाभर के मुसलमान एक स्वर से इस बात को मानते हैं कि कुरान एक मुक्कमल (मजीद) किताब है और उसमें एक कामा तक इधर उधर नहीं किया जा सकता। मुसलमान ऐसा सिर्फ मानते भर नहीं है बल्कि अगर कोई इस मान्यता पर सवाल उठाये तो उसके खिलाफ बहुत हिंसक तरीके से मैदान में उतर आते हैं। इस समय भी देशभर के मुसलमान रिजवी के खिलाफ उबल रहे हैं। रिजवी का कहना है कि उन्होंने अपने दोनों फोन बंद कर दिये हैं क्योंकि फोन पर उन्हें जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। रिजवी को जान से मारने की धमकी सिर्फ फोन पर ही नहीं मिल रही।

मुरादाबाद के एक वकील और इस्लामिक स्कॉलर अमीरुल हसन जाफरी ने उनकी गर्दन काटने वाले के लिए 11 लाख रूपये का ईनाम भी घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वो अपनी औलाद बेचकर इस रकम को इकट्ठा करेंगे। इसी तरह अजमेर दरगाह के सैयद कामरान चिश्ती ने वसीम रिजवी को मुर्तद (इस्लाम छोड़कर जानेवाला) करार दिया और कहा कि उसे वही सजा मिले जो एक मुर्तद को दी जाती है। यहां एक बात याद रखना चाहिए कि मुर्तद की सजा इस्लाम में मौत मुकर्रर की गयी है। अगर कोई इस्लाम छोड़कर जाना चाहे तो उसकी हत्या कर देना इस्लाम में जायज समझा जाता है।

यहां एक बात गौर करने वाली ये है कि वसीम रिजवी के खिलाफ इस्लाम के वे फिरके ज्यादा मुखर होकर बोल रहे हैं जिन्हें मुख्यधारा का मुसलमान मुसलमान ही नहीं मानता। इस्लाम में शिया सुन्नी का बंटवारा इस्लाम की पैदाइश से है। दुनियाभर के सुन्नी मुसलमान शिया को काफिर करार देते हैं और पाकिस्तान में तो शियाओं को कत्ल करने तक के फतवे जारी होते रहते हैं। लश्कर ए तोयबा, लश्कर ए झांगवी और सिपाह ए सहाबा शिया मुसलमानों पर हमले करते रहे हैं।

वसीम रिजवी ने याचिका दायर करने के बाद अपना जो वीडियो वक्तव्य जारी किया है उसमें इस बात का उल्लेख किया है कि कैसे कुरान की उन्हीं आयतों का सहारा लेकर शिया इमामों का कत्ल किया जाता रहा है जिन्हें हटाने की अपील लेकर वो सुप्रीम कोर्ट गये हैं। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि शिया और सूफी सबसे ज्यादा रिजवी को गाली दे रहे हैं जबकि सुन्नी इस्लाम के दोनो फिरके देओबंदी और बरेलवी पूरी तरह से चुप हैं। क्या ये शिया और सूफी का डर है या फिर उनके सामने अपने आपको सच्चा मुसलमान साबित करने की मजबूरी कि सबसे ज्यादा वही लोग बोल रहे हैं जो इस्लाम के भीतर कुरान की इन आयतों के सबसे ज्यादा शिकार हैं?

दुनियाभर में बदलते समय के साथ धर्मों में व्याप्त रूढि़यों से मुक्ति पायी जाती रही है। यूरोप का ईसाई धर्म हो या फिर भारत का हिन्दू धर्म। समय समय पर इनमें सुधार के लिए लोग आगे आये हैं और बदलते समय के साथ लोगों ने इन सुधारों को स्वीकार भी कर लिया है। लेकिन इस्लाम का इतिहास उठाकर देखें तो पायेंगे कि इस्लाम में सुधारवादी आवाजों को कभी पसंद नहीं किया जाता। हाल फिलहाल में सौ सवा सौ साल पहले इस्लाम में एक सुधारवादी आवाज उठी थी पंजाब के कादियान कस्बे से जहां पैदा होनेवाले गुलाम अहमद कादियानी ने इस्लाम में एक जबर्दस्त सुधारवादी मुहीम शुरु किया था।

शुरुआती दौर में उन्हें सफलता भी मिली लेकिन बदलते समय के साथ कादियानी या अहमदिया मुसलमान  सिर्फ काफिर घोषित कर दिये गये बल्कि दुनियाभर में फैले कादियानी मुसलमानों को अपनी पहचान छिपाकर रखना पड़ता है। पाकिस्तान में तो कादियानी मुसलमान वाजिब उल कत्ल घोषित हो चुके हैं सरकारी स्तर पर उन्हें गैर मुस्लिम करार दिया जा चुका है। कादियानियों को ये सारा जुल्म इसलिए सहना पड़ता है क्योंकि उनकी मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद आखिरी पैगंबर नहीं है। गुलाम अहदम कादियानी तर्कपूर्ण व्यक्तित्व थे और आर्य समाज के प्रभाव को कम करने में बहुत अहम रोल अदा किया था लेकिन उनके इसी एक तर्क ने उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया कि जब संसार चल रहा है तो कोई नबी या बैगंबर आखिरी कैसे हो सकते हैं? नबी और पैगंबर तो आते रहेंगे।

असल में जो मुख्यधारा का सुन्नी मुसलमान है वह पूरी दुनिया में मुसलमानों में बहुसंख्यक है। ऐसा अनुमान है कि पूरी दुनिया में डेढ़ अरब मुसलमान हैं जिसमें नब्बे प्रतिशत सुन्नी मुसलमान हैं। बीते पचास सालों में सुन्नी मुससमान सबसे ज्यादा तेजी से बढे़ हैं और 2030 तक अकेले सुन्नी मुसलमानों की जनसंख्या 2 अरब हो जाएगी। इन दो अरब में सर्वाधिक सुन्नी मुसलमान भारतीय उपमहाद्वीप में होंगे। जाहिर है अपने संख्याबल के कारण सुन्नी मुसलमानों का पूरी दुनिया में दबदबा है और वो जो इस्लाम के कायदे तय करते हैं उसे ही अंतिम माना जाता है। यहां भी वही होगा।

सुन्नी मुसलमान किसी भी प्रकार के ऐसे सुधार का पक्षधर क्यों होगा जिसमें काफिर की अवधारणा ही समाप्त हो जाए? समूचा इस्लाम काफिर मोमिन के बंटवारे पर टिका हुआ है। मुस्लिम और गैर मुस्लिम का बंटवारा इतना गहरा है की खाने पीने की चीजें हलाल और हराम में बांट दी गयी हैं। ऐसे में अगर वसीम रिजवी काफिर करार देनेवाली आयतों को हटाने का हवाला देंगे तो भला सच्चा मुसलमान कैसे स्वीकार कर लेगा?

लेकिन यहां एक और महत्वपूर्ण तथ्य याद रखने लायक है। वसीम रिजवी आज जिस बात को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं एक तरह से वह 21वीं सदी में इस्लाम को बचाने का भी प्रयास है। 21वीं सदी में जहां सूचना जन-जन को सुलभ है वहां इस्लाम की गुप्त और रहस्यमई बातें बहुत लंबे समय तक गुप्त और रहस्यमय नहीं रहने वाली हैं। कुरान और हदीस यह सब अब इंटरनेट पर उपलब्ध है। जो कोई चाहेगा इसे पढे़गा और समझेगा कि कुरान गैर मुस्लिमों को किस नजरिए से देखता है?

अच्छा होता भारत के मुसलमान वसीम रिजवी की पहल पर बहस करते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह सीधे गाली गलौज और हत्या के फरमान पर उतर आए। यह स्वयं इस्लाम के लिए अच्छा संकेत नहीं है। 21वीं सदी में जो मुसलमान सोलहवीं सदी की मानसिकता से जीना चाहेगा उसके लिए बहुत मुश्किल होने वाली है, क्योंकि अगर इस्लाम अपने अंदर बदलाव का स्वागत नहीं करता तो 21वीं सदी बहुत कुछ बदल कर जाने वाली है।

First Published on: March 16, 2021 8:46 PM
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