चीन को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी रद्द होने का सच

चीन को मिसाइल डिलीवरी रोके जाने की खबर पर सवाल भी उठाए गए है। क्योंकि चीन से खरीद आर्डर मिलने के बाद मिसाइल डिलीवरी को अगर रूस निलंबित करेगा तो इससे रूस के ही आर्थिक हित प्रभावित होंगे। चूंकि चीन इस समय रूस से सिर्फ हथियार ही नहीं बल्कि बड़ी मात्रा में गैस और तेल भी खरीद रहा है।

रूस ने चीन को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी रोक दी है। भारतीय मीडिया ने चीन के एक समाचार पत्र के हवाले से यह दावा किया है। अगर ये खबर सच है तो भारत की यह अच्छी कूटनीतिक जीत है। क्योंकि चीन एस-400 मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर तक में अपनी ताकत बढ़ाने में करेगा। दरअसल रूस निर्मित अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल सिस्टम का पहला अंतराष्ट्रीय खरीदार चीन ही है। चीन के खरीद आर्डर के बाद तुर्की और भारत ने भी इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने का फैसला लिया। 

चीन को मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी रोके जाने की खबर पर सवाल भी उठाए गए है। क्योंकि चीन से खरीद आर्डर मिलने के बाद मिसाइल सिस्टम डिलीवरी को अगर रूस निलंबित करेगा तो इससे रूस के ही आर्थिक हित प्रभावित होंगे। चूंकि चीन इस समय रूस से सिर्फ हथियार ही नहीं खरीद रहा है, बल्कि बड़ी मात्रा में गैस और तेल की खरीद भी रूस से कर रहा है। चीन ने रूस से 400 अरब डालर का गैस और तेल खरीद का समझौता किया है। गौरतलब है कि रूस की खराब अर्थव्यवस्था को बचाने में चीन के तेल और गैस बजार ने खासी मदद की है। 

भारतीय मीडिया ने चीन के सामाचार पत्र सोहू के हवाले से लिखा कि रूस ने सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी को निलंबित कर दी है। देश के तमाम बड़े मीडिया समूहों ने इस खबर को छापा। निश्चित तौर पर भारत के लिए यह बहुत ही अच्छी खबर है। खबरों में मिसाइल सिस्टम डिलीवरी को रोके जाने कारण भी बताया गया है। खबरों के मुताबिक रूस चीन से इस बात से खासा नाराज है कि चीन रूस की जासूसी कर रहा है। रूस ने हाल ही में अपने एक वैज्ञानिक पर चीन को गोपनीय सूचना देने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन का मानना है कि रूस ने मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी किसी दबाव में रोक दी है। क्योंकि चीन तो मिसाइल सिस्टम की ट्रेनिंग देने के अपने सैनिक भी रूस भेज चुका है। खबरों में चीन के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि रूस कोविड-19 महामारी के कारण एस-400 मिसाइल की डिलीवरी को निलंबित किया है, क्योंकि इससे चीन की ही परेशानी बढ़ेगी।  

लेकिन रूस दवारा चीन को मिसाइल सिस्टम के डिलीवरी रोके जाने की खबर को लेकर विरोधाभास भी है। इस विरोधाभास का आधार रूसी सामाचार एजेंसी तास की एक खबर है। जनवरी 2020 में ही तास की खबर में दावा किया गया था कि रूस दिसंबर 2019 में ही चीन को एस-400 मिसाइल सिस्टम का दूसरा रेजिमेंटल सेट की डिलीवरी कर चुका है। तास की खबर के मुताबिक रूस से चीन ने मिसाइल सिस्टम के दो रेजिमेंटल सेट खरीदने थे। पहले सेट की डिलीवरी 2018 में हो गई थी। जबकि दूसरी खेप की डिलीवरी दिसंबर 2019 में हो गई थी। 

रूस को दूसरे खेप की डिलीवरी संबंधी खबर रूसी सामाचर एजेंसी तास ने 27 जनवरी 2020 को छापी थी। खबर के मुताबिक रूस ने एस-400 मिसाइल सिस्टम का दूसरा रेजिमेंटल सेट चीन को सौंप दिया। सामाचर एजेंसी ने विस्तृत खबर छापते हुए कहा कि रूस ने मिसाइल सिस्टम का दूसरी खेप चीन को समुद्री परिवहन के माध्यम से रूस को सौंप दिया। चीन को क्या-क्या मिसाइल सिस्टम में सौंपा गया था इसकी भी जानकारी तास ने अपनी खबर में दी थी।

तास के मुताबिक दूसरे सेट में लांच डिवाइस के दो डिवीजन, रेडियोलोकेशन स्टेशन, एनर्जी एवं सर्विस उपकरण, स्पेयर पार्टस और उपकरण चीन को सौंपे गए। खबर में ये भी जानकारी दी गई थी कि चीन को 120 एंटी एयरक्राफ्ट गाइडेड मिसाइल भी सौंपी गई। खबर के मुताबिक एस-400 मिसाइल को समुद्री जहाजों के माध्यम से भेजा गया था जिसका पहला खेप जुलाई 2019 में रूस से रवाना हुआ था। चीन में खेप पहुंचने के बाद एस-400 से संबंधित हस्तांतरण प्रमाणपत्र पर चीन में दिंसबर 2019 में हस्ताक्षर हो गए थे।

दरअसल रूस दवारा एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलवरी निलंबित किए जाने की खबर पर भारतीय मीडिया में आने के बाद अंतराष्ट्रीय वेबसाइट यूरेशियन टाइम्स ने भी एक खबर छापी है। यूरेशियन टाइम्स ने भी तास की खबर का हवाला देते हुए कहा है कि चीन को एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी पूरी हो चुकी है। यूरेशियन टाइम्स ने तास की खबर का हवाला देते हुए लिखा है कि एस-400 मिसाइल सिस्टम के दो रेजिमेंटल सेट के खरीद संबंधी समझौता रूस और चीन के बीच 2014 में हुआ था। इसकी पहले रेजिमेंटल सेट की डिलीवरी 2018 में हो गई थी और दूसरे रेजिमेंटल सेट की डिलीवरी 2019 मे हुई। यूरेशियन टाइम्स ने भारतीय मीडिया की रिपोर्ट का भी जिक्र भी किया है जिसमें रूस दवारा चीन को मिसाइल सिस्टम डिलीवरी को रोके जाने का उल्लेख है।   

आखिर एस-400 मिसाइल सिस्टम इतना महत्वपूर्ण क्यों है, इसे समझना बहुत जरूरी है। एस-400 मिसाइल सिस्टम दुनिया का अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम है। यह लंबी और मध्यम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम है। इस मिसाइल सिस्टम को एयरक्राफ्ट और क्रूज एवं बैलेस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए बेहतरीन तरीके से डिजाइन किया गया है। यह मिसाइल 400 किलोमीटर दूर तक मार कर सकता है।

रूस अपने मिसाइल सिस्टम को अभी तक एशियाई बाजार में बेचने में काफी हद तक सफल रहा है। अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश के हथियार बाजार में इस सिस्टम के खरीदार नहीं है। रूस के इस हथियार को यूरोपीय बाजार में भी खरीदार नहीं है। क्योंकि यूरोप की ज्यादातर प्रमुख ताकतें नाटो के साथ है। ऐसे में एशियाई देश ही इस मिसाइल सिस्टम के खरीदार है। रूस की सबसे बडी सफलता यह है कि रूस नाटो गुट के एक प्रमुख देश तुर्की को भी एस-400 मिसाइल सिस्टम बेचने में सफल हो गया है।

रूस निर्मित एस-400 मिसाइल सिस्टम का पहला अंतराष्ट्रीय खरीदार चीन है। चीन से खरीद आर्डर मिलते ही रूस ने एशियाई बाजार में एस-400 की और मार्केटिंग कर ली। 2017 में नाटो का सदस्य देश तुर्की एस-400 मिसाइल सिस्टम का खरीदार बन गया। तुर्की 29 सदस्य देशों वाले मिलिट्री एलांयस नाटो का महत्वपूर्ण सदस्य है। तुर्की ने 2.5 अरब डालर की लागत से रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने का फैसला लिया। तुर्की को जुलाई 2019 में मिसाइल सिस्टम के पहले खेप की डिलीवरी भी मिल गई। इसके बाद 2018 में भारत और रूस के बीच एस-400 खरीद पर समझौता हुआ। भारत ने 5.5 अरब डालर की लागत से एस-400 के 5 रेजिमेंट के खरीद आर्डर रूस को दिए। इस तरह भारत एस-400 मिसाइल सिस्टम का सबसे बड़ा एशियाई खरीदार बन गया।

First Published on: July 29, 2020 4:07 PM
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