धार्मिक उन्माद एवं नशाखोरी में लिप्त कांवड़ यात्राओं की सच्चाई

ऐसे ही लोगों के कंधे पर सवार होकर कोई संगठन किसी तानाशाह के माध्यम से फासीवादी सरकार की स्थापना करता है, जो पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के फायदे के लिए बहुसंख्यक मेहनतकश अवाम को गुलाम बनाता है, और पूंजीपति उनके श्रम का मनमाना शोषण और दोहन कर भरपूर मुनाफा कमाकर अपनी तिजोरी का आयतन बढ़ा लेते हैं कि वह कभी भरता ही नहीं।

राम अयोध्या सिंह  

धर्म के नाम पर कांवड़ यात्रा वास्तव में भारत के जवानों और किशोरों के अपराधीकरण, लंपटीकरण और भगवाकरण की पूंजीवादी योजना है, जिसे संघ और भाजपा अपने विभिन्न संगठनों द्वारा ग्रामीण इलाके के ऐसे लोगों को विशेष रूप से प्रेरित और प्रशिक्षित करते हैं। कांवड़ यात्रा में शामिल बहुसंख्यक लोग पिछड़ी, अतिपिछड़ी और अनुसूचित जाति के वैसे मूर्ख, गंवार और अनपढ़ होते हैं, जिन्हें इन यात्राओं के क्रम में भांग, गांजा, चरस, दारु और नशा के दूसरे साधनों के इस्तेमाल करने का आदी बनाया जाता है, और साथ ही धर्म का जहर भी दिमाग में भर दिया जाता है।

नशा के इन दोनों माध्यमों द्वारा नौजवानों और किशोरों के मस्तिष्क का इस तरह अनुकूलन किया जाता है कि उनका मानसिक बधियाकरण हो जाता है। सैंकड़ों पिछड़ी, अतिपिछड़ी और अनुसूचित जातियों का सबसे ऊर्जावान और स्फूर्तिवान समूह ही जब धर्म और नशा के चंगुल में फंस जाता है तो फिर उससे बाहर निकलने का रास्ता ही बंद हो जाता है। नशे का आदी व्यक्ति के दिमाग में जब धर्म का अफीम भी भर दिया जाता है, तो फिर वह बेलगाम घोड़े की तरह सरपट संघ द्वारा निर्देशित दिशा में दौड़ पड़ता है बिना यह जाने कि इसका परिणाम क्या होगा?

मैंने व्यक्तिगत रूप में यह अनुभव प्राप्त किया है कि ऐसे किशोरों और युवाओं का गिरोह हर गांव में सक्रिय हैं, जो कांवड़ यात्रा के लिए सालभर थोड़ा-थोड़ा करके पैसा जमा करते हैं, और समय आने पर दस-बीस लोगों के गिरोह में भाड़े की जीप या बस से यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं। पूरे रास्ते नशे में मतवाला बन झूमते चलते हैं। रास्ते में इनके लिए बीच-बीच में आर्केस्ट्रा या डीजे का भी आयोजन किया जाता है। आराम करने के लिए भी स्थान तय किए जाते हैं, जहां इनके लिए नाश्ता और पानी के साथ ही नशे के साधनों का भी भरपूर इंतजाम किया जाता है।

कांवड़ यात्रा द्वारा युवाओं और किशोरों का अपराधीकरण, लंपटीकरण और भगवाकरण के माध्यम से मानसिक बधियाकरण बहुत लंबे समय से किया जा रहा है। यह अनायास नहीं है कि मोदी के अंधभक्त इतनी बड़ी संख्या में आज हैं। नशे और जीवन की छोटी-मोटी जरूरतों के लिए भारत के गाय और गोबर क्षेत्र के युवा और किशोर ने सिर्फ अपनी और अपने परिवार का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि भारतीय राष्ट्र की बुनियाद भी कमजोर कर रहे हैं।

ऐसे ही लोगों के कंधे पर सवार होकर कोई संगठन किसी तानाशाह के माध्यम से फासीवादी सरकार की स्थापना करता है, जो पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के फायदे के लिए बहुसंख्यक मेहनतकश अवाम को गुलाम बनाता है, और पूंजीपति उनके श्रम का मनमाना शोषण और दोहन कर भरपूर मुनाफा कमाकर अपनी तिजोरी का आयतन बढ़ा लेते हैं कि वह कभी भरता ही नहीं।

आज ऐसे ही युवाओं के कंधे पर राजसत्ता अपनी बंदूक रखकर अपने विरोधियों के खिलाफ दमन की कार्रवाई कर रही है। भाजपा के लिए चुनावों में ऐसे ही लोग उसके सबसे बड़े और भरोसेमंद कार्यकर्ता होते हैं, जय श्रीराम का नारा लगाकर विरोधियों को चुप कराते हैं, दंगा फैलाते हैं, लव जिहाद के कार्यक्रम में भाग लेते हैं, मुसलमानों और कम्युनिस्टों को अक्सर गाली देते हैं, राममंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूली करते हैं, और सालों भर धार्मिक उत्सवों और त्यौहारों के आयोजनों का प्रबंधन और संचालन करते हैं। धर्म और राष्ट्र के नाम पर  राष्ट्र को कैसे बर्बाद किया जाता है, इसका यह सर्वोत्तम उदाहरण है।

First Published on: July 20, 2021 11:10 AM
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