अनलॉक,पर्व और गरीब : प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम छठा संदेश


प्रधानमंत्री ने माना है कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश के मजदूर और गरीब तबके को सबसे बड़ा झटका लगा है। काम धंधे बंद होने से इस तबके के सामने रोजी- रोटी का संकट आ गया है। यह संकट इतना व्यापक है कि निकट भविष्य में इससे छुटकारा पाना संभव नहीं है।



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस की कड़ी में मंगलवार 30 जून 2020 को राष्ट्र के नाम अपना छठा संदेश दिया। उनका यह संबोधन राष्ट्र के नाम दिए गए इस श्रंखला के पूर्व के पांच संबोधनों से थोड़ा अलग भी था। प्रधानमंत्री के इस संदेश में मोटे तौर पर दो बातों पर ध्यान दिया गया है। सबसे पहले तो प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है इसलिए दुबारा लॉकडाउन लगने की संभावना तो दूर- दूर तक नहीं है लेकिन कोरोना से बचाव के लिए तमाम एहतियाती इंतजाम करते रहने होंगे। इस सम्बोधन में दूसरा स्पष्ट संदेश यह भी है कि कोरोना से बचाव के लिए पूरे ढाई महीने देश भर में जिस तरह से लॉकडाउन लागू करना पड़ा उससे देश की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई है इसलिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सबसे पहले जरूरी है। 

इसका एक ही तरीका है कि हम लॉकडाउन के नियमों के अनुसार सावधानी पूर्वक काम करते हुए अपना भी बचाव करें और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती के साथ आगे बढ़ाने में मदद करें। प्रधानमंत्री ने माना है कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश के मजदूर और गरीब तबके को सबसे बड़ा झटका लगा है। काम धंधे बंद होने से इस तबके के सामने रोजी- रोटी का संकट आ गया है। यह संकट इतना व्यापक है कि निकट भविष्य में इससे छुटकारा पाना संभव नहीं है। इसलिए लॉकडाउन के समय से इस तबके के लोगों को सरकार से प्रतिमाह निशुल्क अनाज की आपूर्ति की जो योजना मार्च के महीने में शुरू की गई थी वो अब इस साल नवम्बर के महीने तक जारी रहेगी। इस योजना को जारी रखने का फैसला सरकार ने इसलिए भी किया क्योंकि अब लगातार पर्वों का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे मौकों पर खर्च भी ज्यादा होता है, इस बहाने गरीबों की मदद भी हो जायेगी।

सरकार के इस फैसले को राजनीतिक हलकों में बिहार चुनाव के सम्बन्ध में सत्तारूढ़ दल की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है लेकिन वैसे देखें तो यह बात भी सही है कि अगर इस बहाने ही गरीबों का कुछ भला हो जाता है तो इसमें किसी का जाता भी क्या है। राजनीतिक दाव-पेंच को एक किनारे रख कर विचार करें तो प्रधानमंत्री के छठें कोरोना संबोधन में की गई इस योजना और घोषणा का स्वागत ही किया जाना चाहिए।

कोरोना प्रकरण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम सन्देश का सिलसिला 19 मार्च को तब शुरू हुआ था जब उन्होंने 22 मार्च को रविवार के दिन देश वासियों से एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाने का अनुरोध किया था। इसके पांच दिन बाद ही 24 मार्च की रात को मोदी का वह ऐतिहासिक संबोधन हुआ था जिसमें उन्होंने तीन सप्ताह तक चलने वाले राष्ट्रीय लॉकडाउन को लागू करने की घोषणा की थी। इसके बाद और 30 जून 2020 तक की अवधि के बीच में प्रधानमंत्री ने कोरोना को लेकर ही तीन बार राष्ट्र को संबोधित किया था। इस कड़ी में उनका यह छठा संबोधन था। 

इसकी शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने साफ़ कर दिया कि कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ते लड़ते हम अनलॉक-2 में प्रवेश कर रहे हैं और हम उस मौसम में भी प्रवेश कर रहे हैं जहां सर्दी, जुकाम, बुखार और ना जाने क्या क्या होता है, ये मामले बढ़ जाते हैं। ऐसे में मेरी आप सभी देशवासियों से प्रार्थना है कि ऐसे समय अपना ध्यान रखिए। कोरोना से लड़ते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के सन्दर्भ में इस बात को बहुत ही पुख्ता तरीके से रेखांकित किया कि अगर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर को देखें तो दुनिया के अनेक देशों की तुलना में भारत संभली हुई स्थिति में है। लेकिन वहीँ दूसरी तरफ यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि जब से देश में अनलॉक-1 की प्रक्रिया शुरू हुई है, हमारे देश में व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में लापरवाही भी बढ़ती चली जा रही है जबकि आज के हालात में हमें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने अपने इस संबोधन में कोरोना काल के संकट प्रधान दौर का जिक्र करते हुए देश के उन 20 करोड़ गरीब परिवारों की समस्याओं की तरफ भी इशारा किया और यह भी बताया कि सरकार ने संकट के इस दौर में इन गरीब परिवारों को उनके जनधन खातों के जरिये सीधे 31 हजार करोड़ रुपए की मदद की है, इस दौरान 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। गांवों में श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान तेज गति से शुरू कर दिया गया है। इस पर सरकार 50 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है, यही नहीं कोरोना कोरोना से लड़ने के साथ ही इस अवधि में भारत में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को तीन महीने का राशन यानी परिवार के हर सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त दिया गया।

इसके अतिरिक्त
प्रति परिवार हर महीने एक किलो दाल भी मुफ्त दी गई।मौजूदा समस्या को देखते हुए
गरीबों को मुफ्त राशन,
दाल और चीनी उपलब्ध कराने की यह सरकारी योजना अब नवम्बर के महीने तक
बढ़ा दी गई है। अपने ताजा संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका उल्लेख
साफ़ तौर पर किया। योजना के मुताबिक इस अवधि तक पूरे पांच महीने के दौरान देश के 80
करोड़ से ज्यादा गरीब परिवार के हर सदस्य
को 5 किलो गेंहू या 5 किलो चावल मुफ्त
दिया जाएगा। साथ ही प्रत्येक परिवार को हर महीने एक किलो चना भी मुफ्त दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के विस्तार में 90 हजार
करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे।