आंदोलन जब सिख किसानों का है, तो पंजाब के शहरी हिंदुओं ने भाजपा को क्यों किया खारिज


भाजपा से बेहतर प्रदर्शन अकाली दल ने शहरी इलाकों में किया है। कहां भाजपा पंजाब के ग्रामीण इलाकों में घुसपैठ करने का दावा कर रही थी। लेकिन अब शहरों से भी पांव उखड़ गए है। भाजपा की चिंता यह है कि शहरी इलाकों में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन अकाली दल ने किया है जो परंपरागत तौर पर ग्रामीण सिखों का प्रतिनिधित्व करती रही है।


संजीव पांडेय संजीव पांडेय
मत-विमत Updated On :

भाजपा की नजर में किसान आंदोलन सिख किसानों का आंदोलन है। इसी तर्ज पर लगातार केंद्र सरकार किसान आंदोलन को खारिज कर रही है। लेकिन पंजाब के नगर पंचायतों औऱ निगमों के चुनाव के परिणामों के बाद भाजपा की हालत खराब है। शहरी इलाकों के हिंदुओं ने भाजपा को खारिज कर दिया है। कांग्रेस को बंपर जीत मिली है।

भाजपा से बेहतर प्रदर्शन अकाली दल ने शहरी इलाकों में किया है। कहां भाजपा पंजाब के ग्रामीण इलाकों में घुसपैठ करने का दावा कर रही थी। लेकिन अब शहरों से भी पांव उखड़ गए है। भाजपा की चिंता यह है कि शहरी इलाकों में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन अकाली दल ने किया है जो परंपरागत तौर पर ग्रामीण सिखों का प्रतिनिधित्व करती रही है।

भाजपा के लिए पंजाब से वाकई में बहुत ही बुरी खबर आयी है। नगर पंचायतों और नगर निगमों के कुल 2165 वार्डों में भाजपा को सिर्फ 49 वार्डों में जीत मिली है। हिंदू बहुल वार्डो में भाजपा की करारी हार हुई है। यह भाजपा के लिए भारी झटका है। खासकर तब जब भाजपा अकाली दल से अलग होकर पंजाब में सत्ता प्राप्त करने का सपना देख रही है।

किसान आंदोलन के शुरू होने के बाद भाजपा पंजाब में दलित-हिंदू गठजोड़ बना रही थी। इस आधार पर कांग्रेस और अकाली दल को पीछे करने की योजना भाजपा के नेता बना रहे थे। राज्य के नेताओं को केंद्र में प्रतिनिधित्व देकर राज्य की जनता को संदेश दिया जा रहा था कि पंजाब उनके लिए खासा महत्वपूर्ण है।

होशियारपुर के भाजपा सांसद सोमप्रकाश को केंद्र में मंत्री बनाया गया। हाल ही में पंजाब भाजपा के दलित नेता विजय सापला को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन भी बनाया गया था। सापला पहले केंद्र में मंत्री रह चुके है। पंजाब के कोटे से तरूण चुग भाजपा में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।

नगर पंचायतों और निगमों के चुनाव परिणामों ने भाजपा की सारी गलफहमी को दूर कर दिया। चुनाव परिणाम बताते है कि भाजपा को न तो शहरी अपर कास्ट हिंदुओं का वोट मिला, न ही दलित जातियों का वोट मिला। राज्य में 109 नगर पंचायतों में से 87 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिली है। नगर पंचायतों के कुल 1815 वार्डों में 1128 वार्ड में कांग्रेस को जीत मिली है। जबकि नगर निगमों से 350 वार्डों में 271 वार्डों में में कांग्रेस की जीत मिली है। अकाली दल को नगर पंचायतों के 252 वार्डों पर जीत मिली है। जबकि नगर निगमों की 33 सीटों पर जीत मिली है। वहीं भाजपा को नगर पंचायतों में 29 और नगर निगमों में 20 सीटों पर जीत मिली है। आप को नगर पंचायतों में 53 और नगर निगमों में कुल 9 सीटों पर जीत मिली है।

भाजपा लगातार तर्क दे रही थी कि किसान आंदोलन का कोई राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव नहीं है। यह आंदोलन पंजाब के सिख किसानों का आंदोलन है। केंद्र के मंत्री लगातार किसानों पर हमलावर रहे है। यही नहीं किसान आंदोलन को खालिस्तानी बताकर भाजपा ने इसे मौके के तौर पर लिया। पंजाब के सिख किसानों में अच्छी संख्या जाट सिखों की है। इनका पंजाब की राजनीति में खासा दबदबा है। भाजपा ने इनके खिलाफ एक नया समीकऱण बनाने की कोशिश की है।

भाजपा नेता सिख किसानों के खिलाफ नए राजनीतिक समीकऱण में शहरी हिंदुओं और ग्रामीण इलाकों में मौजूद दलितों को लामबंद करने की योजना बनाने में लग गए थे। इसी नए समीकऱण पर भाजपा पंजाब में सत्ता प्राप्त करने तक का ख्बाब देख रही है। भाजपा नेता इस नए समीकरण पर जमकर ब्यानाबाजी कर रहे है। एक योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन को खालिस्तानी आंदोलन भी बताया गया। लेकिन भाजपा नेताओं को यह उम्मीद नहीं थी कि शहरी नगर पंचायतों में भाजपा के लिए चुनाव परिणाम इतना खराब होगा।

हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान ही भाजपा नेताओं की नींद उड़ गई थी। पंजाब के भाजपा नेता खुले में घूमने से भी बच रहे थे। क्योंकि हर जगह भाजपा नेताओं और उम्मीदवारों का विरोध किसान संगठन कर रहे थे। पंजाब भाजपा के नेताओं का जोरदार विरोध राज्य में अभी भी हो रहा है। बड़े नेताओं के घरों के बाहर किसानों पक्का मोर्चा लगा दिया है। जबकि राज्य भाजपा के नेता हैवी पुलिस प्रोटेक्शन में भी चुनाव प्रचार नहीं कर पाए। क्योंकि हर जगह किसान पीछे से नारा लगाने लगते थे।

नगर पंचायतों और नगर निगम चुनावों में भाजपा को बहुत जगह उम्मीदवार भी नहीं मिले। लगभग आधी सीटों पर ही भाजपा उम्मीदवार खड़ा कर पायी। इसके बावजूद भाजपा नेता लगातार दावा करते नजर आए है कि भाजपा अकेले दम पर पंजाब में सत्ता प्राप्त करेगी। लेकिन हालात यह थी कि भाजपा को चुनाव प्रचार करने में भी भारी दिक्कत आयी। जहां भी उम्मीदवार प्रचार करने गए, पीछे से किसानों का जत्था उनके खिलाफ नारा लगाते पहुंच गया।

चुनाव परिणाम भाजपा के लिए ज्यादा परेशान करने वाला है। कहां गांवों में आधार बढ़ाने का दावा था, कहां शहरी हिंदुओं ने भाजपा को बुरी तरह से खारिज कर दिया है। भाजपा के परंपरागत गढ़ में भाजपा की हार हुई है। भाजपा की हार भाजपा के लिए शर्मिंदगी का विषय है। कुछ इलाकों में जहां हिंदू परंपरागत तौर पर भाजपा के समर्थक है, वहां भी भाजपा हार गई है।

नगर निगमों और पंचायतों के चुनाव को अगर देखे तो भाजपा अपने गढ होशियारपुर, पठानकोट, अबोहर में हार गई है। पठानकोट और होशियारपुर से कई बार भाजपा के विधायक चुने गए है। अबोहर से वर्तमान में भाजपा के अरूण नारंग विधायक है। लेकिन अबोहर में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली। यहां 50 में से 49 वार्डों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा खुद पठानकोट से संबंधित है और एक बार विधायक भी यहां से चुने गए है। लेकिन पठानकोट में भाजपा को 50 में से मात्र 11 सीटें आयी है। होशियारपुर विधानसभा क्षेत्र से से कई बार भाजपा के विधायक चुने गए है। होशियारपुर लोकसभा सीट अभी भाजपा का कब्जा है। लेकिन होशियारपुर में भाजपा को 50 में से मात्र 4 सीटों पर जीत मिली है।

राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद की पत्नी भी अपने वार्ड में चुनाव हार गई। पठानकोट और होशियारपुर शहर में बहुसंख्यक आबादी हिंदू है। उधर भाजपा के सांसद सन्नी देओल के गुरदासपुर में भी भाजपा की बुरी हार हुई है।

गुरदासपुर में तो भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली और सारी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया। पाकिस्तान के इस सीमावर्ती जिले में पाकिस्तान से आए हिंदुओं की अच्छी संख्या है, जिन्होंने भाजपा को खारिज कर दिया है। क्या अब भी भाजपा किसान आंदोलन को सिखों का आंदोलन बताएगी?