मोदी सरकार ने उस संस्थान को भी बेचने का फ़ैसला कर लिया है जिसने कोरोना जैसी महामारी में दिनरात मेहनत कर पीपीई किट की कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हम बात कर रहे हैं एचएलएल लाइफकेयर की जिसे कोविड महामारी के लिए 2022 में चिकित्सा उपकरणों के लिए एक नोडल खरीद एजेंसी के रूप में नामित किया गया था।
कोरोना महामारी की शुरुआत से देश मे जितने भी सरकारी हस्पताल है या स्वास्थ्य सेवा संगठन है उनकी खरीद के लिए जिस एजेंसी को अधिकृत किया गया था ……उसका नाम है HLL लाइफकेयर लिमिटेड. अब उसे भी बेचा जा रहा है ताकि खरीदी में मनमानी की जा सके
एचएलएल लाइफकेयर ने 1970 के दशक में निरोध ब्रांडेड कंडोम के निर्माण में भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसके बाद HLL ने 1990 के दशक से अन्य गर्भनिरोधक, अस्पताल की आपूर्ति और महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों में प्रवेश किया।
दरअसल यह कंपनी 1 मार्च 1966 को Hindustan Latex Limited के नाम से अस्तित्व में आई थी। कंपनी का पहला प्लांट 1967 में केरल में स्थापित किया गया था। वहीं, 5 अप्रैल 1969 को कंपनी ने जापान की कंपनी Okamoto इंडस्ट्रीज के साथ समझौता किया था। साल 2009 में Hindustan Latex Limited का नाम बदल कर HLL लाइफकेयर लिमिटेड रखा गया।
आज एचएलएल लाइफकेयर अपने ‘मूड्स’ कंडोम ब्रांड के लिए जाना जाता है, 2022-21 में कंपनी का टर्नओवर 5,081.31 करोड़ रहा है अभी कुछ दिन पहले ही इसने सरकार को डिविडेंड के रूप करोड़ो रूपये सौपे है।
हिंदुस्तान लेटेक्स कर्मचारी संघ के महासचिव निसार अहमद कह रहे हैं कि वे सरकार के कदम से स्तब्ध हैं। “यह कम से कम अपेक्षित था … हम महामारी के दौरान चौबीसों घंटे काम कर रहे थे और कुछ कर्मचारी भारी काम के बोझ के कारण कारखाने में गिर गए। यह हमारी कड़ी मेहनत का प्रतिफल है और हम खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। कारखाने के कर्मचारी के बालकृष्णन ने कह रहे हैं कि हम अवाक हैं। हमने अब इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी।