नई दिल्ली। बिहार जहरीली शराब त्रासदी को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि जहरीली शराब पीने से बिहार में 30 लोगों की मौत हो गई है।
आयोग ने अपने बयान में कहा कि बिहार में अप्रैल, 2016 से शराब के सेवन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध है, हालांकि इसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हुआ है।
सारण जहरीली शराब त्रासदी मामले में मृतकों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 30 हो गई, जो बिहार में छह साल पहले लागू मद्य निषेध की नीति के बाद से जहरीली शराब से मरने वालों की सर्वाधिक संख्या है।
इस घटना का असर राज्य विधानसभा में भी दिखना जारी है, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने राजभवन भवन मार्च से पहले दोनों सदन की कार्यवाही को बाधित किया।
हालांकि, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि अवैध रूप से तैयार देशी शराब पीकर मरने वालों की संख्या करीब 50 है।
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि बिहार के सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने के कारण कई लोगों की मौत हो गई। आयोग ने कहा कि यदि मीडिया में आई खबरें सही हैं, तो इससे मानवाधिकार को लेकर चिंता पैदा होती है।
आयोग के बयान के मुताबिक, उसने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी करके विस्तृत ब्योरा तलब किया है, जिसके तहत पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी, अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का चिकित्सा उपचार और पीड़ित परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति (यदि की गई है तो) की जानकारी मांगी गई है।
आयोग ने यह भी जानना चाहा कि इस त्रासदी को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। आयोग ने सरकार से इस बारे में यथा शीघ्र जवाब मांगा है, लेकिन यह जवाब आदेश जारी होने के बाद से चार हफ्ते के अंदर देना होगा।
पंद्रह दिसंबर को जारी चिकित्सा रिपोर्ट के मुताबिक, छपरा इलाके में मरौढ़ा थाना अंतर्गत मशरख, इशुआपुर और अमनौर गांवों में ये मौतें हुईं। बयान में कहा गया है कि पुलिस को संदेह है कि ग्रामीणों ने आस-पास के इलाकों में एक सामान्य दुकान से शराब खरीदी होगी। मृतकों के परिजनों ने कथित तौर पर कहा है कि 50 से अधिक लोगों ने देशी शराब पी थी।