किसान आंदोलन के समर्थन में राजद का धरना


बिहार में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन में गोलबंदी तेज होने लगी है। वामपंथी पार्टियों के बाद प्रमुख विपक्षी दल राजद भी किसानों के समर्थन में सड़क पर उतर गई है। आज राजद ने आंदोलन के समर्थन में धरना दिया। इसमें विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह भी शामिल हुए।


अमरनाथ झा
बिहार Updated On :

पटना। बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को दबाने के लिए केन्द्र पुलिस का गैरवाजिब इस्तेमाल कर रही है और आंदोलन को भटकाने के प्रयास में लगी है। यह बात उन्होंने किसान आंदोलन के पक्ष में उनकी पार्टी द्वारा आयोजित धरना में कही।

बिहार में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन में गोलबंदी तेज होने लगी है। वामपंथी पार्टियों के बाद प्रमुख विपक्षी दल राजद भी किसानों के समर्थन में सड़क पर उतर गई है। आज राजद ने आंदोलन के समर्थन में धरना दिया। इसमें विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह भी शामिल हुए। पार्टी विधायक, विधान पार्षद और दूसरे बड़े नेता बड़ी संख्या में धरना में शामिल हुए।

हालांकि ऐतिहासिक गांधी मैदान में धरना देने की इजाजत प्रशासन ने नहीं दी और गांधी मैदान के गेट बंद कर दिए गए। पर बाद में प्रमुख नेताओं को गांधी प्रतिमा तक जाकर माल्यार्पण करने की इजाजत दी गई। वामपंथी पार्टियों ने बुधवार को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतिवाद करने सड़क पर उतरे थे।

नए कृषि कानूनों को काला कानून करार देते हुए बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी ने 25 सितंबर को भी इन कानूनों का विरोध किया था जब इसे राज्य सभा में पारित कराया गया। यादव ने हाल में संपन्न विधानसभा की बैठक में भी कहा था कि केन्द्र सरकार इन कानूनों के जरीए किसानों को ठगने का प्रयात कर रही है।

आज उन्होंने कहा कि इस कड़ाके की ठंड में जब लाखों किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, तब भी प्रधानमंत्री उनकी बातों को सूनने और समझने का बजाए कानूनों के फायदे बताने में लगे हैं। यह बहुत ही चिताजनक है। दरअसल केन्द्र सरकार खेती-किसानी का काम भी बड़े कारपोरेट घराने को सौंपने के फेर में है। यह एक बड़ी साजिश है जिससे किसान अपनी उपज बड़े घरानों को बेचे और अगली फसल के लिए बीज भी उन्हीं से खरीदें।

इस अवसर पर यादव ने एयर इंडिया, रेलवे, भारत पेट्रोलियम, बीएसएनएल और जीवन बीमा की हिस्सेदारी बेचने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है। अगर नए कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद है तो केन्द्र सरकार में हिस्सेदार अकाली दल भी इसका विरोध क्यों कर रही है।

बिहार के किसानों की स्थिति कहीं अधिक खराब है। उन्हें न्यूनतम समर्थन मूळ्य का लाभ भी नहीं मिल पाता। यही कारण है कि बिहार के अधिकतर किसानों को आजीविका के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ता है। अगर यहां की खेती और किसानों की सहायता करने का प्रयास नहीं किया गया तो मजदूर, किसानों का पलायन इसीतरह जारी रहने वाला है।

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद ने कहा कि नीतीश सरकार ने 2006 में ही कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम (एपीएमसीए) को निरस्त कर दिया। जिससे कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री में बिचौलियों की बड़े पैमाने पर घुसपैठ हो गई और किसानों को अपनी उपज का लागत मूल्य मिलना भी कठिन होता गया। इस साल बिहार में गेहूं की सरकारी खरीद काफी कम हुई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में केवल 50 हजार टन गेहूं खरीद हो सकी जबकि लक्ष्य सात लाख टन निर्धारित था। पिछले वर्ष 2019-20 में तो केवल 30 हजार टन गेहूं खरीदी जा सकी थी।



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