मप्र की सांवेर सीट के दोनों प्रमुख चुनावी प्रतिद्वन्द्वी नहीं दे सके खुद को वोट


प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने बताया, ‘‘सिलावट का नाम इंदौर शहर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-तीन की मतदाता सूची में दर्ज है। इसलिये वह सांवेर के उपचुनाव में खुद के लिए मतदान नहीं कर सके।’’


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मध्य प्रदेश उपचुनावः मतदान केंद्र पर कतार में खड़े लोग।


इंदौर। जिले के सांवेर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद बौरासी गुड्डू चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से उन्हें वोट देने की बार-बार अपील करते रहे। हालांकि, दिलचस्प बात है कि मंगलवार को मतदान के दौरान वे खुद को वोट नहीं दे सके क्योंकि उनका नाम इस निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सिलावट का नाम इंदौर शहर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-तीन की मतदाता सूची में दर्ज है। इसलिये वह सांवेर के उपचुनाव में खुद के लिए मतदान नहीं कर सके।’’

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम ने बताया कि गुड्डू इंदौर के उपनगरीय क्षेत्र में आने वाली राऊ विधानसभा सीट के मतदाता हैं। इसलिए वह सांवेर के उपचुनाव में अपने लिए मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाए।

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सांवेर सीट पर कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिनके भाग्य का फैसला 2.70 लाख मतदाताओं ने किया। इनमें शामिल भाजपा उम्मीदवार सिलावट और कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू के बीच कांटे की टक्कर हुई जिसका नतीजा 10 नवंबर को वोटों की गिनती से पता चलेगा।

बहरहाल, इंदौर शहर में रहने वाले दोनों प्रमुख चुनावी प्रतिद्वन्द्वी ग्रामीण क्षेत्र की सांवेर विधानसभा सीट से पहले भी चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।

अधिकारियों ने बताया कि सिलावट ने कांग्रेस के टिकट पर सांवेर सीट से वर्ष 1985, 2008 और 2018 के विधानसभा चुनाव जीते थे, जबकि 1990, 1993 और 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें इस क्षेत्र में हार का स्वाद चखना पड़ा था। उधर, गुड्डू ने भी कांग्रेस के ही टिकट पर सांवेर सीट से वर्ष 1998 का विधानसभा चुनाव जीता था।

सिलावट, भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे वफादार समर्थकों में गिने जाते हैं। वह कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल रहे जिनके विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था।इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को सूबे की सत्ता में लौट आई थी।

पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे सिलावट 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर सांवेर से विधायक चुने गए थे। लेकिन दल बदल के चलते वह मौजूदा उपचुनावों में ‘पंजा’ (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) के बजाय ‘कमल के फूल’ (भाजपा का चुनाव चिन्ह) के लिए वोट मांगते दिखाई दिए।