छत्तीसगढ़ नक्सल ‘कमांडर’ की संदिग्ध तौर पर कोरोना वायरस से हुई मौत

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दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्वयंभू नक्सल ‘कमांडर’ की मौत हो गई और शक है कि उसकी मृत्यु कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हुई है। दंतेवाड़ा पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी, जिससे इस बात की आशंका पैदा हुई है कि जानलेवा वायरस राज्य के दूर-दराज के इलाकों में फैल रहा है जहां स्वास्थ्य के उचित बुनियादी ढांचे की कमी है।

दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, मदकम रमेश उर्फ गोन्चे रमेश (50) में संक्रमण के लक्षण दिख रहे थे और उसकी शनिवार शाम मौत हो गई। वह गैर कानूनी समूह की केरलपाल क्षेत्रीय समिति का सदस्य था। वह दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों की सीमा से सटे इलाकों में सक्रिय था।

पुलिस अधीक्षक ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘बताया जाता है कि उसे बुखार था और सांस लेने में परेशानी हो रही थी जिसके बाद केरलपाल के चरमपंथियों ने उसे उसके पैतृक स्थान सुकमा के जगरगुंडा भेज दिया था जहां उसकी मौत हो गई। उसके शव को अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को सौंप दिया गया है।

‘पल्लव ने बताया, ‘ ग्रामीणों के मुताबिक, उसमें कोविड-19 के लक्षण दिख रहे थे, लेकिन जानकारी से मालूम चलता है कि उसने कोरोना वायरस की जांच नहीं कराई थी। बुखार और सांस लेने में तकलीफ के चलते अचानक से मौत हो जाने को जांच होने तक कोविड-19 से संदिग्ध मौत माना जाता है।’

उन्होंने बताया कि रमेश पर पांच लाख रुपये का ईनाम था।माओवादी गतिविधियों के कारण बस्तर मंडल के अंदरूनी इलाकों में कोविड-19 के फैलने की आशंका पर चिंता व्यक्त करते हुए पल्लव ने कहा कि नक्सली महामारी के मद्देनजर लागू किए गए उपायों का पालन नहीं कर रहे हैं और बिना मास्क के आ -जा रहे हैं तथा सामाजिक दूरी को नजरअंदाज करके ग्रामीणों की बैठकें बुला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नक्सलियों की लापरवाही से बस्तर क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में संक्रमण फैल सकता है जहां स्वास्थ्य के उचित बुनियादी ढांचे की कमी है। बस्तर मंडल में दंतेवाड़ा समेत सात जिले आते हैं, जहां शनिवार तक कोरोना वायरस के 15,081 मामले थे और 60 लोगों की मौत हुई थी।