पुलिस अध्यादेश को लागू नहीं करने का फैसला दर्शाता है कि माकपा जन मुद्दों को लेकर उत्तरदायी है: येचुरी

केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था। इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं।

नई दिल्ली। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि केरल में एलडीएफ सरकार का पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन संबंधी अध्यादेश को लागू नहीं करने का फैसला दर्शाता है कि पार्टी जीवंत, लोकतांत्रिक इकाई और लोगों के उठाए मुद्दों को लेकर उत्तरदायी है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार इस अध्यादेश को लागू नहीं करेगी।

येचुरी ने कहा- ‘‘इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर आलोचना हुई और एक पार्टी के तौर पर हमने इस पर गौर किया। केरल के मुख्यमंत्री ने अध्यादेश लागू नहीं करने को लेकर जो बयान दिया, वह दर्शाता है कि हम जीवंत, लोकतांत्रिक पार्टी हैं जो सुझावों का स्वागत करती है। यही कारण है कि राज्य में एलडीएफ की सरकार फिर से बनेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने आईटी कानून की धारा 66ए का विरोध किया है। यह पार्टी के रूप में हमारा सतत रुख रहा है और इसलिए इसी तर्ज पर मैंने घोषणा की थी कि अध्यादेश पर फिर से विचार किया जाएगा।’’

इससे पहले, येचुरी ने पीटीआई-भाषा से कहा था, ” अध्यादेश पर पुनर्विचार किया जाएगा।”

उनसे पूछा गया था कि क्या “पुनर्विचार” का मतलब यह है कि अध्यादेश को हल्का किया जाएगा, तो उन्होंने संकेत दिया था कि इसका मतलब है कि अध्यादेश को रद्द किया जाएगा।

पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन को लेकर रविवार को मचे सियासी तूफान के बाद येचुरी का बयान आया है।

केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था। इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं।

First Published on: November 24, 2020 9:39 AM
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