दिल्ली हाई कोर्ट ने जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों पर सुनवाई शुरू की


उच्चतम न्यायालय ने 16 सितंबर को सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष मौजूदा और पूर्व सांसदों/ विधायकों के खिलाफ सभी लंबित आपराधिक मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने को कहा, जिनमें रोक लगी हुयी है।


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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए सभी उच्च न्यायालयों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर खुद शुरू की गयी एक याचिका के संबंध में मंगलवार को केंद्र, आप सरकार तथा अपनी रजिस्ट्री से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने उन्हें नोटिस जारी करके हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें उनसे उच्चतम न्यायालय के 16 सितंबर के निर्देश के अनुसार उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा गया है।

पीठ ने कहा, “आप (केंद्र, दिल्ली सरकार और उच्च न्यायालय रजिस्ट्री) अपने द्वारा किए गए कार्यों को रेखांकित करें।’’ मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले ही अधीनस्थ न्यायालयों में चार न्यायाधीशों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 16 सितंबर को सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष मौजूदा और पूर्व सांसदों/ विधायकों के खिलाफ सभी लंबित आपराधिक मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने को कहा, जिनमें रोक लगी हुयी है।

न्यायालय का यह निर्देश उस याचिका पर जारी किया गया था, जो 2016 में दायर की गई थी। इस याचिका में मौजूदा तथा पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निपटारे में काफी देरी होने का मुद्दा उठाया था।

उच्चतम न्यायालय ने यह गौर करने के बाद निर्देश जारी किया था कि मौजूदा और पूर्व के सांसदों/ विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे में “कोई खास सुधार नहीं” हुआ है।

न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि ऐसी स्थिति में जब रोक आवश्यक माना गया है, अदालत को बिना अनावश्यक स्थगन के मामले की रोजाना आधार पर सुनवाई करनी चाहिए और उसका तेजी से, संभव हो तो दो महीने में, निपटारा करना चाहिए।