सर्व सेवा संघ का भवन ढहाये जाने के विरोध में वाराणसी से राजघाट तक की गयी पदयात्रा

प्रदीप सिंह प्रदीप सिंह
दिल्ली Updated On :

नयी दिल्ली। वाराणसी में राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के 63 वर्ष पुराने ऐतिहासिक भवन को गिराये जाने के विरोध में गांधी जयंती पर दो अक्टूबर से शुरू हुई ‘एक कदम गांधी के साथ’ पदयात्रा बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर यहां राजघाट पर आकर संपन्न हो गयी।

छप्पन दिनों में लगभग 1,000 किलोमीटर की दूरी तय करने वाले इस यात्रा में शामिल पदयात्रियों ने सुबह सबसे पहले राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किये और इसके बाद जंतर-मंतर पर विशाल जनसभा का आयोजन किया गया।

यह पदयात्रा 13 अगस्त 2023 को स्थानीय प्रशासन द्वारा सर्व सेवा संघ के 63 वर्ष पुराने ऐतिहासिक भवन को बुलडोजर से गिराये जाने के विरोध में शुरू की गयी थी। पदयात्री भवन के पुननिर्माण और गांधी-विनोबा-जेपी की विचारधारा की रक्षा और वर्तमान समय में संविधान के मूल्यों पर मंडराते खतरे के खिलाफ देशव्यापी जागरूकता पैदा करने के संकल्प के साथ चल रहे थे।

जंतर-मंतर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रमुख वक्ताओं ने मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक हालात पर गहरी चिंता जतायी। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने अपने उद्बोधन में फासीवाद के बढ़ते खतरे और पर्यावरण संरक्षण की अनिवार्यता पर जोर दिया। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि आज चंपारण वाले गांधी जी की तरह सघन और लंबी लड़ाई लड़नी होगी।

सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल ने पदयात्रियों को धन्यवाद देते हुए इसे देश के मौजूदा संकट काल में मील का पत्थर बताया। संघ के महासचिव अरविंद अंजुम ने यात्रा के अनुभव साझा करते हुए कहा कि देश शोषणवादी ताकतों के चंगुल में फंस चुका है और यह यात्रा जनजागरण का माध्यम बनेगी। पदयात्रा के संयोजक एवं उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ने आगे की लड़ाई को तेज करने और अधिक से अधिक गांधीवादियों से जुड़ने का आह्वान किया।

सभा में तीन नयी पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। अंत में डॉ. संत प्रकाश ने सभी उपस्थित लोगों को संविधान की प्रस्तावना पढ़वाते हुए संविधान और गांधीवादी मूल्यों की रक्षा का सामूहिक संकल्प दिलाया।

यात्रा में शामिल प्रमुख प्रतिभागी: चंदन पाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ), रामधीरज, नन्दलाल मास्टर (उ.प्र.), अरविंद अंजुम (झारखंड), भूपेश भूषण (म.प्र.), सोमनाथ रोड़े (महाराष्ट्र), संजय सिंह (सचिव, गांधी स्मारक निधि), सतीश मराठा (हरियाणा), आसमा आदिवासी (म.प्र.), संजय राय (सचिव, हरिजन सेवक संघ), दशरथ भाई (किसान नेता), प्रो. मैदानी, अशोक भाई, जोखन यादव, विद्याधर मास्टर, श्यामधर तिवारी, प्रवीण वर्मा, विवेक मिश्रा, नीरज राय, प्रियेश, सुनील मास्टर, आशा राय, अनीता पटेल, सीमा बेबी, आशा रानी, मैनब (उ.प्र.), जगदीश कुमार (राजस्थान), विकास, मानिकचंद साहनी, डॉ. विष्णु कुमार (बिहार), सरिता बहन, सिस्टर फ्लोरीन, अलीभा, अंतर्यामी बराल, सौरभ, निधि, बृजेश, टैन, सचिन, आंचल, संध्या, श्रीनिवासन, विष्णु कुमार, आसमा आदिवासी, संजना, विवेक यादव, नीलम, मैनब, सुनील मास्टर, विपिन, रमाकांत, रेवा, अनु, बजरंग भाई, ऋषभ, शिवधर, डॉ. एम. एच. पाटील, बीरेंद्र आदि। लगभग 80 से अधिक पदयात्री निरंतर यात्रा में सम्मिलित हैं।



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