दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) की गिरफ्तारी के बाद आप (AAP)और भाजपा (BJP) में जुबानी जंग तेज हो गयी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इस गिरप्तारी को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं. उनका आरोप है कि भाजपा हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में हार की संभावना को देखते हुए सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का दुरुपयोग करते हुए गिरफ्तार कराया गया है. क्योंकि सत्येंद्र जैन आम आदमी पार्टी की तरफ से हिमाचल प्रदेश विधान सभा के चुनाव प्रभारी हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार 30 मई को दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था. और दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन को 9 जून तक ईडी कस्टडी में भेज दिया है.
इस गिरफ्तारी पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट कर कहा कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ आठ साल से एक फर्जी मामला चलाया जा रहा है. अभी तक कई बार ईडी उन्हें तलब कर चुकी है. बीच में कई साल ईडी ने उन्हें बुलाना भी बंद कर दिया था, क्योंकि उसे कुछ मिला ही नहीं. अब फिर शुरू कर दिया क्योंकि सत्येंद्र जैन हिमाचल के चुनाव प्रभारी हैं. सिसोदिया ने कहा, “हिमाचल में भाजपा बुरी तरह से हार रही है. इसीलिए सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया है ताकि वो हिमाचल न जा सकें. वह जल्द ही छूट जाएंगे क्योंकि उन्हें फर्जी मामले में गिरफ्तार किया गया है.”
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस पूरे मामले को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से जोड़ रही है. आप इसे राजनीतिक कदम बताते हुए हिमाचल प्रदेश में भाजपा की राजनीतिक जमीन को कमजोर बता रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हिमाचल प्रदेश में भाजपा की कमजोर राजनीतिक उपस्थिति से आप का फायदा होने जा रहा है?
इस सवाल का जवाब ढूढ़ने के लिए हमें आम आदमी पार्टी, उसके वजूद और नेतृत्व के राजनीतिक इतिहास पर एक सरसरी नजर से देखना पड़ेगा. आम आदमी पार्टी की स्थापना नवंबर 2012 में अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों ने की थी. AAP का जन्म 2011 के भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुआ था, जिसे अन्ना आंदोलन के नाम से जाना जाता है.
AAP वर्तमान में दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ है. यह खुद को भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों- भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (CONGRESS) के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है. तब से आप कई राज्यों में विधानसभा, लोकसभा और नगर निगमों का चुनाव लड़ चुकी है. लेकिन आप को सफलता वहीं पर मिली जहां कांग्रेस कमजोर थी. और भाजपा वहां विकल्प के रूप में मजबूत नहीं थी.
आप का पूरा आंदोलन कांग्रेस के तत्कालीन सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध में था. अन्ना के नेतृत्व में चले भ्रष्टाचार आंदोलन के समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए तो दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. फलस्वरूप 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को 28 सीटें मिलीं. इसके बाद 2015 में आप को 67 और 2020 में 62 सीट जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. पंजाब में आप की जीत कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी, अकाली दल का भ्रष्टाचार और भाजपा की नगण्य उपस्थिति के कारण संभव हुआ है.
इसके बाद आप ने 2017 और 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव में उतरी लेकिन उसे क्रमश: शून्य और 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा. क्योंकि गोवा में कांग्रेस और भाजपा लगभग बराबर राजनीतिक वर्चस्व रखते हैं. इसी तरह 2017 में गुजरात में भी आप 29 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन एक सीट भी उसकी झोली में नहीं आ सकी.
2018 में राजस्थान, तेलंगाना,कर्नाटक, मेघालय और मध्य प्रदेश, 2019 में हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड, 2022 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल सकी. क्योंकि इन राज्यों में कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस मजबूत स्थिति में हैं. ऐसे में सवाल यह है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है और कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है. आप का कहीं नामोनिशान नहीं है. इसलिए सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी को हिमाचाल प्रदेश की राजनीति से जोड़ना तार्किक प्रतीत नहीं होता है.